विक्रम मिश्र, हापुड़. प्रदेश में जहरीली कफ सिरप के बाद अब मिठाई और बेकरी उत्पाद भी जहर बनाकर लोगों की थाली में परोसे जा रहे हैं. राज्य सरकार और प्रशासन की लापरवाही का आलम यह है कि मिलावटी और खतरनाक खाद्य पदार्थ खुलेआम बेचे जा रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदकर बैठे हैं. मिलावटखोर लगातार लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं और कई बार तो इसकी कीमत जान गंवाकर चुकानी पड़ती है, फिर भी प्रशासन केवल दावे और बयानबाज़ी तक सीमित है.
ताजा मामला नगर क्षेत्र के पुराने बाजार का है, जहां जन्मदिन पार्टी के लिए मंगवाए गए केक को खाने के बाद कई बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ गई. उल्टी, चक्कर और बेचैनी जैसी शिकायतों के बाद परिजन घबरा गए और हड़कंप मच गया. परिजनों ने इसकी शिकायत पुलिस में दर्ज कराई, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि जिन अधिकारियों को सख्त कार्रवाई करनी थी, वहीं दोनों पक्षों को बुलाकर ‘जबरिया पंचायत’ कराने में जुट गए.
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मामले में दोनों पक्षों के बीच समझौता करा दिया गया, लेकिन जहरीले खाद्य पदार्थ बेचने वालों के खिलाफ न तो जांच हुई और न ही कोई कानूनी कार्रवाई. यह खुला सवाल है कि आखिर कब तक प्रशासन ऐसे मामलों पर चुप्पी साधे बैठेगा और कब तक लोगों की सेहत को जोखिम में डालकर मिलावटखोरी को संरक्षण मिलता रहेगा. हापुड़ का यह मामला प्रदेश में मिलावट माफिया के बढ़ते हौसलों की पोल खोल रहा है और प्रशासन की कार्यशैली पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है.
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