रायपुर– मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि बनारस, ओड़िशा और कोलकाता की साड़ियों की जैसी पहचान हैं, वैसी ही पहचान छत्तीसगढ़ के हाथकरघा वस्त्रों की भी देश में बननी चाहिए. उन्होंने कहा कि हाथकरघा वस्त्रों के प्रतिस्पर्धी बाजार की मांग के अनुसार छत्तीसगढ़ में भी परम्परागत और आधुनिक डिजाइनों के बुनकर वस्त्र तैयार हों, जिन्हें बाजार में हाथों-हाथ लिया जाए. ऐसा करने पर हाथकरघा क्षेत्र लोगों को रोजगार देने के साथ-साथ व्यवसाय का भी अच्छा माध्यम बनेगा. मुख्यमंत्री ने आज राजधानी रायपुर के रावणभाटा मैदान में राष्ट्रीय हाथकरघा प्रदर्शनी (नेशनल हैण्डलूम एक्सपो) का शुभारंभ करते हुए इस आशय के विचार प्रकट किए. मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ राज्य बुनकर संघ के भवन के लिए भू-खण्ड की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया.
विकास आयुक्त हाथकरघा वस्त्र मंत्रालय के सहयोग से छत्तीसगढ़ ग्रामोद्योग विभाग एवं छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ द्वारा आयोजित इस 18 दिवसीय प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता ग्रामोद्योग मंत्री गुरू रूद्र कुमार ने की. विधायक सत्यनारायण शर्मा और अनिता योगेन्द्र शर्मा, रायपुर नगर निगम के महापौर प्रमोद दुबे और पूर्व महापौर डॉ. किरणमयी नायक विशेष अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित थीं. इस हैण्डलूम एक्सपो में छत्तीसगढ़ की 30 तथा उत्तरप्रदेश, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और बिहार की 31 हाथकरघा संस्थाएं हिस्सा ले रही हैं. एक्सपो में छत्तीसगढ़ की कोसा साड़ियां, हाथकरघा वस्त्र, बेडशीट, मध्यप्रदेश की चंदेरी और महेश्वरी साड़ियां, बनारसी साड़ियां, कश्मीर का पश्मीना शॉल, पश्चिम बंगाल की काथा और तात साड़ियां प्रदर्शनी और विक्रय के लिए रखी गई हैं. प्रदर्शनी के उद्घाटन के बाद मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनी के स्टालों का अवलोकन भी किया.
मुख्यमंत्री बघेल ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जांजगीर-चांपा, रायगढ़, कोरबा, दुर्ग, राजनांदगांव और बस्तर सहित प्रदेश के अनेक जिलों में हमारे बुनकरों द्वारा हाथ करघा वस्त्र तैयार किए जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ में हजारों लोगों को यह क्षेत्र रोजगार देता है. हाथकरघा वस्त्रों को पहनने में आत्मीयता का बोध होता है. उन्होंने ग्रामोद्योग विभाग के अधिकारियों को छत्तीसगढ़ के बुनकरों को आधुनिक डिजाइनों का प्रशिक्षण देने के लिए अच्छे से अच्छे डिजाइनरों की सेवाएं लेने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि स्कूलों में बच्चों के गणवेश तैयार करने और सरकारी दफ्तरों में हाथ करघा वस्त्रों का उपयोग किया जा रहा है.
बघेल ने इस प्रदर्शनी में शामिल सभी बुनकरों का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य सरकार हाथकरघा कुटीर उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी. उन्होंने राजधानी वासियों से 21 फरवरी तक चलने वाली इस राष्ट्रीय प्रदर्शनी में आने का आग्रह किया. इस प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ सहित देश भर के हाथ करघा वस्त्रों की वेरायटी मिलेगी. लोगों की भागीदारी से बुनकरों को प्रोत्साहन मिलेगा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने समारोह में बुनकर परिवार के प्रतिभावान बच्चों की प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के अंतर्गत 11 छात्र-छात्राओं को और सात वरिष्ठ बुनकरों को प्रोत्साहन राशि प्रदान कर सम्मानित किया.
ग्रामोद्योग मंत्री गुरू रूद्र कुमार ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हाथकरघा कुटीर उद्योग हमारी स्वदेशी आत्मनिर्भरता का एक मजबूत स्तंभ हैं. छत्तीसगढ़ में विश्व प्रसिद्ध कोसा वस्त्रों का उत्पादन होता है. सूती वस्त्र बुनाई की भी प्रदेश में समृद्ध परम्परा है. हाथकरघा उद्योग में 54 हजार लोगों को, हस्तशिल्प उद्योग में 10 हजार लोगों को, माटीशिल्प में 16 हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है. रेशम उद्योग में लगभग 83 हजार लोग संलग्न हैं. प्रदेश में खादी और ग्रामोद्योग के माध्यम से लगभग एक लाख 79 हजार लोगों को रोजगार मिलता है.
छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा संघ के अध्यक्ष मोतीराम देवांगन ने बताया कि इस वर्ष प्रदेश में अब तक 189 करोड़ रूपए की लागत के हाथकरघा वस्त्रों का व्यवसाय किया गया है। इसमें सर्वाधिक योगदान स्कूल शिक्षा विभाग के माध्यम से गणवेश वितरण का है. गणवेश सिलाई के काम में 8700 महिलाओं को रोजगार मिल रहा है.
ग्रामोद्योग विभाग के सचिव हेमंत पहारे ने बताया कि इस वर्ष 1200 बुनकरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. बुनकर परिवारों के छात्र-छात्राओं के लिए प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के तहत 10वीं और 12वीं उत्तीर्ण प्रतिभावान 885 छात्राओं को कुल 36 लाख 77 हजार रुपए की पुरस्कार राशि, उच्च शिक्षा में अध्ययनरत दो छात्रों को 10-10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि, सात वरिष्ठ बुनकरों को 5501 रुपए के मान से प्रोत्साहन राशि दी जा रही है.