नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण ने इसे आम नागरिकों के घरों और दिलों तक पहुंचा दिया है. सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि अदालत यह सुनिश्चित करने के लिए तकनीक का उपयोग करने की कोशिश कर रही है कि लाइव-स्ट्रीम की गई सामग्री को अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाओं में एक साथ उपलब्ध कराया जाए.
उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि अदालत की कार्य़वाही देश का कोई भी नागरिक समझ सके इसके लिए हम जल्दी ही उनकी भाषा में कार्यवाही की ट्रांसक्रिप्ट उपलब्ध कराने पर विचार कर रहे हैं. अगर ऐसा होता है तो लोग जल्द ही हिंदी में भी अदालत की कार्यवाही समझ सकेंगे. इससे देश की अन्य भारतीय भाषाओं जैसे, असमिया, उड़िया, तेलगू, कन्नड़, मलयाली, तमिल, मराठी, राजस्थानी में भी आप सुप्रीम कोर्ट में होने वाली कार्य़वाही समझ सकेंगे.
सेम सेक्स मैरिज पर सुनवाई के दौरान बोले सीजेआई
सेम सेक्स मैरिज पर हो रही कार्यवाही को सुनने के दौरान सीजेआई ने कहा, उनका प्रशासन ऐसी व्यवस्था पर काम कर रहा है जिसमें विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में सुनवाई की ट्रांसक्रिप्ट एक साथ तैयार की जा सके, जिससे देश के सुदूर प्रांतों में बैठे लोग कानूनी प्रक्रिया को समझ सकें.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र सरकार ने बताया कि लिव-इन पार्टनर और समलैंगिक जोड़ों को सरोगेसी कानून के तहत सेवाओं का लाभ उठाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. केंद्र ने सरोगेसी अधिनियम, 2021 और सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2021 की शक्तियों को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर अतिरिक्त हलफनामा दाखिल किया.
सीजेआई ने इस व्यवस्था का जिक्र समलैंगिक विवाह को सुनते समय तब किया जब मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने उनको बताया, समलैंगिक विवाह के लाइव टेलिकॉस्ट से समाज में इस मुद्दे को लेकर चर्चा होने लगी है और देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग इस विषय पर बातचीत कर रहे हैं.
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐलान किया था कि अनुच्छेद 21 के तहत कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग न्याय के अधिकार का हिस्सा है. वहीं, फरवरी में अदालत ने AI और कई टूल्स की मदद से पहली बार कोर्ट की कार्यवाही की लाइव ट्रांसक्रिप्शन शुरू की थी.