
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने हाई कोर्ट के 14 जजों को पोर्टफोलियो जज के रूप में नामित किया है. इस संबंध में हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने अधिसूचना जारी की है. जारी अधिसूचना में पोर्टफोलियो जज को जिले का आवंटन कर दिया है. अपने प्रभार वाले जिले में न्यायिक व्यवस्थाओं के अलावा प्रशासकीय कामकाज की भी मानिटरिंग करेंगे. यह भी पढ़ें : समायोजन की मांग कर रहे बीएड सहायक शिक्षक, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की वेशभूषा में निकाली रैली…
हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के विनोद कुजूर ने अधिसूचना जारी कर हाई कोर्ट के 14 जजों के नाम की सूची और उनके आगे प्रभार वाले जिले का नाम भी जारी किया है. जारी सूची में हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति जस्टिस संजय के. अग्रवाल को रायगढ़ एवं धमतरी के अलावा कोरबा एवं जांजगीर-चांपा, न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू को बिलासपुर, न्यायमूर्ति रजनी दुबे को रायपुर एवं कबीरधाम (कवर्धा), न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार व्यास को दुर्ग एवं बालोद, न्यायमूर्ति नरेश कुमार चंद्रवंशी को बेमेतरा एवं महासमुंद, न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी को राजनांदगांव एवं कोरिया (बैकुंठपुर) सिविल डिस्ट्रिक्ट का प्रभार सौंपा है.

इनके अलावा न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत को कोंडागांव एवं मुंगेली, न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडे को बलौदाबाजार एवं बस्तर (जगदलपुर), न्यायमूर्ति राधाकिशन अग्रवाल को बलरामपुर एवं रामानुजगंज, न्यायमूर्ति संजय कुमार जायसवाल को सरगुजा (अंबिकापुर), न्यायमूर्ति रवीन्द्र कुमार अग्रवाल को जशपुर, न्यायमूर्ति अरविन्द कुमार वर्मा को सूरजपुर, न्यायमूर्ति बिभु दत्त गुरु को दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा) और न्यायमूर्ति अमितेन्द्र किशोर प्रसाद को उत्तर बस्तर (कांकेर) सिविल डिस्ट्रिक्ट का प्रभार सौंपा है.
जारी अधिसूचना में चीफ जस्टिस के इस आदेश को एक अप्रैल से प्रभावशील बताया गया है. पोर्टफोलिया जज अपने प्रभार वाले जिले के जिला एवं सत्र न्यायालय का समय-समय पर निरीक्षण करेंगे. इस दौरान न्यायालयीन अधिकारियों के साथ ही अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगे. न्यायदान की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के साथ ही किसी तरह की व्यवहारिक व तकनीकी दिक्कतों को दूर करने की कोशिश भी करेंगे.
समस्याओं का करते हैं निराकरण
प्रभार वाले जिले में बार और बंेच के बीच समन्वय स्थापित करने के साथ ही वकीलों की समस्याओं का निराकरण करने के अलावा बार की तरफ से आने वाले सुझाव पर अमल करते हैं. न्यायालयीन कामकाज पर लगातार नजर भी रखते हैं. इसके अलावा कोर्ट परिसर में नए भवन या अन्य निर्माण कार्य को लेकर इनकी सहमति जरूरी रहती है. साथ ही जजों को जिलों से संबंधित अन्य कई दिए गए हैं. समय-समय पर इन जिला न्यायालयों की मानिटरिंग भी की जाती है.

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