राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। राजधानी भोपाल में स्थित चिरायु अस्पताल को सरकार और उसके आदेश की जरा भी परवाह नहीं। यह हम नहीं बल्कि जो मामले सामने आ रहे हैं वो इस ओर ही इशारा कर रहे हैं। एक बार फिर अस्पताल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश को मानने से इंकार कर दिया और आयुष्मान योजना के तहत कार्ड धारी का निशुल्क इलाज करने की बजाय उससे लाखों रुपये ऐंठ लिये।

जिस आयुष्मान कार्ड धारी मरीज से अस्पताल द्वारा दो लाख रुपये जमा कराया गया है। उनका नाम सरजू बाई रघुवंशी है। विदिशा की रहने वाली सरजूबाई को उनके पोते ने आयुष्मान हाईटेक अस्पताल से रेफर कराकर रविवार को चिरायु अस्पताल में भर्ती कराया। योगेन्द्र रघुवंशी का कहना है कि उन्होंने चिरायु अस्पताल में आयुष्मान कार्ड देकर उन्हें आयुष्मान योजना के तहत उनकी दादी को भर्ती करने का आग्रह किया लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने दो टूक इंकार कर दिया। योगेन्द्र के मुताबिक प्रबंधन ने उन्हें कहा कि चिरायु अस्पताल में आयुष्मान कार्ड नहीं चलता। जिसके बाद योगेन्द्र ने पैसों का इंतजाम कर दो लाख रुपये अस्पताल में जमा करवाया।

और भी चिरायु हैं

सरकार के आदेश को ठेंगा दिखाने वाले राजधानी में एक मात्र चिरायु अस्पताल ही नहीं है। और भी चिरायु अस्पताल राजधानी में मौजूद हैं। योगेन्द्र ने बताया कि उसने अपनी दादी को पहले आयुष्मान हाईटेक अस्पताल में भर्ती करवाया था यहां उनकी दादी 6 दिन भर्ती थीं यहां भी आयुष्मान कार्ड से इलाज करने से इंकार कर दिया गया और उनका ढाई से तीन लाख रुपये का बिल बना दिया गया।

गुहार : मुख्यमंत्री इलाज करवा दें

योगेन्द्र का कहना है कि उनकी इतनी हैसियत नहीं है कि इतना महंगा इलाज करा सकें। उन्होंने सूबे के मुख्यमंत्री सहित तमाम मंत्रियों से निवेदन किया है कि उनकी दादी का वे इलाज करवा दें।

आपको बता दें चिरायु अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत इलाज के लिए रजिस्टर्ड है और सरकार की सूची में उनका नाम शामिल है। इससे पहले एक और मरीज के बेटे योगेश बलवानी ने चिरायु अस्पताल में आयुष्मान योजना से इलाज के लिए कहा तो लाखों रुपये वसूलने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने उसे बाहर फेंकवा दिया। प्रबंधन ने साफ कह दिया था कि उनके अस्पताल में आयुष्मान कार्ड नहीं चलता, यहां इस कार्ड से इलाज नहीं होता। अगले दिन उनकी मां की अस्पताल में मौत हो गई। अस्पताल प्रबंधन ने शव देने से इंकार कर दिया था। प्रबंधन के आगे हाथ-पैर जोड़ने के बाद अंतिम संस्कार के लिए उनकी मां का शव दिया गया लेकिन  लाखों का और बकाया बिल बगैर पटाए डेथ सर्टिफिकेट देने से इंकार कर दिया था। मामले में कलेक्टर ने अस्पताल को डेथ सर्टिफिकेट देने का आदेश दिया औऱ अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की सिफारिश की थी।

झूठ बेनकाब हुआ

मीडिया रिपोर्ट्स और कलेक्टर की कार्रवाई के बाद अस्पताल के मालिक डॉ अजय गोयनका ने अपना एक वीडियो रिकॉर्डेड बयान जारी किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि 7 मई को सरकार का आयुष्मान योजना के तहत निशुल्क इलाज करने का आदेश आया था। 7 मई से ही आयुष्मान कार्ड धारी हर मरीज का अस्पताल में निशुल्क इलाज किया जा रहा है। आयुष्मान कार्ड धारी मरीजों के इलाज का चिरायु अस्पताल का दावे की आखिरकार पोल खुल गई।

किसका वरदहस्त प्राप्त है

ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकार के आदेश की ना फरमानी के पीछे आखिर वजह क्या है? ऐसे अस्पतालों को आखिर किसका वरदहस्त प्राप्त है जो कि सूबे के मुख्यमंत्री के आदेश की भी इन्हें कोई परवाह नहीं ? सरकार के नाक के नीचे राजधानी में जब अस्पतालों की ऐसी मनमानी चल रही है तो सुदूर क्षेत्रों का क्या हाल होगा?

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