सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। अपने बच्चों को हर कोई अच्छी शिक्षा देना चाहता है लेकिन निजी स्कूल की महंगी पढ़ाई के वजह से जो परिवार अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ाई कराने से वंचित थे। ऐसे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चों को अच्छी अंग्रेजी शिक्षा देने के लिए राज्य की भूपेश सरकार ने प्रदेश भर में 52 स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल की शुरुआत इस साल कर दी गई है। लेकिन मुख्यमंत्री की इस स्वर्णिम पहल को राज्य के अधिकारी ही पलीता लगाने में लगे हुए हैं।

दरअसल राज्य सरकार ने इंग्लिश मीडियम स्कूल खोल तो लिए हैं लेकिन इन स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों की भर्ती अभी तक नहीं हो पाई है। जिसकी वजह से इन स्कूलों में एडमिशन ले चुके छात्र अब तक पढ़ाई से वंचित हैं।

शिक्षकों की भर्ती में हो रही देरी को लेकर लोक शिक्षण संचालक जितेंद्र शुक्ला का कहना है कि कुछ जिलों में भर्ती कर लिया गया है कुछ जिलों में भर्ती होना बाकी है, इसलिए जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करें, ताकि शिक्षकों की भर्ती हो सके और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो।

इधर राजधानी रायपुर ही अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की भर्ती में पिछड़ गया है। भर्ती प्रक्रिया के लिए निर्धारित की गई समयावधि भी बीत चुकी है लेकिन अभी तक शिक्षकों की भर्ती ही नहीं हो पाई है। इस मामले में रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी जीआर चंद्राकर का कहना है कि सीधी भर्ती के लिए 27 सितंबर को रायपुर में विज्ञापन जारी हुआ था। एक माह के भीतर भर्ती प्रक्रिया पूरी करना था। फिलहाल भर्ती प्रक्रियाधीन है बहुत जल्द लिस्ट निकाल दिया जाएगा।

उधर प्रदेश भर में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया के लेट होने के पीछे विभाग के लोगों का ही कहना है कि पूरी प्रक्रिया एप्रोच की वजह से फंस गई है। सूत्रों के मुताबिक सूची में नाम तय होने और कटने का सिलसिला लगातार जारी है। उनका यह भी कहना है कि अधिकारियों के लिए यह मुश्किल हो गया है कि किसकी सिफारिश मानें और किस की ठुकराएं। यही वजह है कि नवंबर महीने की शुरुआत हो गई है और आज तक पूरी प्रक्रिया लंबित पड़ी हुई है।

इसके साथ ही शिक्षा विभाग का यह भी दावा है कि स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की पढ़ाई जरा भी प्रभावित नहीं हो रही है, सभी क्लास नियमित रूप से लिया जा रहा है। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि जब स्कूलों में पढ़ाई जारी है तो फिर शिक्षकों के भर्ती की आवश्यकता ही क्यों है ? बताया तो यह भी जा रहा है कि इन स्कूलों में प्रतिनियुक्ति पर शिक्षक लिए गए हैं। ऐसे में उन स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई पर क्या इसका असर नहीं पड़ रहा होगा ?