अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बाल रोग विभाग की पड़ताल में सामने आया है, कि मासूमों को मोबाइल फोन देने के कारण उनकी बोलने की क्षमता खासी प्रभावित हो रही है. यह संख्या पिछले दो-तीन साल में तेजी से बढ़ी है. पहले दो साल का बच्चा बोलना सीख जाता था, लेकिन अब यह काम चार-पांच साल की उम्र तक कर पा रहा है.
न्यूयार्क में 49 साल पहले मार्टिन कूपर ने जब मोबाइल फोन का अविष्कार किया था, तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि वर्तमान को सुधारने की कवायद में यह भविष्य को खासा प्रभावित कर सकता है. एएमयू मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग की ओपीडी में चार-पांच साल की उम्र में भी शब्दों का उच्चारण और बोलने की क्षमता विकसित न होने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.
अध्ययन में बात सामने आई
एक साल की अवधि में यह संख्या तेजी से बढ़ी तो चिकित्सकों की टीम ने इस प्रकार के केस का अध्ययन शुरु किया. अध्ययन में ये बात सामने आई कि बच्चों के जन्म के बाद मोबाइल फोन की लत यह समस्या उत्पन्न कर रही है. कॉलेज में दो तरह के मरीजों पर पड़ताल की गई. इनमें करीब 400 बच्चे शामिल किए गए. 200 बच्चे ऐसे शामिल किए गए, जिनको शिकायत नहीं थी. जबकि 200 बच्चे ऐसे शामिल किए गए, जिनको यह शिकायत थी. 400 सौ अभिभावकों से गहन बातचीत के बाद निष्कर्ष निकला कि मोबाइल फोन इसका सबसे बड़ा जिम्मेदार है.
एक से डेढ़ साल की उम्र में मोबाइल का इस्तेमाल खतरनाक
अध्ययन में यह पाया गया कि जो बच्चे एक से डेढ़ साल की उम्र में मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं और मोबाइल पर वीडियो आदि देखते हैं, उन्हीं बच्चों को बोलने में दो के बजाय चार से पांच साल तक का समय लग रहा है. व्यवहार में भी ये अन्य बच्चों की तुलना में जिद्दी, चिड़चिड़ापन, आक्रामक, अस्थिर और अत्यधिक चंचल होते जा रहे हैं.
आपके प्रयास से हो सकता है सुधार
- बच्चों संग ज्यादा समय बिताएं
- बच्चों को गोद में लेकर उनसे बात करनी चाहिए
- मासूमों को मोबाइल फोन से पूरी तरह से दूर रखें
- बच्चे के पास बैठकर फोन भी कम इस्तेमाल करें
- जब बच्चाआपकी आंखों में देखे, तब उससे बात करें
बच्चों में ये लक्षण दिखने पर हो जाइए सचेत
एकाकी परिवार के बच्चों में यह समस्या और ज्यादा देखी जा रही है. मोबाइल में व्यस्त बच्चे एक काल्पनिक दुनिया में खो रहे हैं. यदि आपके बच्चें में ऐसा कोई लक्षण दिखे तो सचेत हो जाइए.
● बच्चा बात करने में आंख से आंख नहीं मिला रहा हो
● कोशिश के बाद भी मासूम बोल नहीं पा रहा हो
● उंगली के इशारा नहीं कर रहा हो, अथवा नहीं समझ पा रहा हो
● अभिभावकों से बच्चा प्रयासों के बावजूद घुल-मिल ना रहा हो
● बच्चा माता-पिता के स्थान पर केवल फोन पर ही ध्यान दे रहा हो
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