दिल्ली में पतंगबाजी का उत्साह एक बार फिर खतरनाक रूप लेता जा रहा है. बाजार में चीनी मांझा (Chinese manja) चुपचाप प्रवेश कर चुका है और अब यह लोगों के हाथों तक पहुंच रहा है, जबकि यह सब प्रशासन की नजरों के सामने कोड वर्ड के तहत हो रहा है. चीनी मांझा अब सादे कागज में लपेटकर, व्हाट्सएप के माध्यम से ऑर्डर देकर और निश्चित स्थानों पर डिलीवरी के जरिए बेचा जा रहा है, जिसका कोड वर्ड है ‘धागा 302’.

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कहां हो रही चीनी मांझे की डिलीवरी?

यह काले बाजार अब लालकुआं, सदर बाजार, तुर्कमान गेट और ओखला जैसे क्षेत्रों में फैल चुका है. दुकानदार पहले से बुकिंग के लिए अधिक कीमतें मांग रहे हैं और सामान की डिलीवरी निश्चित स्थानों पर की जा रही है.

इस मांझे को छिपाकर बेचा जा रहा है, जिससे कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके, जबकि इसे चरखी में नहीं लाया जा रहा है. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत इसके निर्माण और बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध है, फिर भी इसका व्यापार लगातार जारी है.

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कई पक्षी हो चुके हैं घायल

दिल्ली में पिछले चार दिनों में 250 से अधिक पक्षी चीनी मांझे के कारण गंभीर रूप से घायल हुए हैं. “विद्या सागर जीव दया परिवार” जैसे संगठनों के अनुसार, इनमें से कई पक्षियों की आंखों की रोशनी चली गई है, पंख कट गए हैं, और कुछ की जान भी चली गई है. इसके बावजूद, दिल्ली में बैन होने के बावजूद, कोड वर्ड ‘धागा 302’ के तहत यह मांझा खुलेआम बेचा जा रहा है, जो न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि जीवों के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा है.

पक्षियों की जान पर आफत, हर दिन 75–100 कॉल्स

संगठन के निदेशक अभिषेक जैन ने जानकारी दी कि 1 से 4 अगस्त के बीच उन्हें 300 से अधिक सहायता कॉल प्राप्त हुए, जिनमें से प्रतिदिन औसतन 50 पक्षियों को बचाया गया. हालांकि, हर 50 में से कम से कम 5 पक्षी इतने गंभीर रूप से घायल होते हैं कि उन्हें बचाना संभव नहीं होता. विशेष रूप से कबूतर, चील और तोते इस संकट का सबसे अधिक शिकार बन रहे हैं.

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पुलिस की कार्रवाई और जनता से अपील

4 अगस्त को दिल्ली पुलिस ने दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया और उनके पास से 660 रोल चीनी मांझा बरामद किया. इसके बावजूद, बाजार में इसकी बिक्री जारी है. पीटीआई के अनुसार, एनजीओ, चिकित्सक और व्यापारी अब सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं और जनता से अपील कर रहे हैं कि इस खतरनाक मांझे को न खरीदा जाए और न ही बेचा जाए.

कितना खतरनाक है चीनी मांझा और क्या है सजा

यह सामग्री नायलॉन या प्लास्टिक से निर्मित होती है, जिस पर कांच और धातु की एक परत चढ़ाई जाती है, जिससे यह अत्यंत तेज हो जाती है. इसे खरीदने पर भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 223 के तहत 5,000 रुपये तक का जुर्माना या एक वर्ष तक की सजा का प्रावधान है.

2017 से लगी है रोक, फिर भी बाजार में बिक रहा है

दिल्ली में 10 जनवरी 2017 से चाइनीज मांझे के उपयोग और बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है. इसके बावजूद, हर साल 15 अगस्त के आसपास पतंगबाजी के शौकीन लोग इसका प्रयोग करते हैं, जिससे हजारों पशु और पक्षी आसमान में फंसकर अपनी जान गंवा देते हैं. इसके अलावा, सड़क पर चलने वाले लोगों के लिए भी यह मांझा खतरनाक साबित होता है.