रायपुर. सीएम भूपेश बघेल का बस्तर दौरा हर बार नक्सल पीड़ितों के लिए खुशियां लेकर आता है. इस बार भी सीएम ने 30 नक्सल पीड़ित परिवारों को पुनर्वास के लिए आवास दिया. इस दौरान इन परिवारों ने सीएम को अपनी आपबीती बताई.
अपनी दास्तां बताते हुए रामनाथ मंडावी ने कहा घर क्या होता है ये मुझे पता ही नहीं है. मैंने 21 साल की उम्र तक सिर्फ डर देखा है. नक्सली डर की वजह से 6 साल की उम्र से मेरी मां ने घर आने ही नहीं दिया. साल 2005 में मैं 6 साल का था जब नक्सलियों ने पूरा घर तबाह कर दिया. लूट का ऐसा तांडव मचाया कि घर से गाय, बकरी, कपड़े, बर्तन यहां तक कि नमक तक लूटकर ले गए. घर में सिर्फ दरवाजा और चार दीवारें ही बची रहीं.
बाजार में ही मिलते थे मां और बेटे
रामनाथ मंडावी ने बताया अगले दिन हमारे पास पहनने को कपड़े तक नहीं थे. कुछ महीने बाद ही 26 फरवरी 2006 में महाशिवरात्रि थी. बड़े भाई मोहन मंडावी जो एसपीओ थे, तुलार गुफा से शिवजी के दर्शन कर लौट रहे थे, उन्हें नक्सलियों ने भरे बाजार में गोली मारकर हत्या कर दी. डर की वजह से मुझे पढ़ाई के लिए 2007 में बालक आश्रम बारसूर, फिर भैरमगढ़ पोटाकेबिन इसके बाद मारडूम भेज दिया. वे बताते हैं कि मैं जिंदा रहूं इसके लिए मां मुझे घर नहीं आने देती थी. जब भी दिल करता हम लोग बाजार में जाकर मिल लेते थे और लिपटकर खूब रोते थे, लेकिन अब घर में रहेंगे.
कारली में बनाए गए हैं 30 आवास
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दंतेवाड़ा में भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान आवासीय परिसर के घर की चाबी रामनाथ मंडावी को सौंपी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर नक्सल पीड़ित एवं नक्सल घटनाओं में शहीद परिवारों के लिए दंतेवाड़ा के कारली में सर्व सुविधायुक्त 36 आवास निर्मित किए गए हैं, जिनमें से 30 आवास नक्सल पीड़ित परिवारों को आवंटित कर दिए गए हैं.
गिड़गिड़ाए फिर भी नक्सलियों ने पिता को नहीं छोड़ा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से शासकीय आवास की चाबी पाने के बाद सीमा कर्मा बेहद खुश हैं. सीमा बताती हैं कि मैं और मां नक्सलियों द्वारा पिता की हत्या के बाद बेहद सदमें में रहे. मेरे पिता गोपनीय सैनिक थे. घटना वाली रात नक्सली दरवाजा तोड़कर घर में घुस आए और पिता को घसीटते हुए ले गए. हम लोग बहुत गिड़गिड़ाए लेकिन पिता को नहीं छोड़ा. अगले दिन पता चला कि नक्सलियों ने पिता की गला रेतकर हत्या कर दी है. इसके बाद नक्सली हमारे गांव वाले घर में पथराव करते रहे ताकि हम लोग दहशत से घर छोड़कर चले जाएं.
सरकार आवास मिलने से अब मिलेगी राहत
सीमा ने बताया मां ने मजदूरी कर हम तीनों भाई-बहन को पाला है. अभी 3 हजार रुपए घर का किराया देती हूं. अब शासकीय आवास मिल गया है, इससे बहुत राहत मिलेगी. सीमा ने बताया कि अभी अनुकंपा नियुक्ति के तौर पर आरक्षक के पद पर ज्वाइन कर लिया है. अब नक्सलियों को खत्म करने का ही सपना है.
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