सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। कोरोना की जिन दो वैक्सीन को डीजीसीआई की अनुमति मिली है उनमें एक कोविशील्ड भी शामिल है। कोरोना की इस वैक्सीन को बनाने के लिए जिस टीम ने लंबी रिसर्च की उस टीम में शहर की एक बेटी प्रिया मैशेरी भी शामिल थी।
रायपुर के पेंशनबाड़ा की रहने वाली प्रिया मैशेरी को शुरू से ही रिसर्च करने में रूची थी। जब वो 10 वीं कक्षा में थी तब से ही उन्होंने ये ठान लिया था कि वे इनोवेटिव टेक्नालॉजी से संबंधित फिल्ड पर ही जाएंगी और बिल्कुल ऐसा ही हुआ। प्रिया मैशेरी वर्तमान में पीएचडी कर रही हैं और हाल ही में कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाले रिसर्च टीम में शामिल हुई थी।

प्रिया का कहना है कि मेरे फैमली में भी काफी डॉक्टर्स हैं। मैं जब 10 वीं में थी मैने सोचा था कि इसी फिल्ड में जाऊं, फिर मुझे केमिकल रिसर्च के बारें में पता चला। मैं ने अपना बी.फार्मा मुम्बई से पूरा किया है फिर रायपुर आकर एम.फार्म की पढ़ाई पूरी की और अब पीएचडी कर रही हूं। मैं इस फिल्ड में 2012 से हूं और अब तक मैने 8 रिसर्च किए है टीबी की वैक्सीन बनाए जाने की रिसर्च टीम में भी शामिल हुई थी।
कोरोना वैक्सीन को लेकर प्रिया बताती है कि महामारी की गंभीर स्थिति के समय से ही हमने वैक्सीन पर रिसर्च शुरू कर दिया था। उस दौरान हमें काफी बातों का ध्यान रखना पड़ा कि वैक्सीन को लगाने से किसी तरह का कोई इन्फेक्शन तो नहीं होगा। यदि किसी को कोई दूसरी बीमारी है तो उस पर वैक्सीन का क्या असर होगा ? ये तमाम बातें थी, जिस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत पड़ी। लेकिन मैं अब भी कहूंगी कि वैक्सीन आ गई तो लोग लापरवाही ना बरतें। अब भी लोगों को कोरोना से बचने की आवश्यकता है।