रायपुर। कोरबा जिला स्थित पाली-तानाखार विधानसभा क्षेत्र के ग्राम करतली में आयोजित अंबिका कोयला खदान जन-सुनवाई का गाँववालों ने बहिष्कार कर दिया है. साउथ-ईस्टर्न कोल लिमिटेड( SECL) के अधिकारी जब करतली में जन-सुनवाई के लिए पहुँचे, तो ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया. स्थानीय रहवासियों ने साफ कह दिया है कि उन्हें किसी भी कीमत पर इस इलाके में कोयला खदान नहीं चाहिए. भारी विरोध के बाद सुनवाई रद्द कर अधिकारियों को खाली हाथ लौटना पड़ा.

उर्जाधानी भू-स्थापित कल्याण समिति के दीपका क्षेत्र सचिव प्रकाश ने कहा, कि करतली में शुक्रवार को जन-सुनवाई आयोजित की गई थी, लेकिन गाँववालों ने पहले ही कह दिया था, कि वे इस इलाके में अब और कोयला खदान नहीं चाहते. पहले से गेवरा, दीपका, कुसमुंडा और कोरबा में कोयला खदानें है. इन खदानों की वजह से जिले में प्रदूषण की स्थिति भयावह है. ऐसे में अब एक और कोयला खदान यहाँ नहीं चाहिए. फिलहाल इन चार क्षेत्रों में स्थित खदानों से सालाना 119 मिलियन टन कोयले का खनन हो रहा है. वहीं अंबिका कोयला खदान शुरू होने पह वहाँ से 1.35 मिलियन टन सालाना खनन किया जाना है. ऐसे में इस अतिरिक्त खनन की भरपाई पुराने खदानों से ही हो सकती है.

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला का कहना है कि जिन क्षेत्रों में अभी खदानें संचालित है वहाँ के बहुत से विस्थापितों को न समूचित मुआवजा मिला है और न ही रोजगार. पर्यावरण का संतुलन बना पाने में नाकाम एसीईसीएल रहा है. यही वजह है कि स्थानीय निवासी आक्रोशित हैं. लिहाजा वे अपने इलाके में अब और कोल खदान नहीं चाहते हैं.