आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ का दंडकारण्य क्षेत्र कहे जाने वाले बस्तर से भगवान राम के वनवास की कहानी जुड़ी हुई है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता बस्तर के रास्ते से दक्षिण भारत की ओर गए थे. इस दौरान उन्होंने बस्तर के चित्रकोट, तीरथगढ़ जलप्रपात में समय भी गुजारा था, जिसका आज भी प्रमाण नजर आता है. इसे भी पढ़ें : धमतरी से है प्रभु श्रीराम का नाता… पुत्रयेष्ठी यज्ञ के बाद हुए थे राजा दशरथ को चार पुत्र, श्रृंगी ऋषि ने किया था यज्ञ
वनवास के दौरान भगवान श्री राम अपने वनवास के चौथे चरण में बस्तर के दंडकारण्य पहुंचे थे, भगवान श्रीराम धमतरी से कांकेर, कांकेर से रामपुर, जुनवानी, केशकाल घाटी शिव मंदिर, राकसहाड़ा, नारायणपुर, चित्रकोट जल प्रपात, शिव मंदिर, तीरथगढ़ जल प्रपात, सीताकुंड, कोटी माहेश्वरी, कुटुमसर गुफा और उड़ीसा के मलकानगिरी गुप्तेश्वर और सुकमा जिले के रामा राम मंदिर, समेत कोंटा में श्रीराम के वनवास के दिनों में यहां से होकर दक्षिण भारत के लिए प्रस्थान किया था.
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जानकार बताते है कि भगवान श्रीराम ने अपने 14 साल के वनवास के दूसरे पड़ाव में अत्रि ऋषि के आश्रम में कुछ दिन रुकने के बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के घने जंगलों को अपना आश्रय बनाया. यह काफी घनघोर जंगल क्षेत्र था. दंडकारण्य से होते हुए भगवान राम, लक्ष्मण और सीता माता बस्तर के चित्रकोट जलप्रपात पहुंचे तो यहां ऋषि मुनियों के आश्रम में भगवान राम, सीता माता और लक्ष्मण ने अपना कुछ समय बिताया.
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अपने प्रवास के दौरान श्रीराम ने चित्रकोट जलप्रपात के समीप एक शिवलिंग की भी स्थापना की, जहां अब एक भव्य मंदिर बन गया है. जहां हर साल शिवरात्रि और रामनवमी के मौके पर मेला भी लगता है. यहां दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. इस चित्रकोट को रामवनगमन पथ में शामिल करते हुए चित्रकोट जलप्रपात को पर्यटन स्थल के रूप में और भव्य रूप से विकसित किया गया है. वहीं आने वाले समय मे यहां पर भगवान राम की विशाल प्रतिमा स्थापित करने पर भी विचार किया जा रहा है.
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