बीजिंग। आसन्न जनसांख्यिकीय संकट से निपटने के लिए चीन सरकार दंपतियों के लिए नई नीति लेकर आई है. यह कदम ऐसे समय में करने जा रहा है, जब वह गिरते जन्म दर के कारण पिछले साल दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश होने का रूतबा खो चुका है.

राज्य परिषद या केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा सोमवार को जारी निर्देश में प्रसव सहायता सेवाओं को बढ़ाने, बाल देखभाल प्रणालियों का विस्तार करने, शिक्षा, आवास और रोजगार में सहायता को मजबूत करने और जन्म के अनुकूल सामाजिक माहौल बनाने के लिए 13 लक्षित उपायों की रूपरेखा दी गई है.

आधिकारिक मीडिया ने बताया कि नवीनतम पहल में प्रसव सब्सिडी प्रणाली में सुधार और प्रसव से संबंधित व्यक्तिगत आयकर राहत भी शामिल है. इसके प्रमुख प्रावधानों में लचीले रोजगार वाले व्यक्तियों और ग्रामीण प्रवासी श्रमिकों को मातृत्व बीमा योजना का विस्तार करना शामिल है, जिन्होंने पहले से ही बुनियादी चिकित्सा बीमा योजना में भाग लिया है.

इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नए माता-पिता काम से समय निकालकर अधिक सुरक्षित महसूस करें, क्योंकि स्थानीय अधिकारियों से मातृत्व, पितृत्व और बाल देखभाल अवकाश के संबंध में नीतियों को लागू करने का आग्रह किया जाता है.

हालांकि, नए उपायों को जनता से अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं मिली है, माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म वीबो पर एक उपयोगकर्ता ने टिप्पणी की कि ये उपाय ऐसे हैं जैसे आप फेरारी खरीद रहे हैं, और सरकार आपको 100 युआन (चीनी मुद्रा) का कूपन दे रही है.

बता दें कि चीन अपनी 1.4 बिलियन आबादी के साथ तेजी से बढ़ती उम्र की आबादी से जूझ रहा है, जिसमें 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग अब आबादी का 14 प्रतिशत हिस्सा हैं. चीन की 60 वर्ष और उससे अधिक आयु की आबादी 2023 के अंत तक 300 मिलियन के करीब पहुंच जाएगी. अनुमान है कि यह 2035 तक 400 मिलियन से अधिक हो जाएगी और 2050 तक 500 मिलियन तक पहुँच जाएगी.

हाल की रिपोर्टों में कहा गया है कि चीन भर में हजारों किंडरगार्टन स्कूल बंद किए जा रहे हैं, क्योंकि बच्चों की भर्ती में तेज़ी से गिरावट आई है. वहीं दूसरी ओर स्कूलों को वृद्धाश्रम चलाने के लिए परिवर्तित किया जा रहा है, जहाँ कर्मचारियों को वृद्धाश्रमों की देखभाल करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है.

चीन के गंभीर जनसांख्यिकीय संकट के लिए सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा दशकों पुरानी एक-बच्चा नीति को दोषी ठहराया जाता है. जनसांख्यिकीय संकट की वजह से अर्थव्यवस्था को पड़ने वाले गंभीर असर को देखते हुए चीन ने 2016 में एक बच्चे की नीति को समाप्त कर सभी जोड़ों को दो बच्चे पैदा करने की अनुमति दी थी.

जब यह नीति कोई प्रभाव डालने में विफल रही, तो चीन ने 2021 में जनसंख्या नीति को संशोधित किया, जिससे लोगों को तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति मिली, ताकि बढ़ती लागत के कारण जोड़ों की अधिक बच्चे पैदा करने की अनिच्छा को दूर किया जा सके.

इसके बाद जैसे-जैसे पेंशन और वृद्धावस्था देखभाल की लागत बढ़ती गई, चीन ने पिछले महीने पुरुषों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 63 कर दी और महिला कार्यालय कर्मचारियों के लिए 55 से 58 वर्ष कर दी.