रायपुर। औद्योगिक उन्नति किसी भी राज्य के विकास का सर्वश्रेष्ठ मापदंड होता है। उद्यमिता के क्षेत्र में हुए विकास को भी उस क्षेत्र का सर्वांगीण विकास माना जा सकता है। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में औद्योगिक क्षेत्र में जो प्रगति हुई है उसकी मिसाल राष्ट्रीय स्तर पर भी दी जा रही है। मुख्यमंत्री साय ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की “नई औद्योगिक नीति न केवल उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा देती है, बल्कि रोजगार सृजन और आर्थिक समृद्धि पर भी जोर देती है। हमारा लक्ष्य अमृतकाल-छत्तीसगढ़ विजन 2047 नवा अंजोर के तहत विकसित भारत के निर्माण में योगदान देना है।”

हाल ही में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने रायपुर के सेक्टर-05 स्थित एस्पायर फार्मास्यूटिकल्स की नवनिर्मित इकाई का भव्य शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि कोविड के कठिन दौर में दवाइयों की किल्लत को देखते हुए इस इकाई के निर्माण का सपना देखा गया था और आज वह साकार हुआ है। राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा कि “फार्मास्यूटिकल्स की  इकाई का शुभारंभ प्रदेश के औद्योगिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति निवेशकों को आकर्षित कर रही है.

इस नीति की वजह से पिछले छह माह में ही अब तक लगभग 6.75 लाख करोड़ रूपए का निवेश आ चुका है। इसमें पावर सेक्टर में तीन लाख करोड़ निवेश के प्रस्ताव मिले हैं, जिनमें से कई परियोजनाओं पर कार्य आरंभ हो चुका है। राज्य सरकार औद्योगिक इकाइयों के माध्यम से अधिक से अधिक रोजगार सृजन का कार्य कर रही है और ऐसी इकाइयों को विशेष प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है। सरकार ने “विकसित छत्तीसगढ़ 2047” की परिकल्पना के तहत विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश की सकल राज्यीय उत्पाद (GSDP) ₹5 लाख करोड़ है, जिसे 2030 तक ₹10 लाख करोड़ और 2047 तक ₹75 लाख करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।”

साय सरकार द्वारा लागू की गई नई औद्योगिक विकास नीति 2024-30 ने राज्य को निवेश और रोजगार के नए अवसर देने का काम किया है। इस नीति की सफलता के बाद निसंदेह छत्तीसगढ़ राज्य एक विकसित और आत्मनिर्भर औद्योगिक केंद्र के रूप में उभरेगा। 2030 तक लागू रहने वाली औद्योगिक विकास नीति का मुख्य उद्देश्य निवेश को प्रोत्साहित करना, रोजगार सृजन करना और आर्थिक विकास को गति देना है।

इस नीति में विभिन्न प्रोत्साहनों का प्रावधान किया गया है जिसमें ब्याज अनुदान, लागत पूंजी अनुदान, स्टाम्प शुल्क में छूट, विद्युत शुल्क में छूट, और मूल्य संवर्धित कर की प्रतिपूर्ति शामिल है। इसके अलावा औद्योगिक विकास नीति में पर्यावरणीय प्रोजेक्ट अनुदान, जल और ऊर्जा दक्षता व्यय की प्रतिपूर्ति, और ग्रीन हाइड्रोजन/कम्प्रेस्ड बॉयोगैस सेक्टर के लिए विशेष प्रोत्साहन को भी शामिल किया गया हैं। राष्ट्र के हर एक युवा को रोज़गार से जोड़ने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों को छत्तीसगढ़ की साय सरकार,औद्योगिक विकास नीति 2024-30 की मदद से आकर देने का काम कर रही है।इज ऑफ डूइंग बिजनेस में देश के अग्रणी राज्य बनते छत्तीसगढ़ की डबल इंजन सरकार से उद्योग जगत में ग़ज़ब की क्रांति देखने को मिल रही है।

