जयपुर. हिंदू पक्ष ने राजस्थान की ऐतिहासिक अजमेर दरगाह की जमीन पर पहले शिव मंदिर होने का दावा किया है. इस याचिका को निचली अदालत ने स्वीकार कर लिया है और सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है. मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी.
क्या है मामला?
हिंदू पक्ष ने कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया है कि अजमेर दरगाह परिसर कभी भगवान शिव का मंदिर था. वकील विष्णु जैन ने अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिविजन मनमोहन चंदेल की अदालत में यह याचिका दाखिल की. कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए 5 दिसंबर तक सभी पक्षों को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं.
पुराना विवाद
दरअसल, यह विवाद नया नहीं है. हिंदू संगठनों ने पहले भी दरगाह परिसर को शिव मंदिर बताने के दावे किए हैं. महाराणा प्रताप सेना ने 2022 में यह मुद्दा उठाया था और तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जांच की मांग की थी. उस समय दरगाह की खिड़कियों पर स्वास्तिक के निशान होने का दावा किया गया था, लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की.
शिव मंदिर के प्रमाण का दावा
याचिका में वकील विष्णु जैन ने 1911 में लिखी गई ‘अजमेर निवासी हर विलास शारदा’ नामक किताब का हवाला दिया है. किताब में लिखा गया है कि दरगाह की जमीन पर पहले शिव मंदिर था, जहां भगवान शिव की पूजा होती थी और उनका जलाभिषेक किया जाता था. यह भी दावा किया गया कि दरगाह के बुलंद दरवाजे के निर्माण में मंदिर के अवशेषों का इस्तेमाल हुआ.
सभी पक्षों को पेश करना होगा जवाब
अब कोर्ट ने सभी पक्षों को अपनी दलीलें पेश करने का मौका दिया है. कांग्रेस शासनकाल में इस मामले को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी, लेकिन अब मामला अदालत में पहुंच चुका है.
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