रायपुर। टीकाकरण बच्चों को 14 से अधिक बीमारियों से बचाता है और बाल मृत्यु दर कम करता है। टीकाकरण हर बच्चे का अधिकार है और इस अधिकार से उन्हें वंचित नहीं किया जाना चाहिए । हमने COVID संकट के दौरान बच्चों के टीकाकरण विषय पर, छत्तीसगढ़ यूनिसेफ कार्यालय प्रमुख जॉब ज़करिया सै बात की। ज़करिया का मानना हैं कि बच्चों को COVID संकट और लॉकडाउन अवधि के दौरान भी टीकाकरण से वंचित नहीं किया जाना चाहिए, और छत्तीसगढ़ में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में टीकाकरण सेवाएं उपलब्ध हैं।

नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-4) के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 76.4% बच्चों का पूर्ण टीकाकरण किया गया है, जबकि राष्ट्रीय औसत 62% है।

टीकाकरण से बच्चों को कितनी बीमारियाँ से बचाया जा सकता है?

सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम अंतर्गत शासन कई टीके प्रदान करता है, जो 14 से अधिक बीमारियों से बच्चों की रक्षा करता है। इन बीमारियों में टीबी, पोलियो, डिप्थीरिया, कफ खांसी (पर्टुसिस), टेटनस, हेपेटाइटिस बी (पीलिया), रोटा वायरस के कारण दस्त, खसरा, रूबेला, विटामिन-ए की कमी से संबंधित बीमारियां जैसे रतौंधी, जापानी इन्सेफेलाइटिस (मस्तिष्क) बुखार) और हिब वायरस संबंधित निमोनिया, मैनिंजाइटिस और ओटिटिस (मध्य कान संक्रमण) शामिल है।

क्या टीकाकरण से बच्चों के मृत्यु दर की में कमी आएगी?

हाँ। टीकाकरण बाल मृत्यु दर कम करने का सबसे सुरक्षित और सबसे प्रभावी तरीका है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दुनिया भर में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु के 17% मामले में, मृत्यु का कारण ऐसी बीमारियां होती है जिन्हे टीकाकरण से रोका जा सकता है । , टीकाकरण से न केवल बीमारियों से बचाव होता है बल्कि बाल मृत्यु दर में भी कमी आती है।

टीकाकरण के अन्य लाभ क्या हैं?

बच्चों में होने वाली बीमारियों से माता-पिता और दादा-दादी को बहुत तनाव और चिंता होती है। इसके अलावा, बीमारियां परिवारों के लिए अतिरिक्त खर्च का कारण बनती है, विशेष रूप से गरीब और सीमान्त के परिवारों के लिए। टीकाकरण से इस स्तिथि से भी बचा जा सकता है।

बच्चे का टीकाकरण कब किया जाना चाहिए?

5 साल से कम उम्र के बच्चे को 7 बार टीकाकरण किया जाना चाहिए। “5 वर्षों में 7 बार”। शिशु का टीकाकरण जन्म के समय,  1.5 महीने की आयु में, फिर 2.5 महीने की आयु में, 3.5 महीने की उम्र में, 9 महीने, 1.5 साल और 5 साल की उम्र किया जाना चाहिए।

विटामिन-ए शॉट्स कब दिए जाने चाहिए?

टीकाकरण के अलावा, बच्चों को एमआर वैक्सीन के साथ जन्म के ९वे महीने में और फिर हर छह महीने के अंतराल में पांच वर्ष की आयु तक विटामिन-ए की खुराक दी जाना चाहिए। विटामिन-ए की पूरकता बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता में सुधार कर सकती है, विटामिन ए की कमी से होने वाली बीमारियों को रोक सकती है और बच्चों की मृत्यु दर को 24% तक कम कर सकती है।

माता-पिता को बच्चे को टीकाकरण के लिए कहां जाना चाहिए?

