चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार (13 अप्रैल) को कहा कि आधुनिक प्रक्रियाओं में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के इस्तेमाल से ऐसे जटिल नैतिक, कानूनी और व्यावहारिक विषय खड़े होते हैं, जिनकी व्यापक समीक्षा की जरूरत है. चीफ जस्टिस ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इनोवेशन की अगली सीमा तक ले जाती है और कोर्ट के फैसले की प्रक्रिया में उसका इस्तेमाल अवसर और चुनौतियों दोनों ही पेश करता है, जिन पर गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता है.
बोलेः AI का गलत इस्तेमाल ना किया जाए
CJI चंद्रचूड़ ने इस बात पर जोर दिया कि हमें ये भी ध्यान रखना होगा कि AI का गलत इस्तेमाल ना किया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि ये भी सुनिश्चित करना होगा कि ये अमीर और गरीब के बीच की खाई को और गहरा ना करे.
उन्होंने कहा कि कई शीर्ष अदालतों में पहले से ही AI को पेश किया जा चुका है, जो लाइव ट्रांस्क्रिप्शन की सर्विस देते हैं. यह सर्विस हिंदी समेत 18 स्थानीय भाषाओं में मौजूद है और यह लीगल इंफोर्मेशन को आम लोगों को एक्सेस करने की सुविधा देते हैं.
कानूनी क्षेत्र में लीगल रिसर्च में एआई गेम चेंजर की तरह उभरा
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कानूनी क्षेत्र में लीगल रिसर्च में एआई एक गेम चेंजर की तरह उभरा है. ये कानूनी पेशे से जुड़े लोगों को दक्षता और सटीकता के साथ सशक्त बनाता है. सीजेआई ने कहा कि चैट जीपीटी के इस्तेमाल के साथ ये सवाल उठ रहे हैं कि किसी मामले में निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए एआई पर भरोसा करना चाहिए कि नहीं.
एआई गलत नतीजे भी देता है- सीजेआई
उन्होंने उदाहरण देकर कहा कि कई बार एआई गलत नतीजे भी देता है. अदालती कार्यवाही सहित आधुनिक प्रक्रियाओं में एआइ का एकीकरण जटिल नैतिक, कानूनी और व्यावहारिक विचारों को जन्म देता है जो गहन जांच की मांग करते हैं. हालांकि इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने भारतीय न्यायपालिका द्वारा अपनाई गई तकनीक से सहज और सरल हुई न्याय प्रक्रिया का भी उदाहरण दिया.
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