रायपुर। कुम्हारी के बड़े तालाब को पाटने के खिलाफ़ लगाई गई याचिका को उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है। गत बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सरकार और कुम्हारी नगर पालिका को नोटिस जारी की है। साथ ही सुनवाई की अगली तारीख 29 जुलाई तय कर दी है।

ये थी तालाब की वास्तविक स्थिति

गौरतलब है कि कुम्हारी के ऐतिहासिक बड़ा तालाब को पाटकर उसमे चौपाटी बनाने की योजना पर काम चल रहा है। इसको लेकर स्थानीय लोगों मे जबरदस्त आक्रोश है। उनका कहना है कि वे कई पीढ़ियों से इस तालाब में निस्तारी कर रहे हैं। यहां कुम्हारी बस्ती के सभी सुख-दुख एवं पूजा-अर्चना के काम संपन्न होते हैं। साथ ही इस तालाब के कारण कुम्हारी मे भूजल स्तर बना रहता है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति में तालाब पाटने को पाप माना जाता है।

पाट कर तालाब को छोटा किया गया

यह तालाब सैकड़ों वर्ष पुराना है और इससे लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। तालाब को गहरीकरण के नाम पर पाटा जाना सरासर गलत है। इसके खिलाफ पालिका एवं जिला प्रशासन से कई बार शिकायत की गई मगर कोई सुनवाई नही हुई। अंततः जनता को न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिका स्वीकार कर ली है और सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है। साथ ही कुम्हारी नगर पालिका को अर्जेन्ट नोटिस भेजने का आदेश दिया है। इस मामले में याचिकाकर्ता निश्चय वाजपेयी की तरफ से प्रतीक शर्मा ने पैरवी की वहीं महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने सरकार की ओर से पक्ष रखा।