रायपुर– छत्तीसगढ़ में नई सरकार खेती के साथ-साथ लघु उद्यम को बढ़ावा देने का सार्थक पहल किया जा रहा है. नया रायपुर के कुहेरा-राखी में देश का प्रथम नैसर्गिक कोसा अभ्यारण्य स्थापित होगा, जो कोसा उत्पादन एवं रोजगार की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होगा. यह अभ्यारण्य 200 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थापित होगा और इस क्षेत्र में अर्जुना पौधों की बहुलता है. इसलिए ये कोसा कृमि के आहार होंगे. अर्जुना वृक्षों की पत्तियों को ग्रहण कर दो माह के अंदर कोसा कृमि कोसा बना लेगा. इस प्रकार नैसर्गिक कोसा अभ्यारण्य से प्रतिवर्ष 30 लाख नग नैसर्गिक कोसा उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो बुनकरों के मांग और आपूर्ति के विचलन को दूर करेगा.
छत्तीसगढ़ कोसा वस्त्र निर्माण एवं उसके निर्यात में अग्रणी प्रदेश है. यहां प्रतिवर्ष बुनकरों को 60 करोड़ नग कोसा फलों की आवश्यकता होती है. प्रतिवर्ष बुनकरों के मांग एवं आवश्यकता की आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए ग्रामोद्योग संचालनालय रेशम प्रभाग रायपुर द्वारा देश के प्रथम नैसर्गिक कोसा अभ्यारण्य के लिए विकास एवं उत्पादन का कार्य तेजी से किया जा रहा है. इन वनखंडों में डाबा कोसा कृमियों को छोड़ने के लिए प्रति वर्ष 6 रीलिज कैंप लगाए जाएंगे.
दो माह में 40 लाख कोसा का होगा उत्पादन, प्रति कोसा 2 रुपए में विक्रय
कैंपों से प्रति वर्ष लगभग एक करोड़ कोसा कृमि इस अभ्यारण्य में छोड़ा जाएगा, जो अर्जुना वृक्ष की पत्तियों को आहार के रूप में ग्रहण कर दो माह के अंदर लगभग 40 लाख कोसा का उत्पादन होगा. जिसमें से 80 प्रतिशत कोसा यानि 32 लाख कोसा फल तोड़कर ग्रामों के हितग्राहियों द्वारा दो रुपए प्रति कोसा की दर से विक्रय किया जाएगा. शेष 20 प्रतिशत कोसा फल यानि आठ लाख जर्मप्लाज्म के रूप में अभ्यारण्य में संरक्षित रहेगा. प्रति वर्ष इस प्रक्रिया को दोहराते हुए अभ्यारण्य में जर्मप्लाज्म के रूप मे कोसा फलों को संरक्षित करना है, ताकि इन कोसा फलों से नैसर्गिक प्रगुणन होकर कोसा फलों के उत्पादन में निरंतर वृध्दि हो सके. साथ ही साथ प्रति वर्ष 80 प्रतिशत कोसा हितग्राहियों द्वारा तोड़कर बेचा जा सके ताकि उन्हें अतिरिक्त आय निरंतर मिलता रहे.
इस अभ्यारण्य में नैसर्गिक रूप से कोसा फलों का उत्पादन कार्य भी होता रहेगा. इसके अलावा वन्य जीवों का संरक्षण वृक्षों एवं पादपों का संरक्षण रिक्त भूमि में नया अर्जुना पौधरोपण कोसा के जर्मप्लाज्म को बढ़ाना एवं कोसा संग्रहण का केवल संवहनीय दोहन भी होगा. प्रस्तावित अभ्यारण्य के भूखण्ड का स्वामित्व अटल नगर विकास प्राधिकरण रायपुर का होगा एवं ग्रामोद्योग संचालनालय रेशम प्रभागद्ध रायपुर द्वारा कोसा उत्पादन का कार्य किया जाएगा.