रायपुर. बस्तर संभाग के चार जिलों में वर्षों बाद स्कूल खोले जाने पर वहां के बच्चों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को धन्यवाद दिया है. मुख्यमंत्री के निवास कार्यालय में आज ऑनलाइन आयोजित राज्य स्तरीय शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम के साथ ही मुख्यमंत्री बघेल ने बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिले में पिछले 15 वर्षों में विभिन्न कारणों से बंद 260 स्कूलों को दोबारा खोलने की शुरूआत की. इनमें बीजापुर जिले के 158, सुकमा के 97, नारायणपुर के चार और दंतेवाड़ा का एक स्कूल शामिल हैं. इन स्कूलों में 11 हजार से अधिक बच्चे पढ़ेंगे. मुख्यमंत्री ने फिर से खुले इन स्कूलों में प्रवेशित बच्चों और उनके पालकों से आज वीडियो कॉन्फ्रेंस से बात की.

बीजापुर के प्राथमिक शाला नयापारा, पढेडा में कक्षा तीसरी में भर्ती हुए राजेश मड़ियाम ने मुख्यमंत्री को बताया कि वह पढ़ने के लिए पहले चेरपाल जाता था. घर से स्कूल बहुत दूर था. बारिश के दिनों में स्कूल आने-जाने में भारी दिक्कत होती थी. उन्होंने घर के नजदीक ही स्कूल शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री को बहुत ही भोलेपन से ‘धन्यवाद कका’ कहा. उनके पिता रमेश ताती ने बताया कि कुड़ेनार ग्राम पंचायत में पिछले 17 वर्षों से स्कूल बंद था. आसपास स्कूल नहीं होने से बच्चों को पढ़ाई के लिए नदी, नाला और जंगल पार करते हुए दूर के स्कूलों में जाना पड़ता था. अब गांव में ही स्कूल खुल गया है और वहां गांव के ही शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

सुकमा जिले के कोंटा के प्राथमिक शाला करीगुंडम में पांचवीं में पढ़ने वाले मड़कम दुला ने भी मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि अब घर के पास स्कूल हो जाने से अच्छा लग रहा है. पढ़ाने के लिए गुरूजी भी आ रहे हैं. उनके पिता मड़कम मासा ने बताया कि दोबारा शुरू हुए स्कूल में 50 बच्चे पढ़ रहे हैं. यह स्कूल वर्ष 2006 से बंद था. मुख्यमंत्री ने नारायणपुर के प्राथमिक शाला बड़कानार में तीसरी में पढ़ने वाले सुखबेर दोदी और पहली कक्षा में प्रवेशित रीता तथा दंतेवाड़ा के प्राथमिक शाला मासापारा, भांसी में कक्षा तीसरी में पढ़ रहे राकेश आयटू और राखी से भी बात की. इन सभी बच्चों ने ‘धन्यवाद कका’ कहते हुए घर के पास के स्कूलों को पुनः खोलने के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया. मुख्यमंत्री ने सभी बच्चों को रोज स्कूल जाने और मन लगाकर पढ़ाई करने कहा.

दंतेवाड़ा के प्राथमिक शाला मासापारा में तीसरी में पढ़ रहे राकेश आयटू के पिता मनोज कुंजाम ने मुख्यमंत्री को बताया कि गांव के स्कूल को नक्सलियों ने तोड़ दिया था. बच्चों को नदी-नाला पार कर गांव से बहुत दूर पढ़ने के लिए जाना पड़ता था. उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले जहां गांव में गोलियों की आवाज गूंजती थी, वहीं अब स्कूलों से बच्चों की पढ़ाई के समवेत स्वर गूंज रहे हैं. सुकमा जिला पंचायत के अध्यक्ष हरीश लखमा ने बंद पड़े स्कूलों को दोबारा शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इन स्कूलों के बंद हो जाने से क्षेत्र की एक पूरी पीढ़ी शिक्षा से वंचित हो चुकी थी. इन्हें पुनः शुरू कर सरकार ने बच्चों के लिए नए द्वार खोले हैं.

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