पुरुषोत्तम पात्र,गरियाबंद। कोरोना महामारी का असर अब लोगों के समाजिक संबंधों पर भी दिखना लगा है. महामारी के डर से लोग अपनों को भी पास बुलाने से परहेज करने लगे है. ऐसा ही एक मामला बुधवार को गरियाबंद जिले में भी देखने को मिला है. ग्रामीणों ने एक प्रसूता को उसके 5 दिन के बच्चे और परिजनों को बिना कोरोना जांच के गांव में घुसने से मना कर दिया. परिवार को 8 घंटे अपने गांव से 3 किमी दूर ओडिशा सीमा पर एक झोपड़ी और शौचालय के अंदर गुजारना पड़ा.

प्रसव करवाकर ओडिशा से लौटा था परिवार

गरियाबंद के डूमरबहाल की नीलाबती अपने 5 दिन के बच्चे, पति और सास के साथ ओडिशा से घर लौट रहे थे. 21 अप्रैल को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने नीलाबती को ओडिशा के भीषमकटक अस्पताल में भर्ती कराया था. 23 अप्रैल को ऑपरेशन के बाद उसने एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया. बुधवार को अस्पताल से छुट्टी मिलने पर वे किराया वाहन से अपने गांव डूमरबहाल लौट रहे थे. वाहन चालक ने छग में अपनी गाड़ी नहीं ले जाने की बात कहकर उऩ्हें उनके गांव से 3 किमी पहले गरियाबंद ओडिशा सीमा के केंदुबंद गांव में उतार दिया, जहां उन्हें 8 घंटे बीताने पड़े.

ग्रामीणों ने गांव में घूसने से किया मना

डूमरबहाल के लोगों को जैसे ही प्रसूता के गांव पहुंचने की खबर लगी, तो उन्होंने प्रसूता के ससुर को बिना जांच के गांव की सीमा में नहीं घूसने की चेतावनी दे दी. ससुर गोवर्धन तत्काल केंदुबंद पहुंचा, जहां उसका परिवार रुका हुआ था, परिवार को वस्तुस्थिति से अवगत कराने के बाद मौके पर ही स्वास्थ्य टीम को बुलाने का निर्णय लिया गया, स्वास्थ्य टीम द्वारा जांच करने के बाद ही प्रसूता को उसके परिवार के साथ गांव में घुसने की इजाजत दी गई.

8 घंटे करना पड़ा इंतजार

प्रसूता अपने परिवार के साथ सुबह 10 बजे ओडिशा सीमा के केंदुबंद पहुंच चुकी थी. स्वास्थ्य जांच के कारण उसे 8 घंटे यहां गुजारने पड़े. देवभोग का स्वास्थ्य अमला शाम 4 बजे मौके पर पहुंचा, तकरीबन डेढ घंटे की जांच के बाद सभी को समान्य बताया. प्रसूता शाम 6 बजे अपने परिवार के साथ घर के लिए रवाना हुई.

झोपड़ी और शौचालय में गुजारा वक्त

प्रसूता को 8 घंटे बड़ी कठनाईयों में गुजारने पड़े. तेज धूप से बचने के लिए परिवार ने एक झोपड़ी का सहारा लिया, मगर दोपहर एक बजे के आसपास तेज आंधी के साथ बारिश शुरु हुई, तो बारिश का पानी झोपड़ी के अंदर आने लग गया. बारिश से बचने के लिए परिवार को पास में बने एक शौचालय में शरण लेनी पड़ी. बारिश रुकने तक पौन घंटा परिवार को इसी शौचालय में गुजारना पड़ा.

किसी ने नहीं दी लिफ्ट

स्वास्थ्य जांच के बाद जब प्रसूता केंदुबन से डूमरबहाल के लिए निकली तो किसी राहगीर ने उन्हें लिफ्त तक नहीं दी. पीड़ित परिवार किराया वाहन करके 3 किमी अपने गांव पहुंचा. फिलहाल जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ्य है और स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें घर पर ही 14 दिन क्वारेंटाइन में रहने की हिदायत दी है.