रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 4 अगस्त को मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से गोधन न्याय योजना (Godhan Nyay Yojana) के तहत पशुपालक ग्रामीणों, गौठानों से जुड़ी महिला समूहों और गौठान समितियों को 6 करोड़ 50 लाख रुपये की राशि ऑनलाइन जारी करेंगे. जिसमें 16 जुलाई से 31 जुलाई तक राज्य के गौठानों में पशुपालक ग्रामीणों, किसानों, भूमिहीनों से क्रय किए गए गोबर के एवज में 2.17 करोड़ रुपये भुगतान, गौठान समितियों को 2.07 करोड़ और महिला समूहों को 1.37 करोड़ रुपये की लाभांश राशि शामिल हैं. गोधन न्याय योजना के तहत राज्य में अब तक हितग्राहियों को 301 करोड़ 42 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है. 4 अगस्त को 6.50 करोड़ के भुगतान के बाद यह आंकड़ा 307 करोड़ 92 लाख रुपये हो जाएगा.

गोधन न्याय योजना (Godhan Nyay Yojana) देश-दुनिया की इकलौती ऐसी योजना है, जिसके तहत छत्तीसगढ़ राज्य के गौठानों में 2 रुपये किलो की दर से गोबर और 4 रुपये लीटर की दर से गौमूत्र की खरीदी की जा रही है. गौठानों में 15 जुलाई तक खरीदे गए गोबर के एवज में गोबर बेचने वाले ग्रामीणों को 153.42 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया जा चुका है. 4 अगस्त को गोबर विक्रेताओं को 2.17 करोड़ रुपये का भुगतान होने के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 155.58 करोड़ रुपये हो जाएगा. गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को अब तक 152.90 करोड़ रुपये राशि का भुगतान किया जा चुका है. गौठान समितियों और स्व-सहायता समूह को 4 अगस्त को 3.43 करोड़ रुपए के भुगतान के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 156.36 करोड़ रुपये हो जाएगा.

गौठानों में महिला समूहों द्वारा गोधन न्याय योजना के अंतर्गत क्रय गोबर से बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट प्लस एवं अन्य उत्पाद तैयार किया जा रहा है. महिला समूहों की ओर से 17 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट और 5 लाख 19 हजार क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट और 18 हजार 924 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस खाद का निर्माण किया जा चुका है, जिसे सोसायटियों के माध्यम से शासन के विभिन्न विभागों और किसानों को रियायती दर पर प्रदाय किया जा रहा है. महिला समूह गोबर से खाद के अलावा गो-काष्ठ, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां एवं अन्य सामग्री का निर्माण और विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं. गौठानों में महिला समूहों की ओर से इसके अलावा सब्जी समेत मशरूम का उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन एवं पशुपालन के साथ-साथ अन्य आय मूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिला समूहों को अब तक 77 करोड़ 34 लाख रुपये की आय हो चुकी है. राज्य में गौठानों से 13,969 महिला स्व-सहायता समूह सीधे जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 83,874 है. गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत उत्पादन की शुरुआत की जा चुकी है.

 उल्लेखनीय है कि गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की शुरूआत भी रायपुर के हीरापुर-जरवाय गौठान में हो चुकी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप गौठानों को रूरल इण्डस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है. यहां आयमूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए तेजी से कृषि और वनोपज आधारित प्रसंस्करण इकाईयां, गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण के लिए यूनिटें स्थापित की जा रही हैं. 227 गौठानों में तेल मिल और 251 गौठानों में दाल मिल सहित मिनी राईस मिल एवं अन्य प्रकार यूनिटे स्थापित किए जाने का काम तेजी से जारी है.

राज्य में गोधन के संरक्षण और सर्वधन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है. गौठानों में पशुधन देख-रेख, उपचार और चारे-पानी का निःशुल्क बेहतर प्रबंध है. राज्य में अब तक 10,624 गांवों में गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 8408 गौठान निर्मित और 1758 गौठान निर्माणाधीन है. स्वावलंबी गौठानों ने अब तक स्वयं की राशि से 17 करोड़ 15 लाख रुपये का गोबर क्रय किया है. गोधन न्याय योजना से 2 लाख 52 हजार से अधिक ग्रामीण, पशुपालक किसान लाभान्वित हो रहे हैं. गोबर बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करने वालों में 45.98 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है. इस योजना से एक लाख 40 हजार से ज्यादा भूमिहीन परिवार लाभान्वित हो रहे हैं.

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