नई दिल्ली: NEET-UG Exam विवादों से घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET-UG 2024 से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. CJI चंद्रचूड़ ने कहा है कि आज शाम तक सुनवाई करेंगे, आज ये सुनवाई पूरी हो जाएगी.
याचिकाकर्ताओं से CJI ने आज शाम 5 बजे तक आधे पेज में NEET UG रीटेस्ट के पक्ष में तर्क का रिटन सब्मिशन ई-मेल करने को कहा है. CJI ने पूछा- एक ही प्रश्न के 2 अलग-अलग उत्तर को टिक करने वालों को मार्क्स देकर आप टॉपर्स की संख्या बढ़ा रहे हैं. आखिरकार NTA दोनों ऑप्शन पर मार्क्स देने के फैसले पर क्यों पहुंचा? इस पर सॉलिसिटर जनरल कहा- दोनों उत्तर सही थे. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने आपत्ति जताई. उन्होंने कहा- यह संभव नहीं है.
सुनवाई शुरू होने पर CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने पक्षकारों के वकीलों से पूछा कि परीक्षा के केंद्रवार और शहरवार परिणाम घोषित करने से क्या-क्या सामने आया है. इस बीच मिस्टर हुड्डा ने अदालत से 2 मिनट समय की मांग की. इस पर CJI ने कहा कि पहले ही 11.30 बज चुके हैं, तभी NTA की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि गलत प्रश्न पत्र से देशभर में कुल 3300 छात्रों ने परीक्षा दी है. दरअसल, इतने छात्रों ने केनरा बैंक से लाए गए प्रश्न पत्र से परीक्षा दी जबकि उन्हें भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में रखे गए प्रश्न पत्रों से परीक्षा देनी थी.
इस पर छात्रों के वकील हुड्डा ने पूछा कि फिर उन छात्रों की कॉपी कैसे जांची गई,जब NTA ने सिर्फ SBI के प्रश्नपत्रों का ही उत्तर जारी किया है. इस पर CJI ने कहा कि उनके पास केनरा बैंक वाले प्रश्न पत्र का भी आन्सर की होगा. इस पर हुड्डा ने कहा कि अभी तक तो NTA ने इसका उत्तर जारी नहीं किया है. इस पर CJI ने ग्रेस मार्क्स पर सवाल पूछे तो NTA के वकील ने कहा कि उन्हीं छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं, जिन्हें पहले केनरा बैंक के प्रश्न पत्र दिए गए थे फिर वापस लेकर SBI के प्रश्नपत्र दिए गए.
CJI इससे संतुष्ट नहीं हुए. उन्होंने फिर पूछा कि आखिर ग्रेस मार्क्स दिए ही क्यों? इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, मेरे नजरिए से यह सही निर्णय नहीं था लेकिन यह NTA का निर्णय था कि अगर समय को लेकर कोई दिक्कत रही है तो ग्रेस मार्क्स दिए जाएं. हालांकि बाद में उस निर्णय को वापस ले लिया गया और पुन: परीक्षा हुई है. जब CJI ने पूछा कि ऐसा कितने परीक्षा केंद्रों पर हुआ है कि SBI की जगह केनरा बैंक के प्रश्न पत्र दिए गए हैं तो NTA के पास इसका कोई जवाब नहीं था. NTA के वकील ने कहा कि वह बाद में इसका जवाब देंगे.
थोड़ी ही देर में NTA के वकील ने कोर्ट को बताया कि कुल आठ परीक्षा केंद्रों पर ऐसी घटना हुई, जिसमें SBI के प्रश्न पत्रों की जगह केनरा बैंक से आए सवाल छात्रों को दिए गए. उन्होंने बताया कि कुल 3000 से कुछ ज्यादा ऐसे परीक्षार्थी थे, जिन्हें गलत सवाल दिए गए. CJI ने झज्जर के परीक्षा केंद्र के बारे में भी सवाल किया और पूछा कि क्या उस परीक्षा केंद्र पर छात्रों ने गलत सवाल से ही परीक्षा दिए. NTA के वकील ने कहा कि वह परीक्षा केंद्र नया था. संभवत: इसीलिए उस शहर के कॉर्डिनेटर ने वह संदेश नहीं देखा और दोनों ही बैंकों से प्रश्न पत्र मंगवा लिए.
इस पर CJI ने पूछा कि क्या बैंकों को मैसेज नहीं भेजे गए थे कि आपको प्रश्न पत्र देने हैं या नहीं? क्या केनरा बैंक को साफ-साफ नहीं बताया गया था कि उन्हें पेपर रिलीज नहीं करने हैं. इस पर NTA ने कहा कि संदेश भेजे गए थे बावजूद इसके गलती हुई. CJI ने पूछा कि झज्जर के सेंटर इंचार्च फिर कैसे बैंक पहुंच गए? इस पर NTA ने कहा कि सेंटर और बैंक दोनों के स्तर से गड़बड़ी हुई है. फिलहाल सुनवाई जारी है और आज ही इस मामले में फैसला आने की संभावना है.
इस बीच यह बात सामने आई है कि NEET-UG परीक्षा में कथित अनियमितताओं के लिए जांच के दायरे में आए परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा देने वाले अभ्यार्थियों का प्रदर्शन तुलनात्मक रूप से काफी खराब रहा है. इन केंद्रों में झारखंड के हजारीबाग का ओएसिस स्कूल, हरियाणा के झज्जर का हरदयाल पब्लिक स्कूल और गुजरात के गोधरा का जय जलाराम इंटरनेशनल स्कूल शामिल है. SC ने 18 जुलाई को NTA को अभ्यर्थियों की पहचान गुप्त रखते हुए 20 जुलाई की दोपहर 12 बजे तक NEET-UG 2024 के केंद्रवार और शहरवार परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया था.
न्यायालय ने कहा था कि वह इस बात का पता लगाना चाहता है कि कथित रूप से दागी केंद्रों पर परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों को अन्य स्थानों के अभ्यर्थियों की तुलना में अधिक अंक मिले हैं या नहीं. पीठ 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिनमें NTA द्वारा दायर याचिका भी शामिल है. NTAने परीक्षा में कथित अनियमितताओं के संबंध में विभिन्न उच्च न्यायालयों में उसके खिलाफ लंबित मुकदमों को उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है. केंद्र और NTA ने उच्चतम न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामों में कहा था कि बड़े पैमाने पर गोपनीयता के उल्लंघन के किसी भी सबूत के अभाव में परीक्षा को रद्द करना ‘‘प्रतिकूल’’ होगा और यह लाखों ईमानदार अभ्यर्थियों को ‘‘गंभीर रूप से खतरे में’’ डालेगा.
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