Child Care Tips: आजकल पेरेंट्स अपनी सुविधा के लिए छोटे बच्चों को लंबे समय तक डायपर पहनाकर रखते हैं. डायपर पहनने की वजह से शिशु को प्राइवेट पार्ट में खुजली, रैशेज और जलन की समस्या होती है. विशेषकर मानसून के मौसम में डायपर रैशेज (Diaper Rashes) की समस्या ज्यादा होती है. इसका मुख्य कारण है हवा में नमी और बैक्टीरिया का ज्यादा होना. मानसून में अगर आपका शिशु भी डायपर रैशेज की समस्या से जूझ रहा है तो हम आपको इस समस्या से राहत पाने के उपाय (Child Care Tips) बताएंगे.

जानिए किन कारणों से होते हैं Diaper Rashes:

पहली बार पेरेंट्स बनाने वालों को इस बात की जानकारी ही नहीं होती है कि मानसून में बच्चों को डायपर रैशेज होने का कारण क्या है. किसी भी बीमारी का इलाज तब किया जाता है जब उसके कारणों का पता हो. इसलिए मानसून में डायपर रैशेज क्यों होते हैं इसका कारण पता करना ज्यादा जरूरी है. आइए जानते हैं इसके बारे में (Child Care Tips).

1-गीली, नम त्वचा होने के कारण स्किन की बाहरी परत डैमेज हो जाती है और त्वचा पर चकत्ते आ जाते हैं. 

2-इस मौसम में हवा में नमी ज्यादा होती है. ऐसे में जब शिशु को डायपर पहनाया जाता है तो पसीना ज्यादा आता है और इसकी वजह से रैशेज की समस्या होती है.

3-डायपर के कारण शिशु को पसीना और ह्यूमिडिटेशन की समस्या ज्यादा होती है. इसकी वजह से त्वचा पर चकत्ते और लालिमा की समस्या हो सकती है.

4-बच्चों को यूरिन इन्फेक्शन के कारण भी डायपर रैशेज की समस्या होती है.

मानसून में डायपर रैशेज से बचाव के तरीके (Child Care Tips)

प्राइवेट पार्ट को साफ रखें

शिशु के डायपर को बदलते समय प्राइवेट पार्ट को हमेशा पहले गीले कपड़े से पोंछकर साफ करें. गीले कपड़े से निजी क्षेत्रों को साफ करने से बैक्टीरिया और इंफेक्शन वाले कीटाणुओं को खत्म करने में मदद मिलती है. इसके बाद प्राइवेट पार्ट को सूख कपड़े से साफ करें. अगर संभव हो तो प्राइवेट पार्ट को डायपर बदलने से पहले 10 मिनट खुला रखें. ताकि वह सही तरीके से सूख जाए, तो रैशेज का खतरा कम हो.

अच्छी क्वालिटी का डायपर इस्तेमाल करें

यूं तो पेरेंट्स अपने शिशु के लिए सब कुछ अच्छा ही चुनते हैं, लेकिन डायपर के मामले अक्सर गलती कर जाते हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून या किसी भी सीजन में डायपर रैशेज से बचने के लिए ज्यादा सोखने वाले डायपर का इस्तेमाल करना चाहिए. ज्यादा सोखने वाले डायपर को बार-बार बदलने की जरूरत नहीं होती है. 

4 से 5 घंटे पर डायपर बदलें (Child Care Tips)

डॉक्टर के अनुसार, सही समय पर डायपर बदलने से नम डायपर में बैक्टीरियल और यीस्ट बनने से रोका जा सकता है. लंबे समय तक गीले डायपर के त्वचा पर रगड़ने से होने वाले घर्षण के कारण भी रैशेज होते हैं. इसलिए हर 3 से 4 घंटे पर डायपर को बदलना जरूरी है.

डायपर बदलने के बीच में सफाई करें

एलर्जी और त्वचा के संक्रमण को एक ही बार में रोकने के लिए डायपर को बदलते समय सफाई जरूर करें. अगर आपको ऐसा लगता है कि डायपर की रगड़ के कारण रैशेज हो रहे हैं, तो डॉक्टर की सलाह पर तेल या पाउडर का इस्तेमाल करें. आप चाहें तो रैशेज खत्म करने के लिए क्रीम या लोशन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

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