बांग्लादेश में पुजारी चिन्मय दास को जेल में ही रखने की साजिश की जा रही है, उनके वकील रवींद्र घोष ने कहा कि पुलिस प्रशासन से लेकर सरकार तक चाहते हैं कि चिन्मय दास जल्द रिहा ना हों जाए. घोष ने कहा कि वह अपने क्लाइंट  को जेल से बाहर लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. कोलकाता में इस्कॉन मंदिर के बाहर मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए घोष ने कहा, मैं बांग्लादेश लौटूंगा और वहाँ अत्याचार से जूझ रहे लोगों के लिए लड़ूंगा.

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घोष बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट के वकील और बांग्लादेश माइनॉरिटी वॉच के अध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने चटगांव सेशन कोर्ट में पेश होकर अपनी जमानत करने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें ऐसा नहीं करने दिया गया. मामले की सुनवाई अब 2 जनवरी को होगी. उनका कहना था कि अगर मेरा स्वास्थ्य ठीक रहा तो मैं खुद सुप्रीम कोर्ट में पेश होऊंगा, लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाया तो एक अच्छे वकील को बुला लूंगा और उनकी लड़ाई लड़ता रहूंगा.

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बता दें कि घोष भारत में उपचार के लिए आए हैं और पश्चिम बंगाल के बारकपोर में रहते हैं. उन्होंने कहा कि चिन्मय दास पर गलत आरोप लगाए गए हैं और कोलकाता में इस्कॉन मंदिर गए और इस्कोन कोलकाता के अध्यक्ष राधारमन दास से मुलाकात की. बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार हटने के बाद से ही अल्पसंख्यक निशाने पर हैं. चिन्मय दास को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था और कई बार प्रयास करने के बाद भी उन्हें जमानत नहीं मिली.

चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनका विरोध हुआ. बांग्लादेश में उनकी तरफ से पेश होने वाली वकीलों के साथ भी मारपीट हुई है, वकीलों का कहना है कि यह सब उनको जेल में रखने के लिए किया जा रहा है. बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनने के बाद से अल्पसंख्यकों पर 6650 हमले हुए हैं, घोष ने कहा, मैं वकील हूँ और राजनीति से मेरा कोई संबंध नहीं है. कानून के सामने सबको बराबर होना चाहिए.

क्या था मामला जिसमें चिन्मय दास बनाए गए आरोपी

मामले में आरोप लगाया गया है कि ललदीघी मैदान में एक रैली में इस्कॉन से संबंधित एक धार्मिक ध्वज को बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर फहराया गया, जो “अपमान” और “देश की संप्रभुता के प्रति अपमानजनक कृत्य” था, और इसे “देश में अराजकता फैलाने के उद्देश्य से किए गए राष्ट्रद्रोही गतिविधियों” के रूप में देखा गया.

2016 से 2022 तक इस्कॉन चटगांव के सचिव के तौर पर रहे चिन्मय दास

इस्कॉन चटगांव के अनुसार, चिन्मय कृष्ण दास चटगांव के सातकानिया उपजिला के निवासी हैं. उन्होंने अपनी कम उम्र में धार्मिक भाषण देने के कारण उन्हें ‘शिशु वक्ता’ का उपनाम भी दिया था. बता दें कि चिन्मय कृष्ण दास 2016 से 2022 तक इस्कॉन के चटगांव के सचिव रहे. 2007 से चटगांव के हाथाजारी के पुंडरिक धाम के प्रधान भी रहे.