रायपुर। पोस्ट ऑफिस के जरिए बेचे जा रहे गंगाजल पर जीएसटी लगाए जाने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने निशाना साधा था, जिसके बाद केंद्र की ओर से सफाई आई थी कि पूजा सामग्रियों में जीएसटी नहीं लगाया जाता है. इस पर अबकी बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दस्तावेजों के साथ सबूत पेश करते हुए कहा कि सच छिप नहीं सकता, झूठ को बार-बार परोसने से.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने X पर किए दस्तावेजों के साथ किए अपने पोस्ट में बताया कि भारत सरकार के संचार मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट द्वारा 3 अक्टूबर 2023 के पत्र के माध्यम से विभाग के सभी डाक परिमंडलों को सूचित किया है कि सक्षम प्राधिकारी द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि गंगाजल की बोतल का मूल्य 35 रुपए (18 प्रतिशत जीएसटी सहित) निर्धारित किया जाता है.” गंगाजल की जिन बोतलों पर पूर्व से मूल्य प्रिन्टेड है उनमें “जीएसटी सहित” की स्टैम्प लगा दी जाये.
इसके बाद डाक विभाग (इंडिया पोस्ट) द्वारा उसकी वेबसाइट में उक्त निर्देश के पालन में 18 प्रतिशत जीएसटी सहित की स्टैम्प भी लगा दी गयी. डाक विभाग के इस निर्णय का जब कांग्रेस द्वारा बड़ा विरोध आरंभ किया गया, तब घबराकर भारत सरकार के जीएसटी विभाग द्वारा झूठी सफाई जारी की गयी कि पूजा सामग्री पर आरंभ से ही जीएसटी नहीं लगाया गया है. सत्य तो यह है कि जीएसटी विभाग की पूजा सामग्री की सूची में गंगाजल शामिल ही नहीं है.
इसके पश्चात् डाक विभाग द्वारा गंगाजल पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाये जाने के निर्णय को दिनांक 12 अक्टूबर 2023 को वापस लेते हुए गंगाजल का मूल्य फिर से 30 रुपए करने का आदेश जारी किया गया. इंडिया पोस्ट की वेबसाइट में भी तदनुसार संशोधन कर दिया गया है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने तंज कसा कि 2022 तक गंगाजल को निर्मल बनाने का झूठा दावा करने वाले एक बार फिर पवित्र गंगाजल को लेकर बेनकाब हो गये हैं. गंगा मैया के श्राप की कीमत तो भाजपाइयों को चुकानी ही होगी.