भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सोमवार को रवीन्द्र भवन के हंसध्वनि सभागार में हिन्दी दिवस के अनुक्रम में आयोजित भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान कार्यक्रम में शामिल हुए। सीएम ने कार्यक्रम में हिन्दी साहित्य लेखन और हिंदी के व्यापक स्तर पर लोकव्यापीकरण में योगदान देने वाले देश-विदेश के हिन्दी के 10 मूर्धन्य साहित्यकारों को विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी भाषा सम्मानों से सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न साहित्यिक पुस्तकों का विमोचन/लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम के दौरान ही महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा आयोजित विक्रमोत्सव 2025 को एशिया के शासकीय समारोह की विशेष श्रेणी में वॉव अवार्ड एशिया की टीम द्वारा मुख्यमंत्री डॉ. यादव को सम्मान स्वरूप गोल्ड अवार्ड भेंट किया गया।
पाठ्यक्रमों में पढ़ाया जाएगा महानायकों की वीरता
इस दौरान सीएम डॉ. मोहन यादव ने ऐलान किया कि पाठ्यक्रमों में महानायकों की वीरता को पढ़ाया जाएगा। सीएम ने कहा कि रानी दुर्गावती समेत महानायकों की वीर गाथा को पाठ्यक्रम में शामिल होना चाहिए। इसे लेकर उन्होंने मंच से ACS शिवशेखर शुक्ला को निर्देश दिए।
‘मां और मातृभाषा से ऊपर दूसरा कोई नहीं ‘
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संबोधन में कहा कि मां और मातृभाषा से ऊपर दूसरा कोई नहीं है। मां और मातृभाषा ही हमारी सबसे बड़ी पालक हैं। इनका स्थान कोई नहीं ले सकता है, जैसे मां के चरणों में चारधाम है, उसी प्रकार मातृभाषा की गोद में आनंदधाम है। जितना सटीक हमारी मातृभाषा का व्याकरण है, उतना ही समृद्ध हिन्दी साहित्य है। उन्होंने कहा कि 52 वर्णों में गुंथी हुई हिन्दी की वर्णमाला ही हमारी पहली पाठशाला है। जो अ से अनपढ़ बच्चे की अंगुली पकड़कर ज्ञ से ज्ञानी बना दे, वही हिन्दी है।
हिन्दी विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिन्दी विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। अंग्रेजी और मंदारिन के बाद हिन्दी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। हिन्दी हमारी संस्कृति को जोड़ती है। हिन्दी के बिना हमारा साहित्य, हमारी भावनाएं और हमारी संवेदनाएं यकीनन अधूरी हैं।
आल्हा-ऊदल के महाकाव्य में हिंदी की सुंदरता
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि आज ही अभियंता दिवस भी मनाया गया है। उन्होंने सभी को अभियंता दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि भारत एकमात्र देश है, जहां सर्वाधिक मातृभाषा हिंदी बोली जाती है। भगवान श्रीराम ने हजारों साल पहले मातृभाषा की गरिमा का उल्लेख किया था। आल्हा-ऊदल के महाकाव्य में हिंदी की सुंदरता देखने को मिलती है। रानी लक्ष्मीबाई और रानी दुर्गावती पर काव्य लिखकर इसे पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। राजाभोज के काल में कविता के रचनाकारों को स्वर्ण मुद्राएं देकर सम्मानित किया जाता था। महाकवि कालिदास की रचनाओं से मालवी, भीली, कोरकू जैसी अनेक भाषाएं निकली हैं।
स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी काव्य रचनाओं को दिलाया अलग स्थान
उन्होंने कहा कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी काव्य रचनाओं को अलग स्थान दिलाया। उन्होंने 50 वर्ष के राजनीतिक जीवन में सर्वाधिक समय नेता प्रतिपक्ष के पद को सुशोभित किया। वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दुनिया के हर बड़े मंच पर हिंदी भाषा में संबोधन के जरिए भारत को गौरवान्वित करते हैं। उनके पहुंचने मात्र से ही मंच प्रकाशमय हो जाता है।
सम्मान एवं अलंकरण
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इन 10 विभूतियों को विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी भाषा सम्मान से अलंकृत किया।
राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान
प्रशांत पोळ-जबलपुर (2024)
लोकेन्द्र सिंह राजपूत- भोपाल (2025)
राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान
रीता कौशल-ऑस्ट्रेलिया (2024)
डॉ. वंदना मुकेश- इंग्लैण्ड (2025)
राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान
डॉ. इंदिरा गाजिएवा-रूस (2024)
पदमा जोसेफिन वीरसिंघे (2025)
राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान
डॉ. राधेश्याम नापित-शहडोल (2024)
डॉ. सदानंद दामोदर सप्रे-भोपाल (2025)
राष्ट्रीय हिन्दी सेवा सम्मान
डॉ. के.सी. अजय कुमार-तिरुवनंतपुरम् (2024)
डॉ. विनोद बब्बर-दिल्ली (2025)
साहित्यिक पुस्तकों/प्रकाशनों का हुआ लोकार्पण/विमोचन
भारतीय भाषा आलोक – राजेश्वर त्रिवेदी
समाज की भाषा का संकल्प – विजयदत्त श्रीधर
भोजपुरी प्रतिभाएं – डॉ. धर्मेन्द्र पारे
शिवगीता, दत्तात्रेयगीता, कपिलगीता, अवधूतगीता, भागवतगीता, यमगीता, हरिहरगीता, भृगुगीता, श्रीकृष्ण चरित्र – बंकिमचन्द्रम चट्टोपाध्याय
श्रीराधा द्वापर युग की महानायिका – अशोक शर्मा एवं
लोक में वेदांत – डॉ. सरोज गुप्ता
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