नई दिल्ली . दिल्ली में लोकल शॉपिंग सेंटरों की 100 से अधिक दुकानों की सील हटाने के लिए दुकानदार लगातार मांग कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट की न्यायिक समिति के आदेश के तहत दुकानों को डी-सील किया जाना है. इस मामले पर आप और भाजपा नेता एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं.

दिल्ली नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि मास्टर प्लान 2021 और निगम अधिनियम के तहत आवासीय क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन करने पर कन्वर्जन शुल्क देना अनिवार्य है. इस मामले को लेकर निगम प्रशासन ने न्यायिक समिति के आदेश पर स्पष्टीकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.

पिछले साल दिसंबर में, न्यायिक समिति ने डी-सीलिंग पर एक आदेश पारित किया और कुछ चेतावनियों के साथ बेसमेंट को भंडारण और वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए उपयोग करने की अनुमति दी.

महापौर डॉ. शैली ओबरॉय और उपमहापौर आले मोहम्मद इकबाल ने मंगलवार को प्रेसवार्ता की. महापौर ने कहा, ‘मैंने मंगलवार को निगम आयुक्त को पत्र लिखकर लोकल शॉपिंग सेंटर की सभी दुकानों को डी-सील करने के निर्देश दिए हैं. दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट की न्यायिक समिति ने इन सभी दुकानों को डी-सील करने का आदेश दिया था. इसके बाद दो बार दिसंबर और जनवरी में सदन की बैठक में इनको डी-सील करने का प्रस्ताव पास किया गया. आयुक्त और अधिकारियों को प्रस्तावों के तहत कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं.

नेता विपक्ष बोले, अधिकारियों पर दोष मढ़ा जा रहा : निगम में नेता विपक्ष राजा इकबाल सिंह ने आप पर निशाना साधते हुए महापौर के प्रेसवार्ता में दिए गए बयान का खंडन किया. उन्होंने कहा, आप नेता निगम के अधिनियम के अनुरूप कार्य नहीं करना चाहते हैं. न्यायिक समिति के आदेश के बाद भी दुकानों को डी-सील नहीं कर पाए. विफलता छिपाने के लिए निगम के अधिकारियों पर दोषारोपण किया जा रहा है.

‘दुकानों को डी-सील करने के निर्देश दिए’

महापौर डॉ. शैली ओबरॉय ने कहा कि भाजपा के शासन में निगम में व्यापारी परेशान रहे. उनके कारोबार ठप हो गए. दुकानें बंद हो गईं. अब न्यायिक समिति से दुकानदारों को राहत मिली है. इसलिए आयुक्त को दुकानों को डी-सील करने के निर्देश दिए हैं.