बाल दिवस पर समस्त बच्चों को हार्दिक शुभकामनाएं. आप ही देश और परिवार के भविष्य हो. आपका जन्म किसी ना किसी उद्देश्य से हुआ है, लेकिन उस उद्देश्य की प्राप्ति तब तक नहीं कर सकते, जब तक माता-पिता और देशवासी अपना फर्ज अच्छे से नहीं निभाएंगे. बच्चे केवल माता पिता की संपत्ति नहीं है, बल्कि वह राष्ट्र की भी संपत्ति है. बच्चों को अच्छे संस्कार देकर योग्य नागरिक बनाना भी राष्ट्र सेवा है. आजकल ज्यादातर माता-पिता बच्चों पर परीक्षा में ज्यादा से ज्यादा अंक लाने पर दबाव डालते हैं, जबकि उनको उसके संपूर्ण विकास पर ध्यान देने की जरूरत है. यह प्रवृत्ति बच्चों के लिए घातक सिद्ध हो रही है.

लेखक- बिलासपुर संभाग आईजी रतनलाल डांगी

जो बच्चे अपने अभिभावकों की आकांक्षाओं पर खरे नहीं उतरते वह दबाव में आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लेते हैं. अभिभावक केवल बच्चे नहीं पाल रहे हैं, बल्कि राष्ट्र का निर्माण कर रहे हैं. अभिभावकों को बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि जीवन में केवल अंक ही सब कुछ नहीं है. देश के कई महापुरुष भी विद्यार्थी जीवन में औसत ही रहे हैं. बच्चों को यह सिखाना होगा कि जीवन कैसे जीया जाता है. बच्चों की सच्ची शिक्षा घरों से ही शुरू होती है. केवल स्कूलों को दोष नहीं दे सकते. हमको भी अपना दायित्व निभाना होगा. बच्चों को प्रेम पूर्ण अनुशासन की आवश्यकता होती है. बच्चों के साथ कभी भी क्रोध न करें, बल्कि दृढ़ता के साथ बच्चों का मार्गदर्शन तो करना ही होगा परंतु उसमें भी प्रेम होना चाहिए.

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बच्चे कोमल पौधों की तरह होते हैं जिस तरह पौधों को अच्छी तरह से पूर्ण विकसित होने के लिए उचित देखभाल और कांट छांट की आवश्यकता होती है. उसी तरह बच्चों को भी उचित मार्गदर्शन, प्रेम और समझदारी की आवश्यकता होती है, जो उन्हें केवल माता-पिता ही दे सकते हैं. बच्चों के लालन-पालन की जिम्मेदारी माता और पिता को मिलकर निभानी चाहिए. बच्चों को नैतिकता एवं उचित व्यवहार की शिक्षा उपदेशों से नहीं बल्कि अपने उदाहरण के द्वारा देनी चाहिए. प्रत्येक बच्चा भिन्न होता है. इसलिए प्रत्येक बच्चे को एक अलग व्यक्ति के रूप में पहचाना जाना आवश्यक है. बच्चे की आवश्यकता देखकर उसी के अनुसार बर्ताव करना चाहिए लेकिन प्रेम बच्चों के साथ समान रूप से करना चाहिए.

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अपने बच्चों से बातचीत के लिए समय निकालिए. उनके प्रश्नों के उत्तर दीजिए. केवल ऐसा मत करो. कहने से काम नहीं चलेगा. बच्चों से अच्छे संबंधों की शुरुआत आरंभिक आयु में ही हो जानी चाहिए. बच्चों को जिम्मेदारी की भावना से भी अवगत कराना चाहिए. कम आयु में ही बच्चों के ध्यान में यह बात आ जानी चाहिए कि बिना मेहनत के कुछ नहीं मिलता सकता. बच्चों को शराब या ड्रग्स से भी बचाना होगा. बच्चों की संगत कैसे लोगों से हैं, माता-पिता को सतर्क रहना चाहिए. बच्चों के लालन-पालन में पूर्ण सफलता की उम्मीद तभी बनेगी जब माता-पिता स्वयं अपना उदाहरण बच्चों के समक्ष रखकर की उचित मूल्यों की शिक्षा देंगे.

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बच्चे देश का भविष्य है, उनका ख्याल रखते हुए ही अनुशासन थोपिए. आपको बचपन में जो बातें अच्छी नहीं लगती थी वह आपके बच्चों को भी पसंद नहीं आएगी. सतर्क रहिए सावधान रहिए देश को चरित्रवान नागरिक देना हम सब अभिभावकों का दायित्व है. इस जिम्मेदारी को हम सब मिलकर निभाए.

लेखक- बिलासपुर संभाग आईजी रतनलाल डांगी

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