Ministry of Foreign Affairs on China: भारत और चीन के बीच 2020 से चल रहे LAC विवाद सुलझे कुछ ही दिन बाद चीन ने लद्दाख (Ladakh) क्षेत्र में एक और नापाक हरकत को अंजाम देने जा रही है. चीन ने लद्दाख के कुछ इलाकों को अपना बताया है. चीन लद्दाख के भारतीय क्षेत्र में नई काउंटी खोलने का ऐलान किया है. चीन के इस फैसले पर भारत (India) ने कड़ा ऐतराज जताया है. विदेश मंत्रालय ने चीन को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि भारत लद्दाख में भारतीय क्षेत्र पर चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है.

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विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन ने अपने होतान प्रांत में दो नए काउंटी की घोषणा की है जो लद्दाख के हिस्से हैं. इसलिए भारत ने चीन के समक्ष ‘गंभीर विरोध’ दर्ज कराया है.

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “हमने चीन के होतान प्रांत में दो नए काउंटी की स्थापना से संबंधित घोषणा देखी है. इन तथाकथित काउंटियों के अधिकार क्षेत्र के हिस्से भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं. 

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जायसवाल ने कहा, हमने राजनयिक माध्यमों से चीनी पक्ष के समक्ष गंभीर विरोध दर्ज कराया है. चीन के “नए काउंटी के गठन से इस क्षेत्र में हमारी संप्रभुता के संबंध में भारत के लंबे समय से चले आ रहे और सतत रुख पर असर नहीं पड़ेगा और न ही चीन के अवैध एवं जबरन कब्जे को वैधता मिलेगी. उन्होंने कहा कि भारत ने लद्दाख में भारतीय क्षेत्र पर चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है

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बता दें कि चीन ने इससे पहले तिब्बत (Tibet) के ग्लेशियरों से निकंलने वाली चीन यारलुंग सांगपो (Yarlung Zangbo River) नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने का फैसला लिया है. चीन ने नए विद्युत परियोजना के तहत बांध का निर्माण करने जा रही है. अगर इस बांध का निर्माण होता है तो भारत के ब्रम्हपुत्र (Brahmaputra) और बांग्लादेश के जमुना नदी का रूख मुड़ जाएगा जिससे दोनों देशों में भारी तबाही हो सकती है. इसे लेकर दोनों देशों के एक्सपर्टो का चिंता व्यक्त की थी. जानकारों का मानना है कि इस बांध के बनने से इस इलाकें में भूकंप का खतरा बढ़ जाएगा.

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इस लेकर भी विदेश मंत्रालय ने चिंता जाहिर की. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “यारलुंग त्सांगपो नदी पर एक जलविद्युत परियोजना के बारे में 25 दिसंबर 2024 को शिन्हुआ से जानकारी मिली है. भारत में इस नदी का पानी नीचे जाकर मिलती है और हम इसका इस्तेमाल करते हैं इसलिए हमने लगातार विशेषज्ञों के साथ-साथ राजनयिक चैनलों के माध्यम से चीनी पक्ष को उनके क्षेत्र में नदियों पर मेगा परियोजनाओं पर अपने विचार और चिंताएं व्यक्त की हैं. 

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उन्होंने कहा नए रिपोर्ट के बाद, पारदर्शिता और डाउनस्ट्रीम देशों के साथ परामर्श की आवश्यकता के साथ-साथ इन्हें दोहराया है. चीन के इस नए विद्युत परियोजना को लेकर चीनी पक्ष से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है कि ब्रह्मपुत्र के डाउनस्ट्रीम राज्यों के हितों को अपस्ट्रीम क्षेत्रों में की जाने वाली गतिविधियों से कोई नुकसान न पहुंचे. हम अपने हितों की रक्षा के लिए इसकी निगरानी और आवश्यक उपाय करना जारी रखेंगे.

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