दिल्ली के राजस्व विभाग ने अगले हफ्ते शहर के अलग-अलग जोनों में सर्किल रेट की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई है। वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार रेट में बदलाव एकसमान नहीं होगा। कुछ इलाकों में सर्किल रेट बढ़ाए जा सकते हैं, जबकि कुछ क्षेत्रों में कम किए जाने की संभावना है। अधिकारियों ने बताया कि यह फैसला इलाकों के विकास स्तर, बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी और रियल एस्टेट गतिविधियों के आधार पर लिया जाएगा। जिन क्षेत्रों में विकास तेज़ है और प्रॉपर्टी की मांग अधिक है, वहां रेट बढ़ सकते हैं। इसके विपरीत, जहां विकास धीमा है या लेन-देन कम है, वहां रेट घटाने पर विचार किया जाएगा।
10 साल बाद रिवीजन, सभी से सुझाव लिए
दिल्ली में सर्किल रेट में आख़िरी बदलाव 2014 में किया गया था। अब लगभग 10 साल बाद सरकार रेट में संशोधन करने जा रही है। इसके लिए राजस्व विभाग ने सभी पक्षों से सुझाव मांगे हैं, जिनमें सरकारी विभाग, निवासी वेलफेयर एसोसिएशन, रियल एस्टेट और औद्योगिक संगठन, डेवलपर्स और अन्य एजेंसियां शामिल हैं। अगले सप्ताह होने वाली समीक्षा बैठक में इन सुझावों पर चर्चा की जाएगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमें कई सुझाव मिले हैं। हम पुरानी कमिटी रिपोर्ट्स देख रहे हैं और अन्य शहरों के मॉडल से तुलना भी कर रहे हैं। सिफारिशें तैयार होने के बाद इन्हें मुख्यमंत्री के सामने पेश किया जाएगा।”
8 कैटेगरी में बंटी संपत्ति
दिल्ली में संपत्तियों को A से H तक कुल आठ कैटेगरी में वर्गीकृत किया गया है। कैटेगरी A में सर्किल रेट सबसे अधिक 7.74 लाख रुपये प्रति वर्ग मीटर, जबकि कैटेगरी H में यह 23,280 रुपये प्रति वर्ग मीटर है। हालांकि, एक ही कैटेगरी के अंदर भी विकास स्तर, सुविधाओं और बाजार मूल्य में बड़ा अंतर देखने को मिलता है। उदाहरण के तौर पर वसंत विहार, गोल्फ लिंक्स और कालिंदी कॉलोनी तीनों A कैटेगरी में शामिल हैं, लेकिन कहीं सड़क और पार्किंग बेहतर है कहीं सुरक्षा और कनेक्टिविटी तो कहीं बाज़ार और आस-पास का रियल एस्टेट मूल्य अलग स्तर का है। फिर भी इन सभी इलाकों में सर्किल रेट एक समान लागू होता है, जिसे लेकर लंबे समय से री-क्लासिफिकेशन की मांग चल रही है।
रेट ज्यादा सटीक होंगे
इस असमानता को दूर करने के लिए कमिटी ने सुझाव दिया है कि हर कैटेगरी को 2–3 सब-कैटेगरी में विभाजित किया जाए। एक अधिकारी के अनुसार, “लगभग सभी कैटेगरी में विकास का अंतर है। सब-कैटेगरी बनाने से रेट इलाकों की वास्तविक स्थिति और बाजार मूल्य के अनुरूप हो सकेंगे।” यदि यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो पहली बार एक ही कैटेगरी में अलग-अलग रेट लागू होंगे। इससे उन क्षेत्रों की मूल्य स्थिति, जीवनस्तर और रियल एस्टेट की वास्तविकता बेहतर तरीके से प्रतिबिंबित होगी।
जनता की राय शामिल
दिल्ली में संपत्तियों के सर्किल रेट में जल्द ही बड़ा बदलाव हो सकता है। राजस्व विभाग ने अगले हफ्ते शहर के अलग-अलग जोनों में रेट की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई है। राजधानी में सर्किल रेट में आखिरी संशोधन 2014 में हुआ था। अब लगभग 10 साल बाद फिर से बदलाव की प्रक्रिया शुरू हुई है। यह प्रक्रिया जून 2025 में तब शुरू हुई, जब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने राजस्व विभाग को रेट्स की पुनर्समीक्षा का निर्देश दिया। इसके लिए एक कमिटी गठित की गई और जनता सहित विभिन्न संगठनों से सुझाव मांगे गए। पिछले महीनों में विभाग को निवासियों, उद्योग संगठनों और RWA से काफी प्रतिक्रियाएँ मिलीं। कई लोगों ने बताया कि सरकारी रेट और बाजार मूल्य में बड़ा अंतर है। कमिटी ने इन्हीं सुझावों और अन्य शहरों के मॉडल को देखते हुए अपनी रिपोर्ट तैयार की है।
कैबिनेट की मंजूरी जरूरी
दिल्ली में सर्किल रेट में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। राजस्व विभाग ने अगले हफ्ते शहर के विभिन्न जोनों में रेट की समीक्षा के लिए अहम बैठक बुलाई है। राजधानी में सर्किल रेट में आखिरी संशोधन 2014 में किया गया था, जबकि कृषि भूमि के रेट 2008 से नहीं बदले, जब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं। अब लगभग एक दशक से ज्यादा समय बाद सरकार दोनों श्रेणियों में रेट बढ़ाने की तैयारी कर रही है।
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