प्रत्येक माह के निर्धारित मंगलवार और शुक्रवार को गांवों के आंगनवाड़ी केंद्रों में टीकाकरण सत्र आयोजित किए जाते हैं। कुछ गांवों में, ये सत्र स्कूलों, पंचायत भवनों और सामुदायिक हॉल में आयोजित किए जाते हैं। टीकाकरण सुविधा स्वास्थ्य उप केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHCs), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHCs), जिला अस्पतालों और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में भी उपलब्ध है।

बच्चों के टीकाकरण का शुल्क क्या है?

टीकाकरण सुविधा निशुल्क उपलब्ध है। यह सरकारी सुविधाओं के अंतर्गत सरकार के टीकाकरण कार्यक्रम के तहत पूरी तरह से मुफ्त है। लेकिन निजी अस्पताल इन टीकों के लिए रु 10,000 से रु 25,000 का शुल्क ले सकते हैं, जिसमें डॉक्टरों का परामर्श शुल्क, अस्पताल में पंजीकरण शुल्क, इंजेक्शन शुल्क और टीकाकरण की लागत शामिल है। कुछ निजी अस्पतालों में अतिरिक्त टीकों के आधार पर 25,000 रुपये से लेकर 50,000 रुपये भी लिए जा सकते हैं।

लॉकडाउन के कारण, सरकारी सेवाओं में टीकाकरण सेवाएं उपलब्ध नहीं हो सकती हैं।

सौभाग्य से, छत्तीसगढ़ में टीकाकरण सेवाओं को बंद नहीं किया गया है और इसलिए यह हर महीने आंगनवाड़ी केंद्रों और अन्य स्थानों पर यह सुविधा निरंतर उपलब्ध है। लेकिन कई माता-पिता को इसकी जानकारी नही हैं और इसलिए, हमें लॉकडाउन के दौरान भी उपलब्ध टीकाकरण सुविधा के विषय में जागरूकता फ़ैलाने की ज़रूरत है।

क्या बीमार होने पर बच्चे को टीकाकरण दिया जा सकता है?

हाँ। हल्के बुखार, सर्दी, खांसी या हल्के दस्त जैसे बीमारी से ग्रस्त बच्चे को सुरक्षित रूप से टीका लगाया जा सकता है। लेकिन अस्पताल में भर्ती गंभीर रूप से बीमार बच्चों को टीका नहीं लगाया जाना चाहिए।

टीकाकरण के दुष्प्रभाव क्या हैं?

इंजेक्शन वाले वैक्सीन (जैसे डीपीटी और हेपेटाइटिस बी) के मामले में, बच्चों को इंजेक्शन के कारण हल्का दर्द और सूजन हो सकती है। यह सामान्य है और 1-3 दिनों के भीतर ठीक हो जाता है। ये साइड इफ़ेक्ट टीकों की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता से संबंधित नहीं हैं। बच्चों को बुखार भी हो सकता है, जो सामान्य है और 1-2 दिनों में यह ठीक भी हो जाता है।

क्या COVID संकट के दौरान बच्चों का टीकाकरण करना सुरक्षित है?

हाँ। लॉक डाउन और COVID संकट के दौरान भी बच्चों का टीकाकरण किया जाना चाहिए। COVID संक्रमण के डर से माता-पिता स्वास्थ्य केंद्रों में जाने से डर सकते हैं, लेकिन इन केंद्रों में सभी सावधानियां बरती जाती हैं।

COVID के संदर्भ में टीकाकरण के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

सभी सावधानियों को ध्यान में रखते हुए बच्चों को टीकाकरण दिया जाता है। स्वास्थ्य कर्मी मास्क और दस्ताने पहनते हैं, प्रत्येक टीकाकरण के बाद साबुन / सैनिटाइज़र से हाथ धोते हैं और लोगों के बीच शारीरिक दूरी सुनिश्चित करते हैं। बेहतर होगा कि भीड़भाड़ से बचने के लिए केवल एक व्यक्ति ही बच्चे को टीकाकरण के लिए लेकर आये। बच्चे के साथ जाने वाले व्यक्ति में बुखार, खांसी या सांस की तकलीफ जैसे लक्षण नहीं होने चाहिए।