China on India-Maldives Relations: पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) मालदीव के दो दिवसीय दौरे से भारत लौट आए हैं। यह यात्रा खास इसलिए रही क्योंकि उन्हें मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया था। वहीं प्रधानमंत्री की इस उच्चस्तरीय दौरे से चीन तमतमा गया है। चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स (Global Times) ने इस दौरे को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

भारत-मालदीव के बीच बढ़ती नजदीकी से चीन की चिंता बढ़ गई है। चीन के सरकारी मुखपत्र Global Times ने इस दौरे को लेकर भारतीय मीडिया कवरेज पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत इसे मालदीव में चीन के प्रभाव को कमजोर करने के तौर पर दिखा रहा है। बीजिंग स्थित Tsinghua University के विशेषज्ञ कियान फेंग ने भारतीय मीडिया के नजरिए को ‘पुरानी सोच’ बताया और कहा कि यह ‘जीरो-सम गेम’ जैसी मानसिकता दर्शाता है।

चीन ने यह भी याद दिलाया कि राष्ट्रपति मुइज्जू जनवरी में बीजिंग की यात्रा पर गए थे और तब उन्होंने चीन को मालदीव का सबसे करीबी दोस्त बताया था। मुइज्जू ने तब कहा था कि मालदीव वैश्विक शांति और न्याय के लिए चीन के प्रयासों का समर्थन करता है। हालांकि, मौजूदा घटनाक्रम यह दिखाते हैं कि मुइज्जू की विदेश नीति अब संतुलन की ओर बढ़ रही है और भारत के साथ रिश्तों को फिर से प्राथमिकता दी जा रही है।

भारत ने मालदीव के लिए 565 मिलियन डॉलर दिए

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया था। यह राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद किसी विदेशी नेता की पहली उच्चस्तरीय यात्रा थी। इस दौरे में भारत ने मालदीव के लिए 565 मिलियन डॉलर (करीब 4,800 करोड़ रुपये) की बड़ी क्रेडिट लाइन की घोषणा की। जिसका उपयोग अस्पताल, स्कूल, हाउसिंग और बुनियादी ढांचे से जुड़े परियोजनाओं में किया जाएगा.

इसके साथ ही भारत और मालदीव के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लेकर बातचीत शुरू करने पर भी सहमति बनीष मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने पीएम मोदी की यात्रा को ऐतिहासिक बताते हुए भारत को सबसे भरोसेमंद साझेदार और ‘फर्स्ट रिस्पॉन्डर’ करार दिया।

‘इंडिया आउट’ का नारा देकर सत्ता में आए थे मुइज्जू

मुइज्जू इंडिया आउट का नारा देकर ही सत्ता में आए थे, जिसके बाद भारत को अपनी सेना भी वापस बुलानी पड़ी। अब वो खुद चाहते हैं कि भारत के साथ फ्री ट्रेड डील हो और भारत के लोग वहां पहले की तरह ही पर्यटक बनकर जाएं ताकि मालदीव की अर्थव्यवस्था पटरी पर बनी रहे।

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