दीपक कौरव, नरसिंहपुर। सरकारी स्कूलों में लगातार शिक्षा का स्तर गिरता हुआ नजर आ रहा है। यहां बहुत कम संख्या में बच्चे पढ़ने के लिए जाते हैं। लेकिन आज भी बहुत से बच्चों का भविष्य सरकारी स्कूलों पर ही निर्भर है। लेकिन जब इनकी हालत ही जर्जर हो तो कैसे देश का भविष्य कैसे पढ़ेगा और कैसे आगे बढ़ेगा ?
दरअसल, शहर के बीचों-बीच बना शासकीय माध्यमिक कन्या शाला की बिल्डिंग 120 साल पुरानी है। यहां के बच्चों का कहना है कि काश हमारा स्कूल भी अच्छा बन जाता और हम भी अच्छे स्कूल में पढ़ते। इस स्कूल की जर्जर हालत को देखकर स्थानीय लोगों को भी तरस आता है।
वहीं बात करें शासकीय माध्यमिक शाला कांदेली की तो कक्षा 1 से लेकर आठ तक यानी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के भवनों की संख्या 1279 है। लेकिन इन स्कूलों में 83 स्कूलों की हालत इतनी जर्जर है कि बच्चों को स्कूल में बैठने से डर लगता है। डर के साए में यहां आगे बढ़ने और कुछ कर गुजरने का सपना देखा जाता है। लेकिन जर्जर सरकारी स्कूलों की हालत इतनी खराब हो चुकी हैं कि यहां ‘प्रवेश निषेध’ के पोस्टर भी लगा दिए गए हैं।
बता दें कि मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह भी इसी जिले से आते हैं। यहां प्राइवेट स्कूल भी संचालित होते हैं। लेकिन मंत्री बने 2 साल पूरे हो जाने के बावजूद भी जब शिक्षा मंत्री के जिले में बने सरकारी स्कूलों के भवनों की यह दुर्दशा है तो कैसे बच्चे इन स्कूलों में एडमिशन लेने की सोचें? ऐसे में अब देखना यह होगा कि क्या इनकी हालत सुधरेगी या फिर अगली बरसात में इन जर्जर स्कूलों में कोई बच्चा तिरपाल के सहारे अपना सुनहरा भविष्य देखते हुए मिलेगा ?
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