Delhi IAS Coaching Incident: दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर (Old Rajendra Nagar) के कोचिंग इंस्टिट्यूट में तीन छात्रों की मौत मामले में मुख्य सचिव की रिपोर्ट आ गई है। यह रिपोर्ट सात पन्नों में है। रिपोर्ट में हादसे के पीछ इंस्टिट्यूट मालिक की लापरवाही, पुराना ड्रेनेज सिस्टम और मंत्री के पास पेंडिंग फाइल को कारण माना गया है। चीफ सेक्रेटरी की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोचिंग के जिस बेसमेंट में तीनों छात्रों की मौत हुई, वहां सटी नालियां जाम थीं। बारिश सीजन में भी इसे साफ नहीं किया गया, नतीजा तीन छात्रों की मौत।

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रिपोर्ट में कोचिंग इन्स्टिट्यूट को मुख्य रूप से जिम्मेदार बताया गया है। दावा किया गया है कि जो ड्रेनेज सिस्टम बनाया गया था, उसके ऊपर रैंप बना दिया गया, जिसकी वजह से पानी जब पूरे इलाके में भरा तो ड्रेनेज सिस्टम में नहीं जा पाया और फिर पानी बेसमेंट की ओर मुड़ गया।

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साथ ही मुख्य सचिव ने दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज पर भी सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट में यह लिखा है कि साल 2023 में दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए स्ट्रॉम वाटर ड्रेनेज एंड ड्रेनेज एक्ट फॉर एनसीटी ऑफ दिल्ली की फाइल अबतक तैयार नहीं हो पाई है। पिछले 5.5 महीने से सौरभ भारद्वाज ने इस फाइल को अपने पास रख रखा है, जिसकी वजह से इस दिशा में कोई कठोर कानून नहीं बनाया जा सका है।

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दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम काफी पुराना है!

रिपोर्ट में दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम को लेकर भी कई सारी बातें की गई हैं। साल 2023 में यमुना रिवर में जब बहुत ज्यादा पानी आया था, उसके बाद दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम को लेकर कई तरह के सवाल पैदा हुए थे। इस घटना के बाद से मल्टीपल एजेंसीज के साथ बैठकर इस वॉटर लॉगिंग के इंस्टेंस को डिस्कस किया गया था और जॉइंट मीटिंग में जिसमें दिल्ली सरकार के आला अधिकारी और मंत्री शामिल थे, उसमें एक कंसोलिडेटेड ड्रेन मैनेजमेंट जिसमें दिल्ली के 18 ड्रेन शामिल हैं, उसको लेकर बात हुई थी। इसी मीटिंग में दिल्ली के मास्टर ड्रेनेज प्लान को लेकर भी बात हुई थी। इसके बावजूद कोई काम नहीं हुआ।

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मंत्री ने लटकाई फाइल

मुख्य सचिव की रिपोर्ट में लिखा गया है कि इस मीटिंग में जो कोई भी निर्णय लिया गया, उसको तत्कालीन मंत्री सौरभ भारद्वाज को 21.08.2023 को सौंप दिया गया था। इसके आधार पर सौरभ भारद्वाज ने 02.02.2024 को सभी स्टेकहोल्डर के साथ एक मीटिंग करने की बात की और अपने-अपने प्रजेंटेशन देने को कहा था। इस मीटिंग में सभी स्टेकहोल्डर के साथ जो कुछ भी बात हुई, उसकी प्रगति रिपोर्ट को 29.7.2024 को सौरव भारद्वाज के सामने में सबमिट कर दिया गया था। I & FC डिपार्टमेंट ने यह तय किया की दिल्ली में 22 ऐसे ओपन ड्रेन्स हैं जो यमुना रिवर में गिर रहे हैं, उसको ठीक करने की जरूरत है और इसको लेकर 29 अप्रैल 2024 को एक रिपोर्ट सौंपी गई थी।

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मास्टर ड्रेनेज प्लान दिल्ली के लिए

रिपोर्ट में दिल्ली के पुराने ड्रेनेज सिस्टम को हादसे के पीछे एक बड़ा कारण माना गया है। रुपोर्ट में है है कि मास्टर प्लान 1976 में बनाया गया, जिसे पूरी तरीके से 1980 में लागू किया गया और यही प्लान जिसमें नई ड्रेन का कंस्ट्रक्शन वगैरह होना था, वह 1995 में लागू हुआ। 1995 से लेकर 2012 तक कोई नया ड्रेनेज मास्टर प्लान नहीं बनाया गया। 2012 में आईआईटी दिल्ली को एक नया प्लान बनाने को कहा। आईआईटी दिल्ली ने यह प्लान 2018 में सबमिट किया और इस प्लान को दिल्ली सरकार ने 2021 में एक्सेप्ट किया, लेकिन 6.9.2021 को दिल्ली सरकार के द्वारा सेपरेट ड्रेनेज मास्टर प्लान नजफगढ़ बेसिन के लिए बारापुला बेसिन के लिए और ट्रांस यमुना बेसिन के लिए बनाने की संतुति दी गई।

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इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इस पूरे मामले को लेकर फाइल मोमेंट जो है वह दिल्ली सरकार के मंत्री के पास 21.8.2023 से लेकर 22.02.024 तक लगभग 5.5 महीने तक पड़ी रही, जिस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। चीफ सेक्रेटरी के रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस बेसमेंट में तीनों छात्रों की मौत हुई, वह बेसमेंट जिस सड़क से या गली से जुड़ी हुई थी, वह मास्टर प्लान दिल्ली के मुताबिक कमर्शियल रोड था और बिल्डिंग से सटी हुई नालियों के ऊपर रैम्स कंस्ट्रक्शन बना कर चोक कर दिया गया था। इसकी वजह से जितना भी स्ट्रॉम वाटर था, वह ड्रेनेज सिस्टम में नहीं जाकर सड़क पर ब्लॉक हो गया था।

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रिपोर्ट में मुख्य सचिव ने एक तस्वीर का भी जिक्र किया है, जिसके माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई है कि किस तरीके से उसे इंस्टिट्यूट के सामने पूरे एरिया को कवर करके रखा गया था। इसे जेसीबी मशीन से ड्रिल करके फिर साफ किया गया, तब जाकर जो ड्रेनेज सिस्टम है, वहां तक मशीन पहुंच पाई। यह फोटो बताने के लिए काफी है कि किस तरीके से उसे पूरे ड्रेनेज सिस्टम को सील किया गया था।

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