पंजाब. अमृतपाल और पंजाब वारिस दे को ध्वस्त करने के लिए पंजाब के शासन-प्रशासन ने पूरा जोर लगा दिया है. बड़ी संख्या में लोग गिरफ्तार हुए हैं. वहीं अमृतपाल की तलाश जारी है. आम आदमी पार्टी ने पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया है. उनका कहना है कि अजनाला की कायराना हिंसा के बाद अमृतपाल बेखौफ घुम रहा था. विपक्षी नेता अपने बयानों से लगातार राजनीति कर रहे थे. मीडिया इंटरव्यूज आग में घी डालने का काम कर रहे थे. इस सबके बीच पंजाब के हालात ख़राब होते जा रहे थे. ऐसे वक्त में पंजाब के सीएम भगवंत मान के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था. ये तूफान से पहले की शांति जैसा था. सीएम भगवंत मान दिन-रात पंजाब पुलिस के आला अधिकारियों से मीटिंग कर रहे थे. कुछ बड़ा प्लान होने वाला था और अचानक खबर आती है कि अमृतपाल सिंह के सैकड़ों लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. भारी मात्रा में हथियार बरामद किये गए. एक ही झटके में अमृतपाल सिंह की पूरी प्लानिंग को नेस्तनाबूद कर दिया गया. खालिस्तान के उभरते मंसूबों पर पानी फेर दिया गया.
जो अमृतपाल अपने आपको शेर समझ रहा था, वो आज गीदड़ की तरह भागने को मजबूर है. पंजाब पुलिस ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया है. हर रोज उसके गुर्गे गिरफ्तार हो रहे हैं. पंजाब को अस्थिर करने की उसकी साजिश का भंडाफोड़ हो चुका है. मिशन की पूरी प्लानिंग सीएम भगवंत मान और पुलिस के आला अधिकारी पिछले 30 दिन से कर रहे थे. बंद कमरे में रणनीति बनाई जा रही थी. छोटी-छोटी डिटेल्स पर काम किया जाता था. सीएम भगवंत मान रियल टाइम हर घटना पर नजर रखे हुए थे. पंजाब पुलिस अमेरिकी सील कमांडो की तरह एकदम मुस्तैदी से लगी थी. सीएम मान सीनियर पुलिस अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में थे. पंजाब के लोगों को किसी तरह की दिक्कत ना हो, इसके लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात की गई, जिसे सीएम मान खुद मॉनिटरिंग कर रहे थे. अलर्टनेस, सीक्रेसी, एक्यूरेसी का पूरा ध्यान रखा गया ताकि मिशन की कानों-कान किसी को खबर ना हो.
Mission Sniper का कमाल
पंजाब पुलिस के आला अधिकारियों के अलावा, AGTF और anti terror squad (ATS) के साथ लगातार मीटिंग कर रहे थे भगवंत मान, इस पूरे मिशन का नाम “प्रोजेक्ट स्नाइपर” (project sniper) रखा गया था. क्योंकि इस प्रोजेक्ट के तहत भगवंत मान किसी भी तरह का कोलेट्रल डैमेज नहीं चाहते थे. नाम के मुताबिक़ प्रोजेक्ट का मक़सद केवल अमृतपाल और ‘वारिस पंजाब दे’ के पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करना था और आम जानता को किसी भी तरह की परेशानी से बचाना था. 18 मार्च को जब ऑपरेशन शुरू हुआ, भगवंत मान लगातार पुलिस के आला अधिकारियो के साथ-साथ ऑन ग्राउंड कमांडो यूनिट से भी संपर्क में थे. मकसद साफ था, पूरे प्लान को बेहतर ढंग से एक्सीक्यूट करना और मुख्यमंत्री इस में किसी भी तरह की कमी नहीं चाहते थे.
अमृतपाल के मंसूबों को ध्वस्त करना था मकसद
नतीजा ये रहा की इतने बड़े ऑपरेशन में एक गोली भी नहीं चली और एक बूंद खून भी नहीं गिरा, फिर भी वारिस पंजाब दे और अमृतपाल का पूरा नेटवर्क ध्वस्त हो गया. अजनाला के बाद अमृतपाल का सरकार और पुलिस को कमजोर समझना भारी पड़ा, मुख्यमंत्री को ये सूचना थी की 19 मार्च से अमृतपाल खालसा वहीर नाम से पूरे पंजाब में अशांति फैलाने का प्लान बना रहा था, मुख्यमंत्री भगवंत मान पंजाब को लेकर चिंतित थे, उन्होंने एक जॉइंट कॉर्डिनेशन कमेटी का गठन किया. जिसका मक़सद अमृतपाल और उसके मंसूबों को समाप्त करना था, कमेटी की सारी मीटिंग खुद मुख्यमंत्री चेयर कर रहे थे और रोज एक्शन प्लान पर रिपोर्टिंग कर रहे थे. G20 समाप्त होते ही मुख्यमंत्री ने पुलिस को एक्शन के लिए ग्रीन सिग्नल दिया और बड़े स्तर पर कार्रवाई की गई.
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