सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। हाथ में डंडा, नंगे पैर और 300 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा। ये हम महात्मा गांधी के दांडी यात्रा की बात नहीं कर रहे हैं। बल्कि पांच दिन की पैदल अंबिकापुर से रायपुर की यात्रा कर पहुंचे उन सफाई कर्मचारी की बात कर रहे हैं, जो अंशकालीन की जगह कलेक्टर दर पर ही पूर्णकालीक भुगतान की अपनी एक सूत्रीय मांग कर रहे हैं।

तकरीबन साढ़े तीन सौ किलोमीटर की पैदल यात्रा में 16 जनवरी से निकले सफाई कर्मचारी आज 21 जनवरी को रायपुर पहुंचे। अपने पांव में छाले और ज़ख्म का भी उन्हें उतना दर्द नहीं सता रहा जितना उन्हें उनके काम के बदले मिलने वाले मेहनताना का। दिन प्रतिदिन बढ़ रही इस महंगाई ने जहां आम लोगों के घर का बजट बिगाड़ दिया है, वहां इन्हें महज 2000 रुपये महीने ही मानदेय मिलता है वो भी कई-कई महीनों बाद। यही वजह है कि अपने इस दर्द से शासन-प्रशासन को रूबरू कराने ये मेहनतकश कर्मियों ने महात्मा गांधी की राह चुनी और सरकार को उस वादे की याद दिलाने राजधानी रायपुर पहुंचे जो विधानसभा चुनाव के दौरान उनसे कांग्रेस ने किया था।

प्रदेश भर में इनकी तरह 42,797 अंशकालीन स्कूल सफाई कर्मचारी हैं। जिन्हें 2000 रुपये महीने का भुगतान किया जाता है। छत्तीसगढ़ अंशकालीन स्कूल सफ़ाई कर्मचारी कल्याण संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र कुमार साहू ने कहा कि अंशकालीन की जगह पूर्णकालीन भुगतान हो कलेक्टर दर पर भुगतान हो यही हमारी एक सूत्री माँग है। अगर हमारी माँग पूरी नहीं होगी तो आगे उग्र आंदोलन करेंगे। फ़िलहाल आज प्रदर्शन कर रहे हैं कि अगर CM और शिक्षा मंत्री से हमारी बातचीत नहीं हुई तो अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे।

संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष नर्मदा प्रसाद ने बताया कि वर्तमान समय में प्रतिमाह 2000 रुपये निर्धारित है। वो भी कई महीनों के बाद दिया जाता है। 2000 रूपये परिवार का भरण पोषण करना संभव नहीं है। हमें अंशकालीन से पूर्णकालीन करते हुए कलेक्टर दर पर भुगतान ही हमारी माँग है।

प्रदेश सचिव सरोज साहू ने बताया कि पूर्व BJP सरकार में जब हम धरना प्रदर्शन कर रहे थे तब कांग्रेस के द्वारा घोषणा किया गया था कि जैसे ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी उसके बाद एक पूर्णकालीन किया जाएगा। इसका लिखित में आश्वासन दिया गया है लेकिन आश्वासन देने के दो साल बीत जाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। इसीलिए प्रदेश भर में कार्यरत 42,797 सफ़ाई कर्मी एवं उनके परिवार दुखी हैं।