रायपुर। युवाओं ने तबला वादन में गजब का जौहर दिखाय।  तबला वादक सुरेंद्र सिंह ने तीन ताल में उठाव और रैला का गजब का संयोजन दिखाया वहीं मक्कड़ ने झप्प ताल में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। साईंस कॉलेज मैदान में चल रहे युवा महोत्सव में तबला वादन की प्रतियोगिता में युवाओं ने तीन ताल सहित शास्त्रीय तबला वादन में विभिन्न घरानों की प्रस्तुति दी।

मुंगेली के गोविंद मक्कड़ ने बताया कि यह एक कठिन विधा है जिसमें मात्र 2-2 ताल रहता है। उन्होंने बताया कि वे 5 साल की उम्र से ही तबला वादन कर रहे हैं। झप ताल 10 मात्रा की ताल है। वर्तमान में वे खैरागढ़ संगीत महाविद्यालय में तृतीय वर्ष के छात्र हैं।

महासमुंद जिला के खिलेश्वर साहू ने मात्र 15 वर्ष की आयु में अपनी कला का अद्भुत प्रदर्शन किया। तीन ताल में ठेका, कायदा की प्रस्तुति दी। नारायणपुर से आए कक्षा नवमीं के छात्र अरविंद साहू ने 3 ताल में ही अपनी कला का प्रदर्शन किया।


विज्ञान महाविद्यालय के ऑडिटोरियम में चल रही इस प्रतियोगिता में विभिन्न जिले से 21 तबला वादको ने अपने जौहर दिखाए। इस प्रतियोगिता में शामिल युवाओं ने राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे इस आयोजन की प्रशंसा की और कहा कि इससे युवा कलाकारों को एक नई दिशा और पहचान मिलेगी। युवाओं को एक प्रतिभा दिखाने के लिए बेहतर मंच मिल रहा है।

सुप्रसिद्ध तबला वादक रेशमा पंडित, अशोक कुमार कुर्म एवं पदमालोचन जायसवाल ने प्रतियोगिता में निर्णायक की भूमिका निभायी। निर्णायकों ने प्रस्तुति में लय, माधुर्य, अनुशासन, ताल और सामंजस्य के आधार पर अंक दिए।

तीन ताल क्या है
तीन ताल हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध तालों में से एक है। यह उत्तर भारत में सर्वाधिक प्रचलित है। यह लयबद्ध सरंचना का सममित स्वरूप है। यह कुल सोलह मात्राओं का ताल हैं जिसमें चार-चार मात्राओं के चार विभाग होते हैं। तीसरे विभाग में खाली होती है जो नवीं मात्रा पर होती है। पहली मात्रा पर सम होता है। इसके मूल बोल हैं: धा धिन् धिन् धा। धा धिन् धिन् धा। धा तिन् तिन् ता। ता धिन् धिन् धा।