Kailash Mansarovar Yatra: कैलाश मानसरोवर यात्रा-2025 और भारत-चीन रिश्तों (India-China relations) को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। चीन ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही भारत और चीन के बीच सीधी फ्लाइट भी शुरू होगी। विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी विदेश सचिव विक्रम मिस्री की बीजिंग में अपने चीनी चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ वार्ता के बाद दी।
दरअसल, भारत-चीन के बीच गलवान विवाद के बाद कैलाश मानवरोवर और दिल्ली व बीजिंग के बीच सीधी फ्लाइट पर 2020 से ही रोक लगी थी। कैलाश मानसरोवर की यात्रा का फिर से शुरू होना हिंदू श्रद्धालुओं के काफी महत्वपूर्ण फैसला है। अगर आप भी कैलाश मानसरोवर जाकर कैलाश पर्वत की तलाश करना चाहते हैं तो इस जानकारी को एक बार जरूर पढ़ लें।
आपको बता दें कि कैलाश पर्वत चीन के तिब्बत स्वायत्त इलाके में स्थित है। यह पर्वत हिंदुओं के साथ ही बौद्ध, जैन और बौन धर्म के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। हजारों की संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं। कैलाश मानसरोवर की यात्रा उत्तराखंड, सिक्किम और तिब्बत से होती है। भारत तिब्बत सीमा पुलिस ( ITBP) इस यात्रा की सुरक्षा कि जिम्मेदारी लेती है। वहीं कुमाउं मंडल विकास निगम ( KMVN) और सिक्किम पर्यटन विकास निगम ( KPVN) कैलाश की यात्रा कर रहे लोगों को सहयोग और सहायता देती है। वहीं ‘दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यट’ की ओर से यात्रा पर जाने वाले लोगों का फिटनेस टेस्ट किया जाता है।
यात्रा के लिए कहां और कैसे करें रजिस्ट्रेशन?
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए आप विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। यात्रा के लिए अपने पास पासपोर्ट साइज फोटो, पासपोर्ट का पहला और आखिरी पेज का फोटो, फोन नंबर और ईमेल अपने पास रखें। इस यात्रा को पूरा करने के लिए कम से कम 25 दिन का समय लगता है। वहीं इसमें आपका 1.5 से 3 लाख तक खर्चा आ सकता है। यात्री के अनिफट पाए जाने पर उसकी यात्रा कैंसिल हो सकती है।
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यात्रा के लिए फीस और किराया
विदेश मंत्रालय’ की वेबसाइट के मुताबिक यात्रा के लिए सबसे पहले आपको KMVN को 32, 000 की फीस देनी होगी, जिसमें यात्रा कंफर्म करने के लिए आपको डिमांड ड्राफ्ट के जरिए 5,000 रुपये का नॉन रिफंडेबल फीस पे करना होगा। बाकी 27,000 हजार का भुगतान आप दिल्ली आकर कर सकते हैं। 2,400 रुपये का चीनी वीजा शुल्क होगा और फिटनेस टेस्ट के लिए 3,100 रुपये का शुल्क दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट को देना होगा। मेडिकल अथॉरिटी की रिक्वेस्ट पर आपको स्ट्रेस इको टेस्ट के लिए 2,500 रुपये का भुगतान करना होगा।
रहने के लिए आपको तिब्बत में चीनी अधिकारियों को 48,861 रुपये का भुगतान करना होगा। इसमें इमिग्रेशन फीस, भोजन, सामान की ढुलाई, घोड़े का किराया, कैलाश, मानसरोवर और मंदिर के लिए प्रवेश टिकट शामिल होगा। भारत की तरफ से दोनों साइड के लिए आपको कुल 8.904 रुपये का पॉर्टर चार्ज देना होगा। साथ ही आपको पोनी हैंडलर के साथ पोनी ( छोटा घोड़ा), नारायण आश्रम से लिपुलेख पास तक वापसी और धारचूला में पोनी और कुली को किराए पर लेने के हिसाब से 10,666 रुपये का भुगतान करना होगा।
इस दिन से शुरू होगी यात्रा
कैलाश मानसरोवर यात्रा-2025 के लिए अभी कोई तय तिथि निर्धारित नहीं की गई है। यात्रा गर्मी के दिनों में शुरू होती है। लिहाजा इसके मार्च अंतिम से लेकर अप्रैल महीने के पहले सप्ताह से शुरू होने की उम्मीद है। भारत-चीन के अधिकारी इस मामले में बैठक कर इसे अमली जामा पहनाएंगे।
मान्यता- कैलाश पर्वत पर भगवान शिव रहते हैं
हिंदू धर्म में ये मान्यता है कि भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। यही वजह है कि हिंदुओं के लिए ये बेहद पवित्र जगह है। जैन धर्म में ये मान्यता है कि प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ ने यहीं से मोक्ष की प्राप्ति की थी। 2020 से पहले हर साल करीब 50 हजार हिंदू यहां भारत और नेपाल के रास्ते धार्मिक यात्रा पर जाते रहे हैं।
माउंट एवरेस्ट से 2000 मीटर कम है ऊंचाई, फिर भी कोई क्यों नहीं चढ़ सका
माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर है। वहीं कैलाश पर्वत की ऊंचाई 6638 मीटर ही है, यानी कैलाश पर्वत से करीब 2000 मीटर कम। इसके बावजूद इस पर कोई नहीं चढ़ सका है। माउंट एवरेस्ट पर 7000 से ज्यादा लोग चढ़ चुके हैं. जबकि कैलाश पर चढ़ने में अबतक कोई पर्वतारोही सफल नहीं हुआ। हालांकि, कुछ लोग कैलाश पर्वत की 52 किलोमीटर की परिक्रमा करने में जरूरी सफल हुए हैं. कैलाश पर चढ़ने की आखिरी कोशिश 2000 में हुई थी। लेकिन अब इस पर चढ़ाई पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
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लोगल बोले- शिखर पर समय तक रुक जाता है
कैलाश पर्वत रहस्यमई हैं। यहां जाक लौट चुके कई लोगों का कहना है ति वहां कुछ अदृश्य शक्तियां है। कैलाश पर्वत के शिखर पर समय तक रुक जाता है। हालांकि, इस पर चढ़ाई न कर पाने के पीछे साइंस भी है। दरअसल, कैलाश पर्वत की चढ़ाई एकदम खड़ी है। इस पर्वत का एंगल 65 डिग्री से ज्यादा है, वहीं माउंट एवरेस्ट 40 से 50 डिग्री एंगल का है। यही कारण है कि कैलाश की तुलना में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना काफी आसान है।
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