शिवम मिश्रा, रायपुर. नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल के बुलडोजर वाले बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से बात यह है कि बुलडोजर चलाएंगे कहकर उन्होंने (नारायण चंदेल) ये बता दिया है कि मोदी का जादू उतर रहा है. अमित शाह का जादू खत्म हो चुका है. इसलिए अब योगी इनके नेता हैं. ये स्पष्ट करें मोदी और शाह की जोड़ी चलेगी कि अब योगी की राजनीति चलेगी. वह तय कर लें कि उनके नेता कौन हैं ? योगी है कि मोदी है ?

राहुल गांधी के बंगले खाली करने को लेकर सीएम भूपेश ने कहा कि जो भी व्यक्ति सवाल करेगा उनके साथ यही होना है. मोदी के खिलाफ कोई सवाल नहीं कर सकता, अडानी के खिलाफ कोई सवाल नहीं कर सकता. मोदी जी से सवाल करो तो एक बार सह भी लेते हैं. लेकिन अडानी के खिलाफ कोई सवाल करोगे तो बर्दाश्त नहीं होता. राहुल गांधी की सदस्यता भी समाप्त हुई और उनको बंगला भी खाली करा दिया गया.

सत्यपाल मलिक के साथ क्या हुआ- सीएम

भूपेश बघेल ने कहा कि सत्यपाल मालिक के साथ क्या हुआ ? उन्होंने एक सवाल कर दिया तो उनके पीछे सीबीआई लग गई.
जहां गैर भाजपा शासित राज्य हैं उसमें ईडी, आईटी, सीबीआई सारी सेंट्रल एजेंसी लगी हुई है. प्रजातंत्र में सवाल पूछा जाता है, या तो विपक्ष सवाल पूछता है या पत्रकार सवाल पूछता है. पत्रकार वार्ता तो कभी करते नहीं और विपक्षी यदि सवाल करे तो उसे कुचल देते हैं, दबाने की कोशिश करते हैं. जो तानाशाह है वह इस बात से डरता है कि मुझ से डरना लोग बंद मत करें. लोगों में डर खत्म हो जाएगा तो तानाशाह का तानाशाही खत्म हो जाएगा. इसलिए सारे हथकंडे अपना रहे हैं.

15 सालों में बीजेपी ने नहीं ली चंदखुरी की सुध- सीएम

कौशल्या माता महोत्सव को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया में एकमात्र कौशल्या माता का मंदिर है. 15 साल बीजेपी सरकार ने इसकी सुध नहीं ली. महाराष्ट्र के राज्यपाल का गांव है चंदखुरी, उन्होंने भी ध्यान नहीं दिया. लेकिन हमने मंदिर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण किया. हर साल यहां कार्यक्रम करते हैं. अब बजट में हमने शामिल कर दिया है कौशल्या महोत्सव हर साल मनाया जाएगा.

नंदकुमार साय की नाराजगी पर बोले सीएम भूपेश

नंदकुमार साय की नाराजगी को लेकर भी सीएम ने भाजपा को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि नंदकुमार बिल्कुल सही कह रहे हैं. वे भाजपा में लगातार मामला उठाते रहे हैं. चाहे ननकीराम कंवर हो, विष्णुदेव साय हो, नन्दकुमार साय हो, पहले बलिराम कश्यप भी हैं. इन सबको हाशिए पर डाल दिया गया. विष्णुदेव साय को तो विश्व आदिवासी दिवस के दिन ही हटा दिए.