रायपुर. ग्राम पंचायत के सरपंच से सीएम बनने तक का विष्णुदेव साय का सफर रोचक और प्रेरणाकारी है. 21 फरवरी 1964 को छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के ग्राम बगिया में जन्म लेने वाले विष्णुदेव साय की पारिवारिक पृष्ठ भूमि एक राजनैतिक परिवार से रही. साय मूलतः किसान परिवार से हैं. इनके बड़े पिताजी नरहरि प्रसाद साय, स्व. केदार नाथ साय विधायक और सांसद रहें.
बता दें कि विष्णुदेव साय के दादा बुद्धनाथ साय भी सन् 1947 से 1952 तक विधायक रहे. विष्णुदेव साय 1990 में ग्राम पंचायत बगिया के निर्विरोध चुने गये. इसी साल पहली बार अविभाजित मध्यप्रदेश विधानसभा के तपकरा विधानसभा के विधायक बनें. 1990 से 1998 तक दो बार उन्होंने तपकरा विधानसभा से विधायक के रूप में निर्वाचित होकर अपने दायित्व का निर्वाहन किया. 1999 में तेहरवीं लोकसभा, 2004 में चैदहवीं लोकसभा, 2009 में पंद्रहवीं लोकसभा और 2014 में सोलहवीं लोकसभा के लिए रायगढ़ छत्तीसगढ़ से सांसद चुने गए. साल 2014 से 2019 तक केन्द्रीय राज्य मंत्री इस्पात खान श्रम रोजगार मंत्रालय का प्रभार भी प्राप्त हुआ. सीएम साय ने अपनी प्रत्येक भूमिका के साथ न्याय किया.
विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ के प्रथम आदिवासी मुख्यमंत्री हैं. वैसे आदिवासी कहते ही हमारे मन में एक ऐसी आकृति बनती है, जिसमें सहजता सरलता और उदारता का बोध होता है. प्रकृति के निकट हमारे आदिवासी भाई-बहनों के व्यक्तित्व और व्यवहार में प्रकृति की ही तरह निर्मलता और उदारता दिखती है और यह सभी गुण सभी विशेषताएं विष्णुदेव साय के व्यक्तित्व और व्यवहार में परिलक्षित होती है.
लाखों करोड़ों व्यक्ति इस धरा पर आते हैं और गुमनाम चले जाते हैं. इनमें से कभी-कभी ऐसा व्यक्ति भी आता है जो अपना मनुष्य जन्म सार्थक बनाता है और साथ में लाखों-करोड़ों लोगों का पथ-प्रदर्शन करता है, तो कोई भी व्यक्ति माॅ के गर्भ से महान होकर नहीं आता. जन्म के बाद परिवार, समाज और देश के परिवेश से संस्कार ग्रहण करता हुआ अपने पुरूषार्थ, त्याग, सेवा और प्रेम जैसे उद्धांत गुणों से स्वयं को तराशता है. खदान से जब हीरा निकलता है तो वह काला होता है, लेकिन तराशने पर उसमें चमक पैदा होती है. जन्म से न कोई अच्छा होता है न बुरा. हर व्यक्ति स्वाध्याय और सत्संग से स्वयं को निखारता है और चारों ओर अपनी आभा बिखेरता है.
कौन जानता था कि एक सामान्य परिवार में जन्मा हुआ व्यक्ति न केवल नए प्रदेश छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनेगा, अपितु उसकी गणना आदिवासी गौरव के रूप में होगी, राजनीति काजल की कोठरी है, विष्णुदेव साय इसके अपवाद हैं. वे निर्विवाद रूप से उदार, चरित्रवान, बेदाग जनप्रिय नेता हैं. महानता का पथ उबड़-खाबड़ और कष्ठ साध्य होता है. राग-द्वेष, अपना-पराया, पद लिप्सा और प्रतिशोध कुछ ऐसी मानवीय कमजोरियां है, जिनसे ऊपर उठना सामान्य व्यक्ति के लिए असंभव नहीं, तो कठिन अवश्य है. राजनीति में प्रतिद्वंदी का नुकसान एक सामान्य लक्ष्य होता है.
मुखिया का अर्थ होता है- ‘मुख‘. भोजन मुख ग्रहण करता है और सम्पूर्ण शरीर का समान रूप से पोषण करता है. जो दिन-दुखियों की पीड़ा को महसूस करता है, उसका हित-चिंतन करता है. वह दीनबन्धु हो जाता है, जननायक हो जाता है. ऐसा व्यक्ति किसी जाति, धर्म, पंथ से ऊपर होता है, उनके जीवन ध्येय केवल और केवल जनता जनार्दन की सेवा करना परसेवा और परमार्थ के लिए अपना जीवन समर्पित करना होता है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ऐसी ही व्यक्तित्व के अद्वितीय उदाहरण हैं.
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