होलिका दहन के बाद अंगारों में बच्चे, युवा और बुजुर्ग बेखौफ होकर चल रहे हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से गांव में सुख समृद्धि आती है और संक्रामक बीमारी भी दूर होती है.

जितेंद्र सिंहा,राजिम। गरियाबंद जिले के अंतिम छोर में बसा छुरा विकासखण्ड मुख्यालय के ग्राम सरायपाली में पारम्परिक तरीके से होली का पर्व बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया. आदिवासी बाहुल्य वनांचल ग्राम के ग्रामीणों ने देर रात विधिवत पूजा अर्चना कर होलिका दहन किया. वही तड़के सुबह ग्राम के कुल देवी देवताओं का विधिवत पूजा अर्चना कर होलिका दहन स्थल में दहकते आग के अंगारों में बड़े बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक बेखौफ होकर चलते नजर आए.

ग्रामीणों की माने तो वर्षो से चली आ रही प्राचीन धार्मिक परम्परा को सहेजने के साथ ही होली के पर्व के साथ धार्मिक आस्था का लगाव बना हुआ है. इसके चलते आग में चलने से ग्राम में सुख समृद्धि आने के साथ ही संक्रामक बीमारी व किसी अनहोनी घटना से बचाव का मान्यता भी है. यही वजह है कि आज भी ग्रामीण आधुनिक परिवेश में चकाचौन्ध की दुनिया से परे हट कर सालों से चली आ रही परम्परा को सहेज रहे हैं. साथ ही वर्तमान भावी पीढ़ी को भी धार्मिक आस्था के प्रति प्रेरित करते है.