औद्योगिक विकास नीति में रोजगार सृजन और प्रशिक्षण को दी जा रही वरीयता

छत्तीसगढ़ की सरकार का लक्ष्य टेक्सटाइल, फार्मा, एआई, डिफेंस, ऊर्जा और मेडिकल टूरिज्म – इन सभी क्षेत्रों में अगले पांच वर्षों में 5 लाख नए औपचारिक क्षेत्र के रोजगार सृजित कर छत्तीसगढ़ को अगले दशक की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनाना है। इसके लिए औद्योगिक विकास नीति में स्थानीय श्रमिकों को औपचारिक रोजगार में परिवर्तित करने के लिए प्रशिक्षण प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है इसके तहत 1000 से अधिक रोजगार प्रदान करने वाली इकाइयों को विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा।

छत्तीसगढ़ के युवाओं को स्वयं का व्यवसाय आरम्भ करने के लिए ‘उद्यम क्रांति योजना’ के तहत युक्त ऋण अनुदान प्रदान किए जाएंगे। केंद्रीय प्रसंस्करण इकाई जामगांव में 2000 से अधिक स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने की सम्भावना है।इससे आदिवासी वनवासी समुदायों के साथ ही महिलाओं को लघु वनोपजों के संग्रहण, प्राथमिक प्रसंस्करण कार्य में रोजगार और आय में वृद्धि के अवसर मिलेगा।

औद्योगिक विकास नीति में समावेशी विकास की योजना

औद्योगिक विकास नीति में अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला उद्यमियों, सेवानिवृत्त अग्निवीर, भूतपूर्व सैनिकों, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के उद्यमियों और तृतीय लिंग के उद्यमों को अतिरिक्त प्रोत्साहन देने का प्रावधान है।आदिवासी उद्यमियों के लिए रॉयल्टी रिइंबर्समेंट और सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा इस नीति में पहली बार सेवा क्षेत्र के एमएसएमई और वृहद सेवा उद्यमों के लिए पृथक-पृथक प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है, जिसमें इंजीनियरिंग सेवाएं, अनुसंधान और विकास, स्वास्थ्य, पर्यटन और मनोरंजन के क्षेत्र को भी शामिल किया हैं।

औद्योगिक कॉरिडोर और बुनियादी ढांचा विकास

छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने कोरबा-बिलासपुर-रायपुर क्षेत्र में औद्योगिक कॉरिडोर की स्थापना की योजना बनाई है जिससे राज्य के औद्योगिक विकास को निश्चित ही एक नई दिशा मिलेगी। इसके अलावा बस्तर क्षेत्र में रेल कनेक्टिविटी परियोजना के तहत कोठागुडेम (तेलंगाना) से किरंदुल (छत्तीसगढ़) तक की 160.33 किलोमीटर लंबी प्रस्तावित रेललाइन का सर्वे अंतिम चरण में है, जिससे सुदूर क्षेत्रों में परिवहन, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापार और औद्योगिक विकास के लिए बुनियादी सुविधाएं पहुंचेंगी।मुख्यमंत्री साय ने इस विषय में कहा था कि “रावघाट से जगदलपुर तक 3,500 करोड़ रूपए की रेललाइन की मंजूरी मिल चुकी है। कोठागुडेम से किरंदुल तक रेललाइन पर सर्वे शुरू हो गया है और खरसिया-परमालकसा रेललाइन औद्योगिक केंद्रों को जोड़ेगी। जलमार्ग संबलपुर से नवा रायपुर तक आरंभ होगा। एयर कार्गाे सेवाएं भी सक्रिय हो चुकी हैं।”

साय सरकार के दिशा निर्देश पर हर्बल और आयुर्वेदिक उत्पादों का प्रमुख केंद्र बनेगा छत्तीसगढ़

वन क्लिक सिंगल विंडो सिस्टम 2.0 से लैस छत्तीसगढ़ राज्य की नई उद्योग नीति में भी वनोपज प्रसंस्करण इकाईयों को थ्रस्ट सेक्टर में शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत के विजन को आकार देते हुए छत्तीसगढ़ की साय सरकार द्वारा स्थानीय उद्यमियों को गुणवत्तायुक्त उत्पाद तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी तारतम्य में राज्य के वनों में उपलब्ध लघु वनोपजों का स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण के लिए फारेस्ट टू फार्मेसी मॉडल की शुरुआत करते हुए प्रसंस्करण केंद्र छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा निर्मित, मध्य भारत की सबसे बड़ी और आधुनिक केंद्रीय प्रसंस्करण इकाई की स्थापना दुर्ग जिले के जामगांव (एम) में की गई है। 27.87 एकड़ में फैले इस इकाई का लोकार्पण हाल ही में राज्य के मुखिया ने किया है। हर वर्ष लगभग 50 करोड़ रूपए के आयुर्वेदिक औषधीय उत्पादों का उत्पादन एवं प्रसंस्करण करने वाली इस इकाई के साथ ही छत्तीसगढ़, भारत में हर्बल और आयुर्वेदिक उत्पादों के प्रमुख केंद्र के रूप में उभरने जा रहा है। छत्तीसगढ़ के वनोत्पाद के प्रसंस्करण और वैल्यूएडिशन पर विशेष फोकस किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ में बढ़ता निवेश और आर्थिक विकास

