चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश पर अपना पुराना राग अलापते हुए उसे अपना हिस्सा बताया है। मंगलवार को चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि जांगनान (अरुणाचल प्रदेश) हमारा हिस्सा है। उन्होंने कहा कि चीन ने भारत के अवैध तरीके से बसाए अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी। चीन का यह बयान भारतीय महिला पेम वांगजॉम थांगडॉक के साथ शंघाई एयरपोर्ट पर बदसलूकी के आरोपों के सवाल पर आया। चीन ने पेम के साथ बदसलूकी के आरोपों को भी नकार दिया है।

महिला से बदसलूकी के आरोपों से झाड़ा पल्ला

माओ ने कहा कि महिला के साथ कोई जबरदस्ती, हिरासत या परेशान करने जैसा व्यवहार नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि एयरलाइन ने महिला को आराम, पानी और खाने की सुविधा भी दी। ब्रिटेन में रहने वाली भारतीय पेम ने आरोप लगाया था कि चीनी अधिकारियों ने उनके भारतीय पासपोर्ट को अवैध बताया था, क्योंकि उसमें जन्मस्थान के तौर पर अरुणाचल प्रदेश लिखा हुआ था। वह 21 नवंबर को लंदन से जापान जा रही थीं। शंघाई पुडोंग एयरपोर्ट पर उनका 3 घंटे का ट्रांजिट था।

भारत के राज्य के तौर पर मान्यता नहीं दी

चीन ने कभी अरुणाचल प्रदेश को भारत के राज्य के तौर पर मान्यता नहीं दी है। वो अरुणाचल को ‘दक्षिणी तिब्बत’ का हिस्सा बताता है। उसका आरोप है कि भारत ने उसके तिब्बती इलाके पर कब्जा करके उसे अरुणाचल प्रदेश बना दिया है। चीन अरुणाचल के इलाकों के नाम क्यों बदलता है इसका अंदाजा वहां के एक रिसर्चर के बयान से लगाया जा सकता है।

2015 में चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंस के रिसर्चर झांग योंगपान ने ग्लोबल टाइम्स को कहा था, ‘जिन जगहों के नाम बदले गए हैं वो कई सौ सालों से हैं। चीन का इन जगहों का नाम बदलना बिल्कुल जायज है। पुराने समय में जांगनान ( चीन में अरुणाचल को दिया नाम) के इलाकों के नाम केंद्रीय या स्थानीय सरकारें ही रखती थीं।

इसके अलावा इलाके के जातीय समुदाय जैसे तिब्बती, लाहोबा, मोंबा भी अपने अनुसार जगहों के नाम बदलते रहते थे। जब जैंगनेम पर भारत ने गैर कानूनी तरीके से कब्जा जमाया तो वहां की सरकार ने गैर कानूनी तरीकों से जगहों के नाम भी बदले। झांग ने ये भी कहा था कि अरुणाचल के इलाकों के नाम बदलने का हक केवल चीन को होना चाहिए।

भारत ने सख्त रुख किया अख्तियार

दिल्ली में सूत्रों ने बताया कि भारत ने घटना वाले दिन ही बीजिंग और दिल्ली दोनों जगहों पर चीन के सामने कड़ा डिमार्शे (एक ऑपचारिक राजनयिक विरोध) दर्ज कराया था।

भारत ने चीनी पक्ष को साफ-साफ बता दिया कि अरुणाचल प्रदेश “बिना किसी शक के” भारतीय इलाका है और वहां के लोगों को भारतीय पासपोर्ट रखने और उससे यात्रा करने का पूरा हक है। उन्होंने कहा कि शंघाई में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने भी इस मामले को स्थानीय स्तर पर उठाया और फंसे हुए यात्री को पूरी मदद दी।

अरुणाचल प्रदेश को चीन इतना अहम क्यों मानता है?

अरुणाचल प्रदेश पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा राज्य है। नॉर्थ और नॉर्थ वेस्ट में तिब्बत, वेस्ट में भूटान और ईस्ट में म्यांमार के साथ यह अपनी सीमा साझा करता है। अरुणाचल प्रदेश को पूर्वोत्तर का सुरक्षा कवच कहा जाता है। चीन का दावा तो पूरे अरुणाचल पर है, लेकिन उसकी जान तवांग जिले पर अटकी है। तवांग अरुणाचल के नॉर्थ-वेस्ट में हैं, जहां पर भूटान और तिब्बत की सीमाएं हैं।

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