रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे भारत सरकार द्वारा जारी कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020 को वापस लेने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि भारत सरकार द्वारा 5 जून को जारी यह अध्यादेश कृषकों के हित में नहीं है, रोजगार के अवसरों को कम करने वाला और संघीय ढांचे की मान्य परंपराओं के विपरीत है।
मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है, राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है और लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि गतिविधियों में संलग्न है। राज्य में लगभग 85 प्रतिशत लघु एवं सीमांत कृषक है तथा राज्य के लगभग तीन चौथाई क्षेत्र पिछड़े एवं वन क्षेत्र हैं, जहां पर राज्य के लगभग 80 प्रतिशत अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के लोग निवासरत हैं।
उन्होंने लिखा है कि प्रदेश सरकार द्वारा उन्नत तकनीक, गुणवत्तायुक्त बीज तथा कृषकों के हित में संचालित विभिन्न योजनाओं के माध्यम से धान, मक्का, गन्ना तथा सोयाबीन के उत्पादन में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, प्रदेश मंे मुख्य रूप से धान की फसल ली जाती है। कृषकों द्वारा उत्पादित धान का उपार्जन समर्थन मूल्य पर भारतीय खाद्य निगम की ओर से छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित रायपुर द्वारा किया जाता है और प्रदेश से भारतीय खाद्य निगम को देश के लिए उसना चावल की आपूर्ति की जाती है, जिसके फलस्वरूप देश में लोगों को खाद्यान्न की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकी है और देश कोविड-19 जैसी महामारी से विश्वास पूर्वक लड़ने में सक्षम हो सका है।
बघेल ने पत्र में लिखा है कि भारत सरकार द्वारा 05 जून 2020 को जारी कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020 द्वारा कृषक एवं व्यापारी को कृषक उत्पाद के क्रय-विक्रय करने की स्वतंत्रता देते हुए मंडी प्रांगण-उपमंडी प्रांगण के बाहर विक्रय अधिसूचित कृषि उपज के क्रय-विक्रय पर मंडी शुल्क से छूट एवं बगैर लाइसेंस के स्थायी खाता संख्या (PAN) कार्डधारी व्यापारी को कृषि उपज के क्रय-विक्रय करने की अनुमति दी गई है। वैविध्यपूर्ण हमारे देश के भिन्न-भिन्न भू-भागों पर भिन्न-भिन्न किस्म की कृषि उपज उत्पादित की जाती है और जिनके विपणन की रीतियों कृषकों के तत्स्थानी स्वभाव एवं स्थितियों से प्रभावित होती है और यही कारण है कि प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची 2 की प्रविष्टि 14, 26, 28 एवं 66 के अनुसार अपने प्रदेश की कृषि उपजों एवं स्थानीय विपणन रीति को दृष्टिगत रखते हुए मंडी अधिनियम बनाकर कृषि उपजों के विपणन को इस प्रकार विनियमित किया गया है कि बाजार की कुरीतियों को समाप्त कर असंगठित कृषकों का हित संरक्षित किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि कृषक संसार का वह अनोखा उत्पादक है जो कि अपने उत्पादन का मूल्य निर्धारित नहीं कर सकता है अपितु कृषक के उत्पादन का मूल्य बाजार द्वारा निर्धारित होता है। कृषि उत्पादन में वृद्धि के समस्त प्रयत्न तब तक कृषक हित में निरर्थक एवं अलाभकारी है, जब तक कृषि उपज का समुचित मूल्य पर विपणन सुनिश्चित न हो सके। इसी उद्देश्य की प्राप्ति हेतु मंडी अधिनियम लागू किया गया है, जिसमें समय-समय पर भारत सरकार द्वारा दिए गए निर्देशानुसार संशोधन कर निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र में पारदर्शी एवं प्रतिस्पर्धात्मक प्रणाली को विकसित करने हेतु एकल पंजीयन, आनलाईन ट्रेडिंग, निजी मंडी प्रांगण, निजी उपमंडी प्रांगण, सीधी खरीदी, एकल बिन्दु मंडी शुल्क तथा पशुधन के विपणन को भी मंडी अधिनियम के अंतर्गत लाए जाने का प्रावधान-संशोधन किया गया है।
बघेल ने पत्र में लिखा है कि मंडी अधिनियम वर्तमान परिवेश में सर्वथा युक्ति-युक्त है तथापि यदि कोई सुधार वांछित या अपेक्षित हो तो राज्य सरकार वैसा करने हेतु सक्षम एवं तत्पर है। मंडी अधिनियम को अपरोक्ष रूप से प्रभावहीन कर दिए जाने से असंगठित क्षेत्र के लाखों कृषकों को निरंकुश बाजार शक्तियों के अधीन कार्य करने विवश होना पड़ेगा। प्रभावशील मंडी अधिनियम के अंतर्गत कृषक अपनी कृषि उपज को प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर कहीं भी विक्रय कर सकता है और कृषक से कोई मंडी शुल्क नहीं लिया जाता है। जारी अध्यादेश के अनुसार मंडी प्रांगण के भीतर मंडी शुल्क लागू रहने एवं मंडी प्रांगण के बाहर मंडी शुल्क से छूट होने से असमतुल्य परिस्थिति निर्मित होगी एवं व्यापारी शुरूआत में कृषकों को लुभाने के लिए मंडी प्रांगण में प्रचलित कीमत से अधिक कीमत, मंडी प्रांगण के बाहर प्रदाय कर सकता है, जिससे मंडी प्रांगण में आवक पूरी तरह से बंद होने की संभावना है। मंडी बंद होने से मंडियों में कार्यरत हजारों हम्मालों, तुलैयों तथा अपरोक्ष रूप से जुड़े हुए व्यवसायियों के बेरोजगार होने तथा हजारों अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है जो कल्याणकारी राज्य के हित में नहीं है। वैसे भी कोविड-19 के कारण देश में रोजगार के अवसर कम हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने लिखा है कि मंडी बंद होना कृषकों के दीर्घकालिक हित में नहीं होगा क्योंकि मंडी प्रांगण के भीतर कृषक के कृषि उपज का मूल्य निर्धारण खुली नीलामी पद्वति-इलेक्ट्रॉनिक निविदा बोली से होता है, जिससे उनकी उपज का प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य प्राप्त होता है। मंडी प्रांगण के बाहर बिना नीलामी प्रतिस्पर्धा एवं प्रचलित बाजार भाव की जानकारी के अभाव में कृषकों को उपज की कम कीमत प्राप्त होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध किया है कि जारी अध्यादेश कृषक हित में नहीं होने एवं रोजगार के अवसर को कम करने तथा संघीय ढांचे की मान्य परंपरा के विपरीत होने के कारण वापस लिए जाने योग्य है। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया है कि प्रधानमंत्री द्वारा इस संबंध में कृषकों के हित में त्वरित निर्णय लिया जाएगा।