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि “पिछले डेढ़ वर्षों में 350 से अधिक संरचनात्मक सुधार लागू किए गए हैं, जिनसे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और स्पीड ऑफ डूइंग बिजनेस में अभूतपूर्व सुधार हुआ। प्रदेश में निवेश का वातावरण इतना सशक्त हुआ कि सिर्फ छह महीनों में साढ़े पांच लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए, जो छत्तीसगढ़ के औद्योगिक इतिहास में रिकॉर्ड है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु में आयोजित इंवेस्टर्स समिट से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों ने भारी उत्साह दिखाया। दिल्ली समिट में 15,184 करोड़ रूपए, मुंबई में 6,000 करोड़ रूपए और बेंगलुरु में ऊर्जा क्षेत्र में वृहद निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। छत्तीसगढ़ ने वित्तीय वर्ष 2025 में 1,63,749 करोड़ रूपए का निवेश आकर्षित किया, जो भारत के कुल निवेश का 3.71 प्रतिशत है।

पॉलीमैटेक कंपनी को सेमीकंडक्टर निवेश के लिए मात्र तीन महीनों में ज़मीन आवंटित कर एनओसी जारी की गई और अब कंपनी ने 1,143 करोड़ रूपए के प्रोजेक्ट पर कार्य आरंभ कर दिया है, जहां प्रतिवर्ष 10 अरब चिप उत्पादन का लक्ष्य है। हमारा लक्ष्य नवा रायपुर को सिलिकॉन वैली ऑफ छत्तीसगढ़’ के रूप में स्थापित करना है।निवेशकों की सुविधा के लिए सिंगल विंडो सिस्टम 2.0 विकसित किया गया है। यह प्रणाली ऑनलाइन आवेदन, विभागीय अनुमोदन और सब्सिडी वितरण को एकीकृत करती है। हमारी व्यवस्था इतनी पारदर्शी और तेज़ है कि उद्योग स्थापना की सभी स्वीकृतियां एक क्लिक में प्राप्त हो सकेंगी। छत्तीसगढ़ में एआई डाटा सेंटर पार्क देश का पहला पार्क है। फार्मा सेक्टर में फार्मा हब और मेडिसिटी का निर्माण हो रहा है। टेक्सटाइल और फार्मा में विशेष अनुदान उपलब्ध हैं।”

नई औद्योगिक नीति के बाद से ही छत्तीसगढ़ निवेशकों की पहली पसंद बना हुआ है जिसकी वजह से राज्य में कुल 1.23 लाख करोड़ रुपये के निवेश आने की सम्भावना है। बड़े निवेशों के चलते राज्य को विशेष आर्थिक क्षेत्र घोषित किया गया हैं। इसमें कोई दो मत नही कि बड़े निविशकों के छत्तीसगढ़ में निवेश से प्रदेश के युवाओं को बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे और राज्य की आर्थिक गति को नई रफ्तार मिलेगी। एक अनुमान के अनुसार इससे 20 हजार से अधिक युवा रोजगार से जुड़ेंगे। मुख्यमंत्री साय ने निवेशकों का स्वागत करते हुए कहा था कि “छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति रोजगार और आर्थिक समृद्धि पर केंद्रित है। हम अपने राज्य को नक्सल प्रभावित अतीत से बाहर निकालकर देश का सबसे गतिशील औद्योगिक और तकनीकी हब बना रहे हैं। यह प्रदेश अब निवेश का सबसे आकर्षक गंतव्य बन चुका है। एक दिन पूर्व ही आयोजित केबिनेट की बैठक में हमने छत्तीसगढ़ राज्य लॉजिस्टिक पॉलिसी-2025 के प्रारूप का अनुमोदन किया है। यह नीति छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगी। छत्तीसगढ़ की भौगोलिक स्थिति देश की कनेक्टिविटी का केंद्र बिंदु है। यह नीति लॉजिस्टिक सेक्टर और ई-कॉमर्स में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय निवेश को आकर्षित करेगी, निर्यात अधोसंरचना को मजबूत करेगी और सस्ती भंडारण सुविधाओं का विस्तार करेगी। लॉजिस्टिक नीति से राज्य में ड्राई पोर्ट, इनलैंड कंटेनर डिपो की स्थापना को प्रोत्साहन मिलेगा, उद्योग, व्यापार और किसानों को आधुनिक, सस्ती भंडारण और वितरण सुविधा प्राप्त होगी, लॉजिस्टिक लागत में कमी के माध्यम से व्यापार और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।”

कृषि और ग्रामीण विकास में भी निहित है औद्योगिक विकास

मुख्यमंत्री साय ने जशपुर जिले में एग्री-हॉर्टी एक्सपो और क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का वर्चुअल उद्घाटन किया, जिसका उद्देश्य किसानों को सीधे बाजार से जोड़ना और उनकी आय में वृद्धि करना है। इस आयोजन में किसानों को जियो मार्ट, देहात, हॉनेस्ट फॉर्म जैसी बड़ी कंपनियों से फसल अनुबंध के अवसर मिलेंगे।

राजस्व संग्रह में वृद्धि भी सहायक है औद्योगिक विकास में

अप्रैल 2025 में छत्तीसगढ़ ने ₹4,135 करोड़ का जीएसटी संग्रह कर एक महत्वपूर्ण आर्थिक मील का पत्थर हासिल किया है। इस उपलब्धि से उसने केरल, पंजाब, बिहार और झारखंड जैसे खनिज समृद्ध राज्यों को पीछे छोड़ते हुए देश के शीर्ष 15 जीएसटी संग्रहकर्ता राज्यों में स्थान प्राप्त किया है। यह सफलता मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में किए गए उद्योग और व्यापार क्षेत्र के सुधारों का परिणाम है। मुख्यमंत्री साय ने अधिकारियों से राज्य की जीएसडीपी, पूंजीगत व्यय और योजनाओं की वित्तीय प्रगति के विषय में चर्चा करते हुए कहा कि “राज्य सरकार की प्राथमिकता है कि वित्तीय संसाधनों का उपयोग पारदर्शिता और दक्षता के साथ किया जाए, ताकि जनकल्याणकारी योजनाएं निर्बाध रूप से संचालित हो सकें। राज्य की प्रगति उसकी वित्तीय स्थिरता पर निर्भर करती है। जितनी सशक्त वित्तीय व्यवस्था होगी, उतनी ही तेजी से हम विकास की दिशा में आगे बढ़ पाएंगे।”

1 जुलाई 2025 को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने रायपुर में आयोजित छत्तीसगढ़ इंडस्ट्री डायलॉग-2 के शुभारम्भ अवसर पर संबोधित करते हुए कहा था कि “छत्तीसगढ़ अब केवल कोर सेक्टर तक सीमित नहीं, बल्कि सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, फार्मा, डिफेंस, एयरोस्पेस और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे अत्याधुनिक उद्योगों का राष्ट्रीय केंद्र बनने के लिए तैयार है।” हाल ही में आयोजित इंडस्ट्री डायलॉग 2.0 में छत्तीसगढ़ को निवेशकों द्वारा 1.25 लाख करोड़ के नए निवेश प्रस्ताव मिले हैं।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने छत्तीसगढ़ के औद्योगिक क्षेत्र में समावेशी और सतत विकास के लिए ठोस कदम उठाए हैं।प्रधानमंत्री के विजन 2047 तक विकसित भारत और विकसित राज्य निर्माण की दिशा में काम किया जा रहा है। नई औद्योगिक नीति, निवेश प्रोत्साहन, रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे का विकास, और कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार जैसे उपायों से राज्य की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिली है।लॉजिस्टिक नीति और जन विश्वास विधेयक से छत्तीसगढ़ में विकास को नई गति मिल रही है और इन पहलों से छत्तीसगढ़ एक विकसित और आत्मनिर्भर राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है।