संदीप अखिल, रायपुर। आज बच्चें मोबाईल के सभी बटन चला लेते है उसके बारे में जानते है उसे हम बच्चों के विशेष गुणों को रूप में हम देख रहे हैं. बच्चों में अद्धभुत क्षमता होती है जिसे सही मार्गदर्शन जरुरी होता है. बाल हठ का जिक्र हमारे कई पौराणिक ग्रन्थों में हमे मिलता है मुझे लवकुश का वो प्रसंग स्मरण होता है. जिसमे दोनो बालको ने अश्वमेघ के घोड़े के कदमों को रोक दिया था ,महावीर हनुमान और तमाम बड़े महापराक्रमी योद्धा उनसे हार गए विवश होकर प्रभु श्री राम को स्वयं ही आना पड़ा था ,आशय ये है कि ये भारत के बच्चों में ये साहस रहा है कि चक्रवर्ती सम्राट को भी आकर उनसे बात करनी पड़ी और यही बालक आगे चलकर महान प्रतापी राजा बनते है.
आज बालदिवस के अवसर पर इन बातों का जिक्र इसलिए मैं कर रहा हूं की बच्चे ही किसी भी राष्ट्र के भविष्य होते है उन्हें संस्कारों के साथ उचित मार्गदर्शन जरूरी है आज के हमारे बच्चों में भी वही लवकुश जैसा साहस है आवश्यकता है की उन्हें परिष्कृत किया जाए उन्हें अपने अतीत से परिचय कराया जाए ,वर्तमान में बच्चे अपने अतीत से परिचित नहीं है उन्हें हमे अपने अतीत से परिचय कराना होगा ,मैं बाल दिवस के अवसर पर एक सत्य घटना का जिक्र आप से कर रहा हु अभी हम सभी ने दीपावली का त्योहार को मनाये है जहाँ मैं रायपुर ( छत्तीसगढ़ ) रहता हूं उसके पास खम्हारडीह बस्ती है वहाँ के बच्चे कुछ काम है क्या कहके घूम रहे थे जिससे उनका दिवाली का खर्च निकल जाए,हमारा पढ़े लिखें लोगो का मोहल्ला है उनके द्वारा बच्चों से घर की सफाई का काम कराया जा रहा था फिर यही पढ़े लिखे लोग बच्चों पर बड़ी बड़ी बाते करते भी नज़र आते है, बच्चों में कोई भेद नहीं होता चाहे वो अमीर परिवार के हो या ग़रीब परिवार से हम बड़ो की यह जिम्मेदारी है की उन्हें सिर्फ बच्चे के रूप में देखें जिसमे कोई भेद न हो. आज भारत इंतज़ार कर रहा है उन लवकुश के रुप में उन बच्चों का जो राजसिंहासन से बात कर सके अपने पराक्रम से अवगत करा सकें.