रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है। बघेल ने 22 मार्च से लागू तालाबंदी के कारण राज्य के सामने आ रही वित्तीय कठिनाईयों की ओर उनका ध्यान दिलाया है। बघेल ने प्रदेश में जरूरतमंद लोगों को राहत देने और राज्य के कामकाज के संचालन और विकास गतिविधियों के लिए अधिक आर्थिक संसाधन जुटाने के उद्देश्य से राज्य को इस वर्ष उधार की सीमा जीएसडीपी के 6 प्रतिशत तक शिथिल करने और राज्य का वित्तीय घाटा इस साल जीएसडीपी का 5 प्रतिशत के बराबर रखने की सहमति प्रदान करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र में लिखा है कि कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के 22 मार्च से छत्तीसगढ़ सहित देश में की गई सम्पूर्ण तालाबंदी के कारण सभी आर्थिक गतिविधियां बंद है। जिससे राज्य के राजस्व में हानि हो रही है। बघेल ने लिखा है कि भारत सरकार द्वारा राज्य को इस वित्तीय वर्ष के प्रथम 9 माह के लिए राज्य की शुद्ध उधार सीमा के 50 प्रतिशत के बराबर 5375 करोड़ रूपए के बाजार ऋण की सहमति प्रदान की गई है। जो अपर्याप्त है। बघेल ने लिखा है कि चूंकि इस वर्ष राज्य की राजस्व प्राप्तियों में कमी की आशंका है, अतः राज्य की शुद्ध उधार सीमा तथा राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार निर्धारित वित्तीय घाटे की सीमा (राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 3 प्रतिशत) में शिथिलीकरण आवश्यक है। बघेल ने मोदी को याद दिलाया है कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन के समय से ही वित्तीय अनुशासन का कड़ाई से पालन करने वाला राज्य रहा है। वर्तमान में यह सबसे कम ऋण भार (जीएसडीपी का 19.2 प्रतिशत) तथा सबसे कम ब्याज भुगतान (कुल राजस्व प्राप्तियों का 7.4 प्रतिशत) करने वाला इस राज्य है। इसलिए इसे बढ़ाया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने लिखा है कि आपदा के समय असाधारण उपायों की आवश्यकता होती है। अतः राज्य को इस वर्ष उधार की सीमा जीएसडीपी के 6 प्रतिशत तक शिथिल करते हुए सहमति दी जाए। बघेल ने राज्य का वित्तीय घाटा भी इस वर्ष अपवाद के रूप में जीएसडीपी का 5 प्रतिशत के बराबर रखे जाने की भी मांग की है। उन्होंने कहा है कि वित्तीय आपदा में राज्य उठाये जा रहे अन्य कदमों के साथ इन शिथिलताओं से कुछ राहत मिलेगी। बघेल ने कहा है कि पूर्ण तालाबंदी ने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सबसे अधिक प्रभावित किया है- खासतौर से रोज़ कमाकर खाने वाले श्रमिक, छोटे दुकानदार एवं अधिकांश ग्रामीण परिवारुओ को। इसके अलावा किसानों को फसल काटने तथा उसे बेचने में कठिनायी आ रही है। चूंकि छत्तीसगढ़ की आबादी इन लोगों की ज़्यादा है। इसलिए राज्य द्वारा कई प्रकार के उपायों से उचित राहत प्रदान करना एक कठिन काम है। बघेल ने लिखा है कि राज्य के सभी विभागों को वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए बजट आवंटन जारी किया जा चुका है एवं मूलभूत आवश्यकताओं के लिए व्यय हेतु आर्थिक संसाधनों की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई है कि सम्पूर्ण देश तथा छत्तीसगढ़ में आयी इस आपदा के कठिन समय में केन्द्र सरकार द्वारा राज्य की इन न्यायोचित मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।
रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है। बघेल ने 22 मार्च से लागू तालाबंदी के कारण राज्य के सामने आ रही वित्तीय कठिनाईयों की ओर उनका ध्यान दिलाया है। बघेल ने प्रदेश में जरूरतमंद लोगों को राहत देने और राज्य के कामकाज के संचालन और विकास गतिविधियों के लिए अधिक आर्थिक संसाधन जुटाने के उद्देश्य से राज्य को इस वर्ष उधार की सीमा जीएसडीपी के 6 प्रतिशत तक शिथिल करने और राज्य का वित्तीय घाटा इस साल जीएसडीपी का 5 प्रतिशत के बराबर रखने की सहमति प्रदान करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र में लिखा है कि कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के 22 मार्च से छत्तीसगढ़ सहित देश में की गई सम्पूर्ण तालाबंदी के कारण सभी आर्थिक गतिविधियां बंद है। जिससे राज्य के राजस्व में हानि हो रही है। बघेल ने लिखा है कि भारत सरकार द्वारा राज्य को इस वित्तीय वर्ष के प्रथम 9 माह के लिए राज्य की शुद्ध उधार सीमा के 50 प्रतिशत के बराबर 5375 करोड़ रूपए के बाजार ऋण की सहमति प्रदान की गई है। जो अपर्याप्त है। बघेल ने लिखा है कि चूंकि इस वर्ष राज्य की राजस्व प्राप्तियों में कमी की आशंका है, अतः राज्य की शुद्ध उधार सीमा तथा राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार निर्धारित वित्तीय घाटे की सीमा (राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 3 प्रतिशत) में शिथिलीकरण आवश्यक है। बघेल ने मोदी को याद दिलाया है कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन के समय से ही वित्तीय अनुशासन का कड़ाई से पालन करने वाला राज्य रहा है। वर्तमान में यह सबसे कम ऋण भार (जीएसडीपी का 19.2 प्रतिशत) तथा सबसे कम ब्याज भुगतान (कुल राजस्व प्राप्तियों का 7.4 प्रतिशत) करने वाला इस राज्य है। इसलिए इसे बढ़ाया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने लिखा है कि आपदा के समय असाधारण उपायों की आवश्यकता होती है। अतः राज्य को इस वर्ष उधार की सीमा जीएसडीपी के 6 प्रतिशत तक शिथिल करते हुए सहमति दी जाए। बघेल ने राज्य का वित्तीय घाटा भी इस वर्ष अपवाद के रूप में जीएसडीपी का 5 प्रतिशत के बराबर रखे जाने की भी मांग की है। उन्होंने कहा है कि वित्तीय आपदा में राज्य उठाये जा रहे अन्य कदमों के साथ इन शिथिलताओं से कुछ राहत मिलेगी। बघेल ने कहा है कि पूर्ण तालाबंदी ने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सबसे अधिक प्रभावित किया है- खासतौर से रोज़ कमाकर खाने वाले श्रमिक, छोटे दुकानदार एवं अधिकांश ग्रामीण परिवारुओ को। इसके अलावा किसानों को फसल काटने तथा उसे बेचने में कठिनायी आ रही है। चूंकि छत्तीसगढ़ की आबादी इन लोगों की ज़्यादा है। इसलिए राज्य द्वारा कई प्रकार के उपायों से उचित राहत प्रदान करना एक कठिन काम है। बघेल ने लिखा है कि राज्य के सभी विभागों को वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए बजट आवंटन जारी किया जा चुका है एवं मूलभूत आवश्यकताओं के लिए व्यय हेतु आर्थिक संसाधनों की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई है कि सम्पूर्ण देश तथा छत्तीसगढ़ में आयी इस आपदा के कठिन समय में केन्द्र सरकार द्वारा राज्य की इन न्यायोचित मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।