Child Influencer Income Tax Rules: आज के डिजिटल दौर में बच्चों की कमाई का मतलब अब सिर्फ पॉकेट मनी नहीं रहा. यूट्यूब चैनल, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसिंग, रियलिटी शो, टीवी सीरियल या फिल्मों में अभिनय, छोटी उम्र में भी बच्चे लाखों कमा रहे हैं. लेकिन इस कमाई के साथ आता है एक अहम सवाल, इनकम टैक्स का भुगतान आखिर करेगा कौन?

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Child Influencer Income Tax Rules

कमाई के दो चेहरे (Child Influencer Income Tax Rules)

बच्चों की आय आमतौर पर दो तरह की होती है-

  1. खुद की मेहनत से अर्जित इनकम: जैसे यूट्यूब से रेवेन्यू, किसी प्रतियोगिता की प्राइज मनी, टीवी/फिल्म में एक्टिंग की फीस.
  2. निवेश से आय: जब माता-पिता बच्चों के नाम पर एफडी, बॉन्ड या अन्य निवेश करते हैं और उस पर ब्याज या रिटर्न मिलता है.

पहले मामले में, यानी जहां आय बच्चे की प्रतिभा या मेहनत से आती है, उसे माता-पिता की इनकम में नहीं जोड़ा जाता. वहीं, निवेश से हुई आय आम तौर पर माता-पिता की इनकम में “क्लब” कर दी जाती है.

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कब नहीं जुड़ेगी इनकम माता-पिता के साथ (Child Influencer Income Tax Rules)

कुछ परिस्थितियों में बच्चे की आय पूरी तरह उसकी मानी जाती है-

  • बच्चा दिव्यांग हो.
  • बच्चा अनाथ हो.
  • बच्चा खुद की स्किल/टैलेंट से कमाई कर रहा हो.

इन मामलों में बच्चे का अलग से इनकम टैक्स रिटर्न भरना जरूरी है.

यूट्यूब और सोशल मीडिया की कमाई पर टैक्स (Child Influencer Income Tax Rules)

अगर बच्चा यूट्यूब या सोशल मीडिया से कमाता है, तो यह प्रोफेशनल इनकम मानी जाती है और “प्रॉफिट एंड गेन फ्रॉम बिजनेस ऑर प्रोफेशन” के तहत टैक्स लग सकता है.

खर्च जैसे, स्टूडियो का किराया, एडिटिंग सॉफ्टवेयर, इंटरनेट बिल टैक्स कैलकुलेशन से घटाए जा सकते हैं, बशर्ते इनके पुख्ता रिकॉर्ड और बिल मौजूद हों.

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धारा 44ADA का लाभ (Child Influencer Income Tax Rules)

इनकम टैक्स एक्ट की सेक्शन 44ADA के तहत, अगर सालाना आय ₹75 लाख से कम है, तो “प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन” का विकल्प मिल सकता है. इसमें कुल आय का केवल 50% ही टैक्सेबल माना जाता है.

उदाहरण

अगर कोई बच्चा सालाना ₹10 लाख कमा रहा है, तो टैक्स के लिए सिर्फ ₹5 लाख ही गिने जाएंगे. रिटर्न फाइल करने के लिए ITR-4 फॉर्म का इस्तेमाल होगा, जिसे बच्चे के कानूनी अभिभावक (माता-पिता) भर सकते हैं.

टैक्स बचाने के तरीके (Child Influencer Income Tax Rules)

बच्चों के नाम पर PPF, NPS, शिक्षा/स्वास्थ्य बीमा या अन्य टैक्स सेविंग स्कीम में निवेश करके टैक्स की देनदारी घटाई जा सकती है.

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