रायपुर। राष्ट्रीय बाल विज्ञान प्रदर्शनी में प्रदर्शित विभिन्न विषयों के मॉडल आगंतुकों के लिए उत्साह का केन्द्र बने हुए हैं। मॉडल देखने के बाद विज्ञान की जिज्ञासाओं और जीवन की चुनौतियों का समाधान का हल भी इन नन्हें बाल वैज्ञानिकों ने खोजा है। बीमारियों की जांच के सस्ते तरीके मॉडल के माध्यम से इजाद किए हैं।
प्राणयंत्र (Lung Function Test) मॉडल
राजस्थान से आए गर्वित और उनके साथी ने स्वास्थ्य एवं स्वच्छता विषय में प्राणयंत्र का मॉडल के माध्यम से बताया है कि राजस्थान में प्रतिवर्ष औसत 137 व्यक्तियों की मौत फेफड़ों की बीमारी से होती है। इसकी जांच के लिए रोगी को 250 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। स्वास्थ्य जांच की कीमत भी बहुत अधिक है। समस्या के समाधान के लिए 18 हजार रूपए की लागत से मशीन बनाई गई है, जो बीमारी की स्टेज को बताती है। जिसके आधार पर उपचार होगा। मशीन की कार्यप्रणाली में जब व्यक्ति मशीन में फूक मारता है और सॉस को मशीन में लेकर दो ग्राफ मशीन जो इस मशीन से जुड़े है। जिसमें एक में गुणात्मक जांच होती है जो बीमारी के नाम की पहचान करता है। दूसरी ग्राफ मशीन मात्रात्मक है।
डाइबिटिक फूट डिसिस डिटेक्टर (Diabetic Foot Diseases Detector)
मधुमेह ऐसी बीमारी है जो निरंतर बढती जा रही है और इस बीमारी का सीधा प्रभाव पैरों पर पड़ता है, जिसे Diabetic Foot कहा जाता है। इसकी जानकारी लोगों को प्रारंभिक अवस्था में नहीं हो पाती और जब होती है उस समय तक लोगों को पैर कटवाने की नौबत आ जाती है। इसी समस्या की पहचान का यंत्र का प्रदर्शन मॉडल के माध्यम से नोएडा के छात्र शिवम अग्रवाल और मनोज्ञया काबरा द्वारा किया जा रहा है। इस यंत्र का नाम FSR (Force Sensitive Resistors) है। यह यंत्र एक सामान्य और एक मधुमेह प्रभावित व्यक्ति के पैरों का प्रेशर नापकर बीमारी के बारे में बता देंगा। इस यंत्र को जूतों के तल्ले में लगाने पर यह बैटरी को चार्ज करने और एल.ई.डी. जलाने का काम भी करेगा। पैरों के प्रेशर के माध्यम से इस यंत्र को मात्र दो हजार पॉच सौ रूपए में बनाया गया है।
खेल-खेल में सीखे गणित
गणित को छोटे बच्चों को खेल-खेल में कैसे सिखाए इसके लिए राजस्थान से आए निहाल पंचाल ने अपने मॉडल के माध्यम से प्राथमिक कक्षा के बच्चों के लिए यह योग सिखाने का रचनात्मक तरीका प्रस्तुत किया है। मॉडल में बताया गया है कि यह एक से लेकर दस तक की संख्याओं में किन्हीं दो को जोड़ने पर क्या प्राप्त होगा। यह जानने के लिए उन्होंने एक बड़े बॉक्स का उपयोग किया है, जिसमे क्रम से अंक 0-9 तक लिखे हुए है। जैसे यदि सात और पॉच का योग प्राप्त करना है तो उसके नीचे की लकड़ी को खींचना पड़ता है यह सात के नीचे की लकड़ी खिंचने पर सात कंचे सबसे नीचे के बाक्से में आएगे साथ ही पॉच के नीचे की लकड़ी खिंचने पर पॉच कंचे निकल कर उसी बॉक्से में आते है अब सभी कंचों को गिनकर सात और पॉच का योग बारह प्राप्त किया जा सकता है।
गुणनफल सिखाने का बेहतर तरीका
इसी प्रकार प्रतिछेदी रेखाओं के प्रतिछेद बिंदुओं का उपयोग संख्याओं के गुणनफल प्राप्त करने में इन्होंने अन्य मॉडल प्रस्तुत किया है। इसमेें जितनी संख्या होगी उसके मान के आधार पर उतनी रेखांए होगी जैसे 32X21 को उसने मॉडल में दर्शाया है। प्रथम अंक 32 में दहाई अंक 3 के लिए तीन रेखांए, बाई ओर इकाई अंक 2 के लिए दो रेखा दाई ओर बनायी गयी है। साथ ही दूसरे अंक 21 दहाई अंक 2 के लिए दो रेखा नींचे एवं इकाई अंक 1 के लिए एक रेखा ऊपर की ओर खींचा है। सभी रेखाओं के प्रतिछेद बिंदुओं को गिनकर लिखा गया है। जैसा पहले प्रतिछेद बिंदु में छः बिंदु है, दूसरा प्रतिछेद बिंदु ऊपर में तीन और नीचे में चार है अर्थात 3$4¾7 जो गुणनफल का दहाई अंक होगा और दाई ओर का प्रतिछेद बिंदु गुणनफल का इकाई अंक होगा जो कि 2 है। अतः गुणनफल 32X21 का योग 672 प्राप्त होगा। यह गुणनफल को सिखाने का बेहतर तरीका है।