रायपुर। छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के मौके पर ‘मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी’ की ओर से सर्मसमाज सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन में छत्तीसगढ़ीभाषी राज्य का मुद्दा जोर-शोर से उठा था. साहित्यकारों ने बताया कि 2000 में मध्यप्रदेश से पृथक होने के बाद जब छत्तीसगढ़ नया राज्य बना, तो उसका आधार छत्तीसगढ़ीभाषी क्षेत्र होना था, लेकिन राज्य निर्माण के बाद से ही छत्तीसगढ़ी के साथ छल शुरू हो गया है. साजिश के तहत छत्तीसगढ़ को ‘ख’ वर्ग की जगह से ‘क’ वर्ग में शामिल करा दिया गया था. इसी का नुकसान आज 3 करोड़ छत्तीसगढ़ीभाषी लोगों को उठाना पड़ रहा है. सम्मेलन में छत्तीसगढ़ीभाषी राज्य के मुद्दे पर सर्वसमाज के साथ विधानसभा मार्च की रणनीति भी बनी. सम्मेलन में पहुना के रूप में विधायक चातूरी नंद सहित साहू, कुर्मी, यादव, पनिका, सेन, ठाकुर, ब्राम्हण, निषाद, चौहान आदि कई छत्तीसगढ़िया समाज के पदाधिकारी शामिल हुए. इसके साथ ही बड़ी संख्या में कवि, गीतकार, साहित्यकार, पत्रकार और कलाकार जगत के लोग भी मौजूद रहे.
विधानसभा म उठावत रइहूँ मुद्दा- चातूरी नंद
विधायक चातूरी नंद ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा और रोजगार से संबंधित हर मुद्दे को विधानसभा में मैं प्रमुखता से उठाती रहूँगी. सदन के अंदर और बाहर कहीं महतारीभाषा के लिए मैं पूरी तरह प्रतिबद्ध हूँ. छत्तीसगढ़ राज्य को ‘ख’ वर्ग शामिल कराने के अभियान में मैं हर मोर्चे पर शामिल हूँ.
पाछू के गलती सुधारे काम साय सरकार ल करना चाही- नंदकिशोर शुक्ल
छत्तीसगढ़ी राजभासा मंच के संरक्षक और संघ के पूर्व प्रचारक नंदकिशोर शुक्ल ने कहा कि 2003 के समय में जो गलती पूर्व की सरकार से हुई है अब उसे सुधारने का काम साय सरकार को करनी चाहिए. क्योंकि महतारीभाषा में पढ़ाई-लिखाई की गारंटी मोदी सरकार की है. इस गारंटी को साय सरकार पहली प्राथमिकता में पूरी करनी चाहिए. लेकिन इसके साथ-साथ साय सरकार को छत्तीसगढ़ राज्य को ‘ख’ वर्ग में शामिल करने का प्रस्ताव कैबिनेट में पास कर तत्काल केंद्र सरकार भेज देनी चाहिए.
वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से छत्तीसगढ़ी पूरी तरह से सक्षम- डॉ. सुधीर शर्मा
साहित्यकार डॉ. सुधीर शर्मा ने कहा छत्तीसगढ़ी पूरी तरह से वैज्ञानिक भाषा है. छत्तीसगढ़ को चाहे ख वर्ग में शामिल करने की बात हो या आठवीं अनुसूची में तकनीकी रूप से पूरी तरह से छत्तीसगढ़ी सक्षम भाषा है. छत्तीसगढ़ी का व्याकरण हिन्दी के व्याकरण से 30 साल पूर्व प्रकाशित हो गया था. छत्तीसगढ़ी के पास समृद्ध साहित्य भंडार और 40 से अधिक शब्दकोश है.
महतारीभासा बर परान दे ल परही त देबो- लता राठौर
सम्मेलन की आयोजक साहित्यकार लता राठौर ने कहा कि छत्तीसगढ़ महतारी की अस्मिता से बढ़कर कुछ नहीं है. छत्तीसगढ़ी भाषा में प्राथमिक शिक्षा बच्चों को मिलना चाहिए. इस मांग को हम कई संगठनों के साथ आंदोलन कर रहे हैं, अभियान चला रहे हैं, जनगारण कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ी राज्य की न सिर्फ महतारी भाषा है, बल्कि राजभाषा भी है. हमारी पहचान हमारी भाषा से हैं. ऐसे में अगर इसके लिए हमें जान भी देनी पड़ी तो हम सब आंदोलकारी देने के लिए तैयार हैं.
बेरा हे सर्वसमाज ल एकजुट होय के- अमित बघेल
छत्तीसगढ़ीभाषी आंदोलनकारी अमित बघेल ने कहा कि महतारीभाषा को लेकर सर्वसमाज को एकजुट करना जरूरी है. इसके लिए सभी छत्तीसगढ़िया समाज के बीच हमें जाकर काम करना है, रणनीति बनानी है.
लड़ाई जारी हे, जारी रखबो- जागेश्वर प्रसाद
वरिष्ठ साहित्यकार जागेश्वर प्रसाद ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा को लेकर लड़ाई कई दशकों से जारी है. इसी लड़ाई का परिणाम है कि 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य के रूप में गठित हुआ, 2007 में राजभाषा बना और आज जन-जन के बीच में सबसे बड़ा मुद्दा और अभियान है.
समाज के बीच सतत्-सतत् जागरणन जरूरी- आशीष तिवारी
समाजसेवी आशीष तिवारी ने कहा कि महतारीभाषा का मुद्दा हर छत्तीसगढ़िया का मुद्दा होना चाहिए. इसके लिए समाज के बीच सतत्-सतत् जागरण जरूरी है. हम सभी को मिलकर इस अभियान को आगे बढ़ाना जरूरी है.
सम्मेलन कई समाज के पदाधिकारियों, पत्रकारों ने भी सम्बोधित किया. सम्मेलन का संचालन डॉ. वैभव बेमेतरिहा ने और आभार संजीव साहू ने किया.
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