सिविल सेवा दिवस स्पेशल : लक्षिका साहू, रायपुर। हर साल 21 अप्रैल को मनाया जाने वाला सिविल सेवा दिवस उन कर्मठ अधिकारियों को समर्पित होता है, जो अपनी मेहनत, संकल्प और सेवा भावना से देश की प्रशासनिक व्यवस्था को नई दिशा देते हैं. यह दिन खास है, क्योंकि इस दिन हम उन सशक्त महिलाओं को सलाम करते हैं जिन्होंने सिविल सर्विसेस जैसी कठिन अग्नि परीक्षा को पार कर न सिर्फ़ IAS और IPS जैसे महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी निभाई, बल्कि समाज में बदलाव की मिसाल भी कायम की. जब जिम्मेदारियों को संभालने की बात आती है, तो नारी शक्ति को सबसे पहले याद किया जाता है.

आज हम बात करेंगे छत्तीसगढ़ की उन धाकड़ महिला अफसरों की, जिन्होंने बस्तर जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सेवा देकर और महिला सशक्तिकरण की नई ऊंचाइयों को छूकर यह साबित किया कि जुनून और जज्बे से कोई भी मंजिल पाई जा सकती है.
छत्तीसगढ़ की माटी पुत्री अंकिता शर्मा

अपने तेज़तर्रार मिज़ाज के लिए जानी जाने वाली अंकिता शर्मा दुर्ग ज़िले की रहने वाली हैं. अंकिता शर्मा कभी राजधानी में बतौर सीएसपी काम करते हुए नशे के कारोबार पर शिकंजा कस सुर्खियों में रहीं, तो कभी नक्सल प्रभावित जिले बस्तर में AK-47 लिए मोर्चे पर निडर खड़ी दिखीं. अंकिता की कहानी बेहद दिलचस्प है. मिजाज में सख्ती तो है ही, कमजोरों की मदद के लिए किसी भी हद तक जाने का जुनून भी सिर पर सवार है.
एक आईपीएस बनने के पीछे की कहानी साझा करते हुए अंकिता शर्मा बताती हैं कि, “मैं जब कभी भी ज़रूरतमंद लोगों को देखती, तब यह महसूस करती कि आखिर कैसे मैं उनकी मदद करूं. मैं सोचा करती थी कि इनकी मदद या तो पैसे से की जा सकती है या फिर सर्विस के ज़रिए बड़ी राहत दी जा सकती है. मैंने सर्विस का रास्ता चुना. मैं यह मानती थी कि सिग्नेचर में इतनी ताकत होती है कि आम आदमी की मदद की जा सकती है. यह सच भी है. किसी की मदद पैसे से एक हद तक की जा सकती है, लेकिन एक सिग्नेचर से की जाने वाली मदद की कोई सीमा नहीं.”

आईपीएस चयन और फिर ट्रेनिंग के दौरान भी अंकिता शर्मा के सामने कई अड़चनें आईं. यूपीएससी के कई अटेम्प्ट में असफलता हाथ लगी, बावजूद इसके मन में कुछ कर गुजरने का विश्वास ही था, जिसने लक्ष्य को बांधे रखा. वह कहती हैं कि “मुझे इस बात पर गर्व है कि मैं छत्तीसगढ़ की पहली महिला आईपीएस अधिकारी बनी. आईपीएस में चुने जाने के बाद से आज तक मुझे यह नहीं लगा कि मैंने कोई गलत फैसला लिया है, मैंने बहुत सोच-समझकर यह फैसला लिया था. मैंने अपनी हार भी स्वीकार की और उससे सबक लेकर जीत का रास्ता तय किया. आज जीत के साथ काम कर रही हूं.”
अंकिता शर्मा सोशल मीडिया पर भी काफ़ी एक्टिव हैं. किसी सेलिब्रिटी की तरह ही उनके 8.5 लाख से भी अधिक फ़ॉलोवर्स हैं, जो अंकिता को अपने यूथ आइकॉन के रूप में देखते हैं.
छत्तीसगढ़ का नाम रोशन करने वाली राज्य की पहली इंटरनेशनल अवॉर्ड होल्डर

IPS भावना गुप्ता का नाम हमेशा के लिए छत्तीसगढ़ की पहली अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड हासिल करने वाली महिला IPS अफ़सर के रूप में दर्ज हो चुका है. सूरजपुर और सरगुजा में एसपी के पद पर रहते हुए भावना ने “हिम्मत” एक पहल के ज़रिए 2000 से अधिक आदिवासी लड़कियों को आत्मरक्षा में प्रशिक्षित किया, जिसके लिए उन्हें प्रतिष्ठित 40 अंडर 40 IACP इंटरनेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. छत्तीसगढ़ के चर्चित बिरनपुर हत्याकांड के बाद भावना गुप्ता को बिरनपुर का एसपी बनाया गया था, जहां उन्होंने पुलिस सहायता केंद्र खोलकर शांति क़ायम की. वर्तमान में भावना गुप्ता बलौदाबाज़ार में पदस्थ हैं.
नक्सलगढ़ की कमान संभालने वाली IAS प्रतिष्ठा ममगाई

कम उम्र में नक्सल क्षेत्र में कार्य करने वाली पहली महिला IAS अधिकारी रही प्रतिष्ठा का बचपन से ही उद्देश्य एक IAS अफ़सर बनना था, जिसकी तैयारी उन्होंने स्कूली पढ़ाई के दौरान ही शुरू कर दी थी. पढ़ाई पूरी होने तक सिविल सर्विस का जुनून कुछ ऐसा चढ़ा कि पहले ही अटेम्प्ट में उन्होंने एग्ज़ाम क्लियर किया और कच्ची उम्र में ही जनसेवा करने की बड़ी ज़िम्मेदारी कंधों पर उठा ली. प्रदेश के विभिन्न जिलों में बड़े प्रशासनिक पदों पर पदस्थ प्रतिष्ठा अब नक्सलगढ़ की कमान सम्भाल रही हैं.
डॉक्टरी छोड़कर बनी IAS, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से हुई सम्मानित

डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने के बाद IAS की राह चुनने वाली हरिद्वार की प्रियंका शुक्ला की कहानी काफ़ी रोचक है. MBBS प्रैक्टिस के दौरान गांव में उनका सामना एक महिला से हुआ, जिसे प्रियंका गंदा पानी पीने से मना कर रही थी. महिला ने प्रियंका से सवाल करते हुए कहा कि “क्या वो कलेक्टर है जो उनकी बात माने?” फिर क्या था, प्रियंका शुक्ला को ये बात लग गई और उन्होंने सिविल सर्विसेज़ की तैयारी शुरू की और दूसरे ही अटेम्प्ट में क्लियर कर लिया. उन्होंने छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले की कमान संभालते हुए कई उल्लेखनीय काम किए. वे स्वास्थ्य, पशु चिकित्सा, रोज़गार, परिवार कल्याण विभाग में पदस्थ रही हैं. जनगणना 2011 में उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें राष्ट्रपति द्वारा सेंसेस सिल्वर मेडल से नवाज़ा गया. साथ ही साक्षरता के क्षेत्र में उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक