रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध जनकवि और गीतकार स्वर्गीय लक्ष्मण मस्तुरिया की 3 नवंबर को पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है. मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा है कि मस्तुरिया के गीतों में छत्त्तीसगढ़ की माटी की सौंधी महक और यहां के लोक-जीवन की झलक रहती थी. उन्होंने अपने सु-मधुर और दिलकश आवाज की बदौलत छत्तीसगढ़ के हर वर्ग के दिलों में जगह बनाई.

प्रसिद्ध जनकवि और गीतकार स्वर्गीय लक्ष्मण मस्तुरिया को 1970 के दशक में दुर्ग के बघेरा निवासी दाऊ रामचन्द्र देशमुख द्वारा स्थापित लोकप्रिय सांस्कृतिक संस्था ‘चंदैनी गोंदा’ के गीतकार के रूप में पहचान मिली. इस संस्था में उनका गीत ‘मोर संग चलव रे-मोर संग चलव जी’ काफी लोकप्रिय हुआ.

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लक्ष्मण मस्तुरिया ने वर्ष 1974 में नई दिल्ली के लाल किले में गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में काव्यपाठ किया. उन्होंने कुछ समय तक ‘लोकसुर’ नामक मासिक पत्रिका का भी सम्पादन और प्रकाशन किया. उन्होंने कई छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए लोकप्रिय गीतों की रचना की. कलाजगत में उनके इस योगदान को हमेशा याद किया जाएगा